कानपुर: घुटकर मरने से बेहतर है वन टाइम डेथ- Muscular Dystrophy पीड़ित

संक्षेप:

  • मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पीड़ित से NYOOOZ की खास बातचीत
  • पीड़ित ने की थी पीएम को खून से पत्र लिख इच्छामृत्यु की मांग
  • सुप्रीम कोर्ट ने अभी हाल ही में दी है इच्छामृत्यु की इजाजत

कानपुर: मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित माँ बेटी ने इच्छा मृत्यु पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु को मंजूरी दे दी है। इच्छा मृत्यु की मांग करने वालों के चेहरों पर मुस्कान आ गई है। कोर्ट ने सभी को सम्मान से मरने का अधिकार भी दिया है।

कानपुर में मस्कुलर डिसट्राफी से पीड़ित माँ-बेटी को जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी हुई तो उनके चेहरे ख़ुशी से खिल उठेl मां बेटी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि ये बहुत ही पॉजिटिव फैसला है। पीएम और राष्ट्रपति को खून से लेटर लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की थी।

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शंकराचार्य नगर में शशि मिश्र के पति की 15 साल पहले मौत हो चुकी है। शशि मस्कुलर डिस्ट्राफी नाम की बीमारी से पीड़ित हैं, जिसकी वजह से चलने फिरने में असमर्थ हैं। वो बीते 27 साल से बेड पर है। वहीं 6 साल पहले इकलौती बेटी अनामिका मिश्रा (33) भी इसी बीमारी की चपेट में आकर लाचार हो गई। शशि के मुताबिक बेटी के इलाज में घर में रखी जमापूंजी भी खत्म हो गई रिश्तेदारों ने मदद की लेकिन बाद में उन्होनें भी किनारा कर लिया।

अब स्थिति यह है कि बिस्तर से उठना भी मुश्किल हो गया है। मौजूदा समय में परिवार के रिश्तेदारों ने भी कन्नी काट ली है। मां-बेटी मोहल्ले के लोगों के रहमोकरम पर जीने का मजबूर हैं। अपनी लाचारी से ऊब कर अनामिका जो की बी कॉम की पढ़ाई पूरी कर चुकी है l अनामिका ने बताया कि मेरे पिता एक बिजनेस मैन थे मेरी माँ की अचानक सन 1985 में तबियत ख़राब हुई थी l तब हमें पता चला था कि इनको मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक बीमारी है l जब तक पिता जी थे उन्होंने इलाज कराया l उनके निधन के बाद घर की जमा पूंजी व् जमीन बेच कर हम इलाज कराते रहे l मैंने स्कूल में पढाया और कोचिंग पढ़कर माँ का इलाज कराया और घर के खर्चे चलाये लेकिन अब इस बीमारी ने मुझे भी अपनी चपेट में ले लिया चार साल से मै भी बिस्तर पड़ी हूं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोलते हुए कहा कि मै सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बहुत पॉजिटिव मानती हूं। जब कोई इच्छा मृत्यु के लिए रिक्वेस्ट करता है तो इसके पीछे बहुत से रीजन होते हैं। जोकि आप सरवाइव नहीं करना चाहते हैं। इस चीज़ को कोर्ट ने कंसीडर किया है कोर्ट का यह बहुत ही पॉजिटिव स्टेप है। हम लोग फिजिकली, मेंटली, इमोस्नली सरवाइव नहीं कर पा रहे हैं। ये बहुत ही अच्छा डिसीजन है।

आप हर पल मर रहे है और वेट कर रहे है आप को यह भी नही पता कि इसका इंड कम होगा l वो तकलीफ एक दिन की तकलीफ से बहुत ज्यादा होती है l जब आप इच्छा म्रत्यु के लिए जा रहे हो यदि उसमे 10 से 15 दिन का जो समय लगेगा उन दिनों को आप लोग इंजॉय कर सकते है l मेरी माँ 27 साल से बेड है यह मेरे लिए बहुत अच्छी खबर है ,मै देखूंगी कहा पर मर्शी किलिंग के लिए आवेदन करना है ,इस प्रासेस को समझूंगी l

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