अंतरराज्यीय गिरोह के पांच शातिर सदस्य गिरफ्तार, डेबिट कार्ड बदलने और एटीएम मशीन हैक करने में माहिर

संक्षेप:

  • फतेहपुर से गिरफ्तार हुए पांच अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्य।
  • डेबिट कार्ड बदलने और एटीएम मशीन हैक करने में माहिर।
  • कोतवाली व सर्विलांस की संयुक्त टीम ने आरोपियों को पकड़ा।

कानपुर. फतेहपुर जिले में एटीएम बूथ पर फ्राड में कानपुर के रहने वाले पांच शातिरों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह लोग एटीएम बूथ पर धोखा देकर लोगों का डेबिट कार्ड बदल लेते हैं। उसके बाद रुपये निकालते हैं। दूसरा एटीएम मशीन को हैक करने के बाद रुपये निकालते हैं, जिससे बैंकों को चूना लगता है। महाराष्ट्र, गोआ और प्रदेश के कई जिलों में गैंग के सदस्यों की सक्रियता का पुलिस ने दावा किया है।

सर्विलांस संयुक्त टीम ने आरोपियों को पकड़ा

पुलिस लाइन में एएसपी अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि बिंदकी कोतवाली के एसआई सुमित नारायण और सर्विलांस प्रभारी राजेश यादव की संयुक्त टीम ने मंगलवार सुबह एक्सिस बैंक ललौली रोड के पास आरोपियों को पकड़ा है। पकड़े जाने वालों में कानपुर नरवल थाना क्षेत्र के करबिगवां निवासी सनी कुशवाहा, नरवल निवासी अमीन, अनुज कुमार साहू, वीरेंद्र यादव, विकास सिंह यादव हैं।

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आरोपियों के पास बरामद किया सामान

इनके पास से विभिन्न बैंकों के 24 डेबिट कार्ड, नौ मोबाइल फोन, एक चोरी का मोबाइल, 21 सौ रुपये, एक तमंचा, एक स्कूटी बरामद की गई है। बिंदकी कोतवाली के काजीखेड़ा निवासी ममता देवी 19 सितंबर को खजुहा स्थित एटीएम बूथ पर रुपये निकालने गई थी। उनका आरोपियों ने डेबिट कार्ड चकमा देकर बदल लिया था।

बदमाश ऐसे करते धोखाधड़ी

आरोपियों ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि एटीएम में रुपये निकालने में मदद के बहाने से उनके डेबिट कार्ड को बदल लेते हैं। कार्ड को मशीन में लगाने के दौरान पिन कोड जान लेते हैं। वह लोग हर बैंक के डेबिट कार्ड रखते हैं। बदलने के बाद उसी बैंक का कार्ड वापस करते हैं। इससे लोग एटीएम बदलने की बात समझ नहीं पाते। दूसरा तरीका एटीएम मशीन हैकिंग का है। यह लोग करीबी मित्रों, सगे संबंधियों लालच देकर उनके नाम का बैंक खाता खुलवाते हैं। डेबिट कार्ड आने के बाद रुपया खाते में जमा करते हैं और कुछ समय बाद उन रुपयों को एटीएम बूथ पर निकालते हैं। रुपयों को निकालते समय एटीएम मशीन के निकासी प्वाइंट को किसी चिप के सहारे से रोके लेते हैं, जिससे एटीएम मशीन लेनदेन अपूर्ण अंकित हो जाता है। फिर मशीन में रुपये फंसने की झूठी शिकायत बैंक के टोल फ्री नंबर पर दर्ज कराते हैं। तभी बैंक खाते में उतनी धनराशि फिर भेज देते हैं। ऑडिट होने पर बैंक प्रतिनिधि रकम गायब होने की पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हैं।

अलग-अलग पेशे का काम करते थे बदमाश

आरोपियों में अनुज कानपुर में पॉलिटेक्निक का छात्र है। वहीं विकास स्नातक की पढ़ाई कर रहा है। विकास और वीरेंद्र पेट्रोल पंप के सेल्समैन हैं। पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि वीरेंद्र के पांच बैंक खाते संचालित हैं। आरोपियों में मास्टरमाइंड सनी बैंक खाते खुलावाता है। यह लोग घटनाएं अपने स्थानीय थाना क्षेत्र में नहीं करते हैं। इसी वजह से इलाकाई पुलिस के रडार से दूर हैं। बस, ट्रेन, दोपहिया का इस्तेमाल आने-जाने में करते हैं। पुलिस के मुताबिक नरवल क्षेत्र में करीब 100 लड़के एटीएम फ्राड का काम करते हैं।

पुलिस को बड़े बाल वाले समेत तीन की तलाश

जिले में घटनाओं को अंजाम देने वालों में इस गैंग के एक बड़े बाल वाले समेत तीन लोगों को पुलिस तलाश में हैं। सनी ने पुलिस को बताया है कि करबिगंवा निवासी अंशू, रायपुर निवासी पिंटू अपने एक बड़ बाल वाले साथी को लेकर आए थे। उसने ही महिला के रुपये निकाले हैं। उसका नाम अंशू, पिंटू जानते हैं। पुलिस इन तीनों की तलाश में छापामारी कर रही है।

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