कानपुरः कब जिम्मेदारी समझेंगे ये `धरती के भगवान`

संक्षेप:

  • इंसानियत को एक बार फिर शर्मसार
  • पेड़ के नीचे तड़पती रही बुजुर्ग महिला
  • पर इलाज के लिए नहीं मिला बेड

कानपुरः योगी सरकार स्वास्थ सेवाओं को बढ़ाने के लिए नित नई योजनाए ला रही है। लेकिन आज हम आपको ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे है जिससे आप शर्मसार हो जाएंगे कि कैसे धरती पर भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर्स इंसानियत तक भूल गए। कानपुर के लाला लाजपत राय अस्पताल (हैलट) के चिकित्सा कर्मियों की शर्मनाक करतूत ने इंसानियत को एक बार फिर शर्मसार कर दिया। दर्द से कराह रही 81 साल की वृद्ध महिला को इमरजेंसी में बेड खाली न होने की बात कहकर बाहर निकाल दिया। पूरी रात पेड़ के नीचे चबूतरे पर वृद्धा तड़पती रही लेकिन उसकी हालत पर किसी को तरस नहीं आया। शर्मनाक की बात तो ये भी रही कि ग्लूकोज की बोतल को पेड़ की टहनी पर टांग दिया और दर्द से कराहती वृद्धा सारा दिन उसी उमस वाली गर्मी में बाहर पड़ी रही लेकिन धरती के इन भगवानों को ज़रा भी तरस नहीं आया।

कर्नलगंज में रहने वाली सुषमा बाजपाई बीते शुक्रवार की शाम को घर पर ही फर्श पर फिसल कर गिर पड़ी थी। जिससे उनके पैर की हड्डी टूट गई थी, सुषमा के दोनों बेटे नवीन व हरिशरण शुक्रवार देर रात साढ़े 10 बजे लेकर हैलट अस्पताल पहुंचे और इमरजेंसी में उनको दिखाया गया जहां डॉक्टरों ने एक्सरा कराने के बाद उनके पैर पर प्लास्टर चढ़ा दिया और ग्लूकोज लगा दिया।

बुजुर्ग महिला के बेटे नवीन के मुताबिक प्लास्टर चढाने के बाद देर रात डॉक्टर कहने लगे अब इन्हें अब घर ले जाओ, हमारे पास बेड खाली नहीं है अब शुक्रवार को लेकर आना। लेकिन नवीन ने डॉक्टर से कहा कि इतनी रात में इन्हें कहां ले जाऊंगा, मेरे मकान का कमरा दूसरे पोर्शन पर है कैसे इन्हें रात में ले जायगें व अभी इनकी ग्लूकोज की बोतल भी चढ़ रही है। डॉक्टर जिद करने लगे कि इन्हें यहाँ से हटाओ चाहे जहां ले जाओ मुझसे मतलब नहीं है।

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लेकिन नवीन हाथ जोड़कर डॉक्टरों से विनती करने लगा कि सुबह तक का वक्त देदो मैं सुबह होते ही यहां से लेकर चला जाऊंगा लेकिन डॉक्टरों ने बुजु्र्ग महिला को इमरजेंसी से बाहर कर दिया। बाहर निकालने के बाद रात को महिला को चबूतरे पर लिटाकर ग्लूकोज की बोतल पेड़ की टहनी से टांग कर चढाई।

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