जानिए क्या है कानपुर में स्थित वामन भगवान के मंदिर का इतिहास और मान्यताएं
- वामन जयंती आज
- भगवान वामन को कहा जाता है विष्णु जी का पांचवा अवतार
- कानपुर में है भगवान वामन का मंदिर
कानपुर: आज वामन जयंती है। भगवान वामन को विष्णु जी का पांचवा अवतार कहा जाता है। इसके साथ ही वामन जी को त्रेता युग का पहला अवतार भी माना गया है। विष्णु जी अब तक कुल 10 अवतार ले चुके हैं। विष्णु जी के इन 10 अवतारों में वामन अवतार को बड़ा ही खास माना जाता है। वामन को ऐसा पहला अवतार कहा जाता है जिसमें विष्णु जी मानव रूप में प्रकट हुए थे। भगवान वामन को इन्द्र जी का छोटा भाई भी बताया गया है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार वामन जयंती भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को पड़ती है। इसलिए इसे वामन द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है।
पुराणों के अनुसार भगवान वामन ॠषि कश्यप और उनकी पत्नी अदिति के पुत्र थे। कहते हैं कि वामन कड़ी तपस्या के बाद पैदा हुए थे। माता अदिति ने विष्णु जी की काफी कठोर आराधना की थी। इससे प्रसन्न होकर उन्होंने मां अदिति से कहा कि वो पुत्र के रूप में उनके गर्भ से जन्म लेंगे। अध्यात्म रामायाण में भी भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन के बारे में उल्लेख किया गया है। इसके मुताबिक वामन भगवान राजा बलि के सुतल लोक में द्वारपाल बन गए थे। वहीं, तुलसीदास जी ने भी रामचरित मानस में वामन अवतार के बारे में लिखा है। इसके चलते भगवान विष्णु के इस पांचवें अवतार की पुष्टि होती है।
पुराणों में ऐसा कहा गया है कि भक्तों को वामन जयंती के दिन व्रत रखना चाहिए। इस दिन भगवान वामन की स्वर्ण प्रतिमा बनवाकर पंचोपचार सहित उनकी पूजा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जो भक्ति श्रद्धा-भक्तिपूर्वक इस दिन भगवान वामन की पूजा करते हैं, उनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। कहते हैं कि यदि आपको वामन जी की प्रतिमा या तस्वीर ना मिले तो आप विष्णु जी की पूजा-अर्चना भी कर सकते हैं। हालांकि वामन जयंती पर भगवान वामन की पूजा करना ही बेहतर है। कहा जाता है कि वामन जयंती पर व्रत रखने से व्यक्ति को उसके शत्रुओं पर बढ़त मिलती है।
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वहीं यूपी के कानपुर शहर में भगवान विष्णु के दशावतारों में से एक वामन अवतार का दुर्लभ मंदिर घनी आबादी हटिया में आज भी स्थित है। यह मंदिर आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि समर्पण भाव से वामन देव की पूजा करने पर अहंकार समाप्त हो जाता है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
हटिया बर्तन बाजार स्थित मंदिर कब और किसने बनवाया इसके प्रमाणिक तथ्य तो उपलब्ध नहीं हैं लेकिन बताया जाता है कि शहर के कारोबारी आनंद प्रसाद गर्ग ने 1940 में एक पुराना मकान खरीदा। मकान में वामन देव का मंदिर पाकर उस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया और विधि विधान से पूजन किया जाने लगा। मंदिर में वामन अवतार की श्याम वर्ण प्रतिमा के साथ बलदाऊ और रेवती की मूर्तियां भी हैं।
हटिया मंदिर में वामन द्वादशी को विशेष पूजन का भी आयोजन किया जाता है। मंदिर के पूर्व पुजारी ब्रह्मलीन गुरुनारायण पांडेय के पुत्रादि अब यहां का कार्यभार देखते हैं। मंदिर के पुजारी मनोज पांडेय ने बताया कि यहां मान्यता है अहंकार त्यागकर समर्पण भाव से पूजन करने पर प्रभु प्रसन्न होते हैं। यह मंदिर उत्तर भारत का एकमात्र मंदिर है। यहां वामन द्वादशी के मौके पर भक्तगण दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं।
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