रोटोमैक स्कैम: 11 दिन की CBI रिमांड पर भेजे गए विक्रम और राहुल कोठारी

संक्षेप:

  • करोड़ों का सट्टा खेलता था राहुल कोठारी
  • रियल स्टेट में शुरू किया बिजनेस
  • नोटबंदी से चौपट हुआ बिजनेस

कानपुर: रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी को 11 दिन की CBI कस्टड़ी रिमांड दिया है। राहुल कोठारी विक्रम कोठारी के इकलौते बेटे हैं। वो करोड़ों की संपत्ति के अकेले वारिस भी हैं, लेकिन बताया जाता है कि कंपनी को अर्श से फर्श में ले जाने के पीछे राहुल कोठारी की बुरी आदतें थी। वहीं, सरकार द्वारा की गई नोटबंदी के बाद कंपनी की हालत और खराब हो गई।

राहुल की जिद के आगे किसी की भी नहीं चलती थी। राहुल कोठारी जो चाहता था वो करता था। राहुल कोठारी ने सट्टेबाजी और रियल स्टेट में कई करोड़ रुपये बर्बाद किये हैं। जब सीबीआई ने विक्रम कोठारी और राहुल कोठारी पर शिकंजा कसा तो इनके काले कारनामों का चिटठा सामने उजागर हुआ है।

रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के एमडी विक्रम कोठारी का तिलक नगर स्थित संतुष्टि नाम से बंगला है। जहां पर विक्रम कोठारी अपनी पत्नी साधना कोठारी, बेटे राहुल कोठारी और बहू अर्चना कोठारी के साथ रहते हैं। राहुल कोठारी ने इंटर की परीक्षा पास करने के बाद एमबीए करने के लिए यूएसए चले गया। राहुल ने रोचेस्टर इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नॉलोजी से यूएसए से एमबीए किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पिता विक्रम कोठारी के साथ बिजनेस संभालने लगा।

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रियल स्टेट में शुरू किया बिजनेस

राहुल कोठारी ने धीरे-धीरे बिजनेस पर अपनी पकड़ बनाई और बिजनेस को स्टैंड करने में जुट गए, लेकिन सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट वहां से आया जब राहुल कोठारी ने रियल स्टेट का बिजनेस में हाथ अजमाने लगे। उनका ध्यान रोटोमैक कम्पनी से हटने लगा। जब ध्यान हटा तो रोटोमैक कम्पनी के बुरे दिन शुरू हो गए, कम्पनी का रूपया जमीन खरीदने और उसमे फ्लैट बनाने में लगाने लगे।

जब रोटोमैक कम्पनी को नुकसान होने लगा और रियल स्टेट के बिजनेस में भी डगमगाने लगा इसके बाद राहुल कोठारी ने 7 बैंकों से 3695 करोड़ का लोन लिया। बैंक अधिकारियों ने भी मनको को दरकिनार करते हुए लोन दे दिया।

नोटबंदी से चौपट हुआ बिजनेस

लेकिन जब केन्द्र सरकार द्वारा नोटबंदी हुई तो कोठारी परिवार के रियल स्टेट का बिजनेस पूरी तरह से चौपट हो गया। रेव मोती में राहुल कोठारी का कुछ परसेंटेज लगा हुआ है, कानपुर समेत कानपुर बाहर भी कई स्थानों पर राहुल कोठारी का रियल स्टेट का बिजनेस फैला था। जिसमें से कई साइडों का काम बंद हो गया। जानकारी के मुताबिक राहुल कोठारी सट्टेबाजी भी करता था यह सट्टेबाजी लाखों और करोड़ों में होती थी।

बंगले में हो रही है पूजा

कोठारी परिवार इन दिनों तनाव की स्थिति से गुजर रहा है। इससे निजात पाने के लिए तीन आचार्यों ने संतुष्टि बंगले में पूजा पाठ शुरू कर दिया है।

मामला क्या है?

सीबीआई ने रोटोमैक कंपनी के विक्रम कोठारी समेत 3 डायरेक्टर्स ने 7 बैंकों के कॉन्सर्टियम को धोखा दिया और बेइमानी से 2919.29 करोड़ रुपए का बैंक लोन निकाला। इसमें लोन का इंट्रेस्ट शामिल नहीं किया गया है। ब्याज जोड़कर ये रकम 3695 करोड़ रुपए हो जाती है। कंपनी ने बैंक को यह रकम नहीं चुकाई है।

कितने बैंकों का कर्ज है?

-सात बैंक से पेन बनाने वाली कंपनी रोटोमैक ने लोन लिया था।

- बैंक ऑफ बड़ौदा: 456.53 करोड़ रुपए

- बैंक ऑफ इंडिया: 754.77 करोड़ रुपए

- बैंक ऑफ महाराष्ट्र:49.82 करोड़ रुपए

- इलाहाबाद बैंक: 330.68 करोड़ रुपए

- ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स: 97.47 करोड़ रुपए

- इंडियन ओवरसीज बैंक:771.07 करोड़ रुपए

- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया:458.95 करोड़ रुपए

यह मामला कैसे सामने आया ?

विक्रम कोठारी के खिलाफ 600 करोड़ का बाउंस चेक देने का केस हुआ है। इस मामले में आरबीआई ने इलाहाबाद बैंक को नोटिस भेजा है। बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर सीबीआई ने कोठारी के खिलाफ केस दर्ज किया। इसके बाद अफसरों ने सोमवार को उनके ठिकानों की सीबीआई और इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) की ज्वाइंट टीम ने तलाशी ली।

किन पर केस दर्ज किए गए?

इस केस में रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिडेट के डायरेक्टर विक्रम कोठारी, पत्नी साधना कोठारी और बेटे राहुल कोठारी का नाम है। ऐसा गया कि कोठारी के खिलाफ मनी लाड्रिंग का केस भी दर्ज किया गया है।

बैंकों का क्या आरोप है?

बैंकों का आरोप है कि विक्रम कोठारी ने ना लोन की रकम लौटाई और न ही ब्याज दिया। इस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस पर एक आधिकारिक जांच कमेटी गठित की गई। कमेटी ने 27 फरवरी 2017 को रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाला) घोषित कर दिया।

13 अप्रैल 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को उसकी उन संपत्तियों या किस्तों का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया था, जिनका बैंक ऑफ बड़ौदा को भुगतान किया गया।

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