GST से 8 महीनों में वसूली गयी 7.41 लाख करोड़ रुपये की रकम

संक्षेप:

  • वित्त मंत्रालय ने इस बारे में दी जानकारी
  • राज्यों के राजस्व में गिरावट की भरपाई करेगा केंद्र
  • जीएसटी की मार अब वेतनभोगियों पर भी पड़ सकती है

कानपुरः `एक देश एक कर` की तर्ज पर एक जुलाई 2017 से लागू जीएसटी से सरकार ने इस वर्ष मार्च तक 7.41 लाख करोड़ रुपए जुटाए. वित्त मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को इसकी जानकारी दी गई. गौरतलब है कि केंद्र और राज्यों के क्रमश: उत्पाद शुल्क एवं वैट सहित बहुत से कर जीएसटी में समा गए हैं. वित्त मंत्रालय की तरफ से ट्वीट में कहा गया `जीएसटी से 2017-18 की अगस्त-मार्च अवधि में कुल कर संग्रह 7.19 लाख करोड़ रुपये रहा. जुलाई 2017 के कर संग्रह को शामिल करने पर 2017-18 में कुल जीएसटी संग्रह अस्थायी तौर पर 7.41 लाख करोड़ रुपये रहा.`

इसमें केंद्रीय जीएसटी (GST) से प्राप्त 1.19 लाख करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी (SGST) से मिले 1.72 लाख करोड़ रुपये, एकीकृत जीएसटी (IGST) के 3.66 लाख करोड़ रुपये (इसमें आयात से 1.73 लाख करोड़ रुपये भी शामिल) और उपकर से प्राप्त 62,021 करोड़ रुपये (इसमें आयात पर उपकर के 5,702 करोड़ रुपये) शामिल हैं. अगस्त - मार्च अवधि के दौरान औसत मासिक जीएसटी संग्रह 89,885 करोड़ रुपये रहा. 2017-18 के आठ महीनों में राज्यों को क्षतिपूर्ति के रूप में कुल 41,147 करोड़ रुपये दिए गए हैं.

ये भी पढ़े : 20 साल के कॉलेज छात्र ने बनाया रियल एस्टेट क्षेत्र में क्रांति लाने वाला पोर्टल


राजस्व में गिरावट की भरपाई केंद्र करेगा

जीएसटी कानून के तहत नई कर व्यवस्था के कारण पांच साल तक राज्यों के राजस्व में गिरावट की भरपाई केंद्र करेगी. इसके लिए विलासिता और अहितकर उपभोक्ता वस्तुओं पर विशेष उपकर लागू किया गया है. राजस्व हानि की गणना के लिए 2015-16 की कर आय को आधार बनाते हुए उसमें सालना औसत 14 प्रतिशत की वृद्धि को सामान्य संग्रह माना गया है. मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 8 महीने में प्रत्येक राज्य के राजस्व में कम घटी है और यह औसतन 17 प्रतिशत रही है.

वेतनभोगियों पर पड़ सकती है जीएसटी की मार

इससे पहले खबर आई थी कि जीएसटी की मार अब वेतनभोगियों पर भी पड़ सकती है. कंपनियों ने जीएसटी की मार से बचने के लिए कर्मचारियों के वेतन पैकेज में बदलाव करने की तैयारी शुरू कर दी है, ताकि कंपनियों पर जीएसटी का असर न पड़े. विशेषज्ञों के मुताबिक, वेतन में मिलने वाले किराए, मेडिकल बीमा, ट्रांसपोर्टेशन और फोन किराए के तहत मिलने वाला लाभ अब जीएसटी के दायरे में आ जाएगा.

टैक्स विशेषज्ञों ने कंपनियों को सलाह दी है कि कंपनियों का एचआर डिपार्टमेंट सैलरी की इन मदों की फिर से समीक्षा करे. अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) के हालिया निर्णयों के बाद कंपनियां इस मामले को लेकर सजग हो गई हैं. बता दें कि एएआर ने हाल ही में फैसला दिया था कि कंपनियों द्वारा कैंटीन चार्जेस के नाम पर कर्मचारी के वेतन से कटौती जीएसटी के दायरे में होगी. इस फैसले के बाद जानकारों का मानना है कि कंपनियों द्वारा कर्मचारियों की दी जा रही कई सुविधाएं जिसके ऐवज में सैलरी में कटौती की जाती है को जीएसटी के दायरे में कर दिया जाएगा.

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Read more Kanpur की अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।