अटल ने कानपुर में सीखी थी राजनीति, दिया था जीवन का कीमती समय

संक्षेप:

  • अटल बिहारी वाजपेयी की हालत नाजुक
  • डीएवी कॉलेज से किया था शिक्षा
  • कानपुर में अटल को 75 रूपए की छात्रवृत्ति देकर भेजा था

कानपुर: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दिल्ली के एम्स में भर्ती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। बात करें उनके बीते समय कि तो पूर्व प्रधानमंत्री ने कानपुर को अपना सबसे कीमती वक्त दिया है उन्होंने डीएवी कॉलेज से बीए और स्नातक और राजनीती शास्त्र से एमए पास कर के कानपुर से राजनीती के गुण सीखे। कानपुर में राजनीति शास्त्र की पढ़ाई के लिए ग्वालियर के राजा ने उन्हें 75 रूपए की छात्रवृत्ति देकर भेजा था। वह अपने पिता के साथ एक कमरे में रहे और एक ही क्लास में बैठकर पढ़ाई की। अटल जी और उनके पिता जी डीएबी कॉलेज से एलएलबी की थी।

जानकारी के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी साल 1945-47 के बीच अटल बिहारी ने राजनीति शास्त्र में एमए किया। परास्नातक पूरा होते ही वाजपेयी जी की रुचि वकालत की ओर बढ़ने लगी। साल 1948 में अटल बिहारी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज में एलएलबी में एडमीशन ले लिया। तब तक उनके पिता कृष्ण बिहारी भी कानपुर आ चुके थे। पिता-पुत्र दोनों एक साथ एक ही कमरे में रहते थे। बेटे को वकालत पढ़ता देख पिता का भी मन हुआ, उन्होंने भी उसी साल एलएलबी में एडमीशन ले लिया।

पिता-पुत्र दोनों एक ही क्लास में बैठकर पढ़ाई करते थे। बाप-बेटे की इस जोड़ी को साथी छात्र देखने आते थे। जो प्रोफेसर इन दोनों को पढ़ाते थे वह काफी मजाक भी किया करते थे। बताया जाता कि जब पिताजी देर से पहुंचते थे प्रोफेसर ठहाके लगाकर अटल बिहारी से पूछते थे कि, आपके पिताजी कहां गायब हैं। ऐसा ही नजारा तब भी देखने को मिलता था जब अटल बिहारी देर से कक्षा में पहुंचते थे। तब प्रोफेसर पिता से पूछते कि आपके साहबजादे कहां नदारद हैं।

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कानपुर में एक साल पढ़ाई पूरी करते ही अटल बिहारी ने हर माह मिलने वाली 75 रुपये की स्कॉलरशिप लेने से मना कर दिया था। क्योंकि वह खुद पैसे कमाने लगे थे। वह कानपुर के हटिया मोहाल स्थित सीएबी स्कूल में ट्यूशन देने जाते थे। यहां पर वह भूगोल वह उनके पिता अंग्रेजी पढ़ाया करते थे।

93 साल के हो गए हैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब 93 साल के हो गए हैं। राजनीती से सन्यास लेने के बाद उनका स्वस्थ्य ख़राब होता चला गया, अब तो वह किसी को पहचानते भी नहीं हैं। छात्र जीवन में उनके साथी उन्हें अटल कह कर पुकारते थे। जैसा नाम वैसे ही उनके काम भी थे, अटल एक मजबूत और दृढ़ निश्चय वाले इंसान हैं। शांत और सौम्य स्वभाव के कारण उनके साथी और विरोधी दोनों उनके फैन थे।

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