Kamal Nath का Kanpur कनेक्शन, जानिए जन्म से लेकर उनके CM बनने तक का सफर

संक्षेप:

  • कमलनाथ बने एमपी के सीएम
  • दून स्कूल में हुई थी संजय गांधी से पहचान
  • इंदिरा गंधी ने कहा था तीसरा बेटा

कानपुर: तीन दिनों की जद्दोजहद के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ के नाम पर मुहर लगा दी। कमलनाथ का नाम फाइनल होते ही भोपाल के साथ-साथ कानपुर में भी उनके समर्थकों में खुशी की लहर है। दरअसल कमलनाथ का जन्म कानपुर के तिलक नगर में 18 जनवरी 1946 को हुआ था. जन्म के बाद उनका परिवार एमपी चला गया, जहां से उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की.

इसके बाद उन्होंने दून स्कूल से पढ़ाई की और फिर कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से बी.कॉम किया. जब वें दून स्कूल में पढ़ाई कर रहे थें उसी दौरान उनकी पहचान इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी से हुई। पढ़ाई पूरी करने के बाद कमलनाथ कांग्रेस में शामिल हो गए. 1979 में संजय गांधी को एक मामले में कोर्ट ने तिहाड़ जेल भेज दिया तब कमलनाथ जानबूझकर जज से लड़ पड़े थे, जिस कारण उन्हें भी सात दिनों तक संजय गांधी के साथ जेल में रहना पड़ा. इसके बाद वें इंदिरा गांधी के भी करीब हो गए।

1980 में जब पहली बार कांग्रेस ने उन्हें छिंदवाड़ा से टिकट दिया था तो इंदिरा गांधी ने अपने भाषण में कहा था- मैं चाहती हूं आप कांग्रेस नेता कमलनाथ को नहीं मेरे तीसरे बेटे कमलनाथ को वोट दें, और तब से अब तक कमलनाथ छिंदवाड़ा से 9 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं. इस दौरान कमलनाथ पर कई आरोप भी लगे। उनपर आरोप है कि वे 1984 को नई दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज में उस वक्त मौजूद थे जब भीड़ ने दो सिखों को जिंदा जला दिया था.

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हालांकि कमलनाथ अपने सफाई में कई बार कह चुके हैं कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उन्हें पार्टी ने वहां भेजा था। 1996 में कमलनाथ पर हवाला कांड के भी आरोप लगे, तब पार्टी ने छिंदवाड़ा से उनकी पत्नी अलकानाथ को टिकट देकर उतारा था, वो जीत गई थीं लेकिन अगले साल हुए उपचुनाव में कमलनाथ को हार का मुंह देखना पड़ा था. यही नहीं पश्चिम बंगाल में कारोबार करने वाले व्यापारी परिवार से आने वाले कमलनाथ ख़ुद में एक बिज़नेस टायकून हैं, उनका कारोबार रियल एस्टेटस, एविएशन, हॉस्पिटलिटी और शिक्षा तक फैला है और क़रीब 24 कंपनियों के बोर्ड में कमलनाथ शामिल हैं. ये कारोबार उनके दो बेटे नकुलनाथ और बकुल नाथ संभालते हैं.

इसके बावजूद यूपीए सरकार में कई मंत्रालय भी संभाल चुके कमलनाथ को सीएम पद के लिए चुनना राहुल गांधी के आसान नहीं था क्योंकि उनके सामने कांग्रेस के एक और दिग्गज नेता रहे माधव राव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया थे लेकिन 50 सालों से लगातार पार्टी की सेवा ने कमलनाथ को सीएम पद के लिए सिंधिया से आगे रखा।

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