कानपुरः अनोखा मंदिर जो करता है बारिश की भविष्यवाणी

संक्षेप:

  • कानपुर का यह पौराणिक मन्दिर
  • बताता है कब आयेगा मानसून
  • पत्थर से टपकती है पानी की बूंदें

कानपुरः क्या पत्थर भी भविष्यवाणी कर सकते हैं। सुनने में भले ही यह कुछ अजीब लगे लेकिन यह सत्य है। कानपुर में पौराणिककाल के जगन्नाथ मन्दिर की छत पर एक अलौलिक पत्थर जुड़ा हुआ है जो मानसून आने की भविष्यवाणी पन्द्रह दिन पहले कर देता है। जेठ की दुपहरिया में जब जमीन पर पानी की बूंद वाष्प बनकर स्वाहा हो रही है। वही मन्दिर के गर्भगृह के ठीक उपर लगे इस पत्थर पर पानी की बूंदे छलछला आयी हैं। इन बूंदों के दर्शन के लिये श्रद्धालुओं का तांता उमड़ पड़ा है, वे खुश हैं क्योंकि ये बूंदे मानसून समय से आने का पैगाम लेकर आयी हैं।

कानपुर शहर से करीब 55 किलोमीटर दूर एक इलाका है घाटमपुर, घाटमपुर में ही करीब 5 किलोमीटर अन्दर की तरफ मौजूद है गांव बेहटा बुजुर्ग और इस बेहटा बुजुर्ग गांव में मौजूद है अदभुत और विलक्षण एक मंदिर। गोल गुम्बद और सांची के स्तूप की शक्ल में बना यह मंदिर पूरे भारत में अनोखा है। अगर इसको एक इमारत के रूप में देखा जाए तो कोई नहीं कह सकता कि यह कोई मंदिर होगा पर यह मंदिर ही है और वह भी भगवान जगन्नाथ का। इस मंदिर के अनोखे नज़ारे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किनारे और पीछे से देखने पर इसमें दो गुम्बद नज़र आते हैं जबकि सामने से देखने पर एक ही गुम्बद नज़र आता है या यह कह लिया जाए कि पूरा का पूरा मंदिर ही एक गुम्बद नज़र आता है। इस मंदिर की खूबियां यही ख़त्म नहीं होतीं बल्कि यहां से शुरू होती हैं यह अनूठा मंदिर पूरे उत्तर प्रदेश में मानसून की दिशा और दशा बताने वाला मंदिर कहलाता है इस मंदिर के अन्दर भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के ठीक ऊपर छत में एक चमत्कारी पत्थर भी है जो उत्तर प्रदेश में मानसून आने की भविष्यवाणी करता है।

मंदिर के अन्दर भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की प्रतिमा और उसके ठीक ऊपर छत पर लगे चमत्कारी पत्थर पर छलछलाई पानी की बूंदे। मोतियों की तरह पत्थर पर छलकी पानी की यह बूंदे उस वक़्त उभरी हैं जबकि चारों तरफ भीषण गर्मी है। सूरज आग उगल रहा है। धरती जल रही है और यह मंदिर भी तप रहा है। लोगों का कहना है कि हर साल इस मंदिर में लगे इस पत्थर से यह पानी की बूंदें तब टपकने लगती हैं जब मानसून आने वाला होता है। मानसून आने के 15 दिन पहले से पत्थर में इसी तरह की हरक़त शुरू होती है और इससे पानी की बूंदें टपकने लगती हैं मोतियों के सामान पानी की बूंदों का टपकना तब तक जारी रहता है जब तक उत्तर प्रदेश में मानसून नहीं आ जाता और जब मानसून आ जाता है तो बूंदों का टपकना बंद हो जाता है।

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कोई नहीं जानता कि यह मंदिर कब बना और इसे किसने बनवाया कोई कहता है इसे भगवान राम के पूर्वज राजा शिबी दधीची ने बनवाया था और राम ने लंका विजय से लौटते समय इसी मंदिर के पास बने सरोवर में राजा दशरथ का पिंड दान किया था तब से वह सरोवर राम कुंड कहलाने लगा जबकि कोई कहता है कि इस मंदिर को देवी देवताओं ने तब बनाया था जब 6 महीने की रात हुई थी यानि कि प्रलय।

लोगों का तो यहां तक कहना है कि अगर पत्थर से पानी की बूंदें न टपकी तो पूरे प्रदेश में सूखा पड़ेगा और अगर पानी की बूंदों ने अंगड़ाई ली तो क्या मजाल कि मानसून 15 दिन के अन्दर ना आये लोगों का मानना है कि यह भविष्यवाणी भगवान जगन्नाथ महाराज के आदेश पर ही पत्थर से होती है और इसी भविष्यवाणी पर आस पास के 100 गांवों के किसान अपनी फसलों की सुरक्षा के साथ फसलों और खेतों की सफाई-बुआई की तैयारी शुरू करते हैं यहां तक कि लोग दूर-दूर से यही पता करने आते हैं कि पत्थर से पानी टपका कि नहीं, मंदिर की इस भविष्यवाणी पर विश्वास करने वाले लोग आज के वैज्ञानिक युग में मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणियों पर भरोसा नहीं करते और उन्हें इस मंदिर में लगे पत्थर के सामने फेल बताते हैं।

पुरातन काल के इतिहास को संजोये और मौसम विज्ञान और साईंसदानों को चुनौती देता यह मंदिर और इसके गुम्बद में लगा पत्थर, उत्तर प्रदेश ही क्या पूरे भारत में अजूबा है इस मंदिर के पूरे परिसर को देखने पर मंदिर के अंदर अगर तराशी गयी देव भंगिमाएं मंदिर के 12 खम्भों पर नज़र आती हैं तो कहीं युगों पुरानी देवी देवताओं की मूर्तियां दिखाई देती हैं इतना ही नहीं मंदिर के बाहर देव भंगिमाओं का एक विशाल शिलाखंड भी मौजूद है जिसके बारे में लोगों का कहना है कि इसकी थाह पाताल में हैं। इस मंदिर में लगे पत्थर से निकली भविष्यवाणी को लाखों लोग मानते हैं। पत्थर के आस-पास क्या दूर तक कहीं भी पानी का कोई स्रोत नहीं होता फिर भी कडकती धूप में पत्थर से पानी की बूंदे छलकती हैं कोई नहीं जानता कि पानी की यह बूंदे कहाँ से आती हैं।

सवाल यह है कि बड़ी-बड़ी भविष्यवाणियां करने वाले मौसम वैज्ञानिक क्या इस मंदिर और इस पत्थर से निकली भविष्यवाणी को सच मानेंगे अगर नहीं, तो उनके पास इस बात का क्या जवाब है कि फिर हर साल पत्थर पर पानी क्यों छलकता है और उसके 15 दिन के अंदर मानसून क्यों आता है। शायद इसका जवाब उन्हें इस सृष्टि के पालनकर्ता भगवान जगन्नाथ से ही पूछना होगा जो इस मंदिर में एक विशाल विग्रह खंड के रूप में विराजमान हैं।

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