भारतीय सेना की ताकत बनेगी ओएफबी की 'सारंग'

संक्षेप:

  • फायरिंग के वक्त बिना हिले अचूक निशाना
  • जर्मनी, बेल्जियम के कार्बाइन को टक्कर
  • 20 मार्च को सेना करेगी परीक्षण

कानपुरः देश की सीमा के अन्दर घुसे आतंकवादियों और नक्सली हमलों से निपटने के लिये बहुप्रतीक्षित मारक हथियार ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन यानि जेवीपीसी लॉन्चिंग के लिये तैयार है। इसे कानपुर स्थित स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री ने बनाया है और ये कार्बाइन 18 मार्च को आयुध निर्माणी दिवस के मौके पर देश के सामने लायी जाएगी।

फायरिंग के वक्त बिना हिले अचूक निशाना

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मौका चाहे इंडियन आर्मी की बख्तरबन्द गाड़ियों में मूव करते समय हुए आतंकी हमले का हो या किसी कमांडो कार्रवाई में पैराशूट से हवाई छलांग लगाने का, इन मौकों पर अगर हथियार हिल गया तो समझो निशाना चूका और दुश्मन को बच निकलने का मौका मिला। कानपुर की स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री ने एक ऐसी कार्बाइन बना ली है जो ऐसे मौकों के लिये काफी मुफीद है। ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन यानि जेवीपीसी की खूबी ये है कि फायरिंग करते समय ये बिल्कुल नहीं हिलती और स्थिर रहती है। इसका ऑपरेशन गैस और सेलेक्टिव फायर से होता है। ये देश की सीमा के अन्दर घुसे आतंकवादियों और नक्सली हमलों से निपटने के लिये अर्द्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस बलों की जरूरतों को पूरा करेगी।

जर्मनी, बेल्जियम के कार्बाइन को टक्कर

इसके पहले जर्मनी ने एचके और बेल्जियम ने एफएन नाम से ऐसी कई कार्बाइनें बनायी हुई हैं और उनकी मांग पूरी दुनिया के देशों से आती रहती हैं। अब भारत के पास पूर्णतया स्वदेशी तकनीक से बनी जेवीपीसी कार्बाइन है जो जर्मनी की एचके और बेल्जियम की एफएन को टक्कर देगी। अपनी देशी कार्बाइन की मारक क्षमता 200 मीटर है और ये एक मिनट में 900 राउण्ड फायर कर सकती है। केवल तीन किलो वजन वाली जेवीपीसी की लम्बाई इसके छोटे बट की वजह से अन्य कार्बाइनों से कम है। इसके अलावा बेल्ट फेड लाईट मशीन गन भी विकसित की गयी है जो जल्दी ही इण्डियन आर्मी का हिस्सा बन सकती है।

20 मार्च को सेना करेगी परीक्षण

मार्च को आयुध निर्माणी दिवस प्रदर्शनी का एक और खास आकर्षण बनने वाली है प्वाइंट 38 एमएम रिवाल्वर। इसकी डिजाइन तैयार करने में स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री ने आईआईटी, कानपुर के वैज्ञानिकों की मदद ली है। एसएएफ की बड़े बैरल वाली अनमोल रिवॉल्वर की धूम पहले से है। इस साल दस हजार रिवॉल्वर बेचे जाने का लक्ष्य है। एसएएफ की जेवीपीसी की खूबियों को देखते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस ने 640 और सीआरपीएफ ने पैंतीस हजार कार्बाइनों की मांग की है। 20 मार्च को भारतीय सेना भी इसका तकनीकी परीक्षण करेगी जहां इसके पास होने की उम्मीद की जा रही है।

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