विक्रम कोठारी की बहू और बेटे को बैंक लेकर पहुंची सीबीआई, 11 खाते को किया सीज

संक्षेप:

  • सीबीआई ने रोटेमैक के 11 खाते को किया सीज
  • कोठारी की बहू और बेटे को लेकर कोटक महेंद्र बैंक पहुंची
  • खाते सहित लॉकर को भी खंगाला

कानपुरः मंगलवार को भी सीबीआई ने सुबह से विक्रम कोठारी के बंगले पर डेरा डाल दिया था। कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए सीबीआई की टीम ने विक्रम कोठारी की बहू अर्चना और बेटे राहुल को माल रोड स्थित कोटक महेंद्र बैंक ले गए। कोटक महेन्द्रा में उनके खाते और बैंक लाकर की जांच की। लगभग डेढ़ घंटे रुकने के बाद सीबीआई उन्हें कड़ी सुरक्षा में वापस बंगले में लेकर आई।

इसके साथ ही ईडी ने विक्रम कोठारी के 11 बैंक खातें को सीज कर दिया। दरअसल जैसे ही सीबीआई की टीम विक्रम कोठारी की बहू और बेटे को लेकर कोटक महेन्द्रा बैंक पहुंची तो बैंक कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। लेकिन सीबीआई के अधिकारियों ने सिक्युरिटी लगाकर किसी भी कर्मचारी को बैंक के अन्दर से बाहर जाने पर रोक लगा थी।

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इसके बाद जितने भी समय सीबीआई रही किसी को भी बैंक के अन्दर एंट्री नहीं करने दिया गया। सीबीआई और ईडी के अधिकारियों ने बैंक के अधिकारियों से उनके खातों से सम्बंधित जानकारियां जुटाई साथ ही बैंक लॉकर को भी खंगाला गया।

रोटोमैक के खाते सीज

कोटक महेंद्रा बैंक के अधिकारियों के मुताबिक रोटोमैक के खातों को सीज कर दिया है। इस सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा हम बातें नहीं बता सकते है। ईडी ने सीबीआई की एफआईआर को आधार बनाते हुए केस दर्ज कर लिया है। विक्रम कोठारी की संपत्तियों का पता लगाकर आकलन का काम शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही कोठारी के दिल्ली स्थित आवास को सील करने की बात सामने आ रही है। अभी तक विक्रम कोठारी के कुल 27 बैंकों का कर्जदार होने की जानकारी सामने आई है।

सीबीआई ने कहा अधिकारियों की हो सकती हैं मिलीभगत

सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल के अनुसार, बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल के निदेशक पर काफी फर्जी दस्तावेजों के सहारे 616.69 करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया है। इस साजिश में बैंक के भी अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है। बताया कि विक्रम कोठारी ने दो तरीके से बैंकों को चूना लगाया था। पहला उसने विदेश से आयात के लिए बैंकों से एडवांस में लोन लिया।

जबकि कंपनी विदेश से असलियत में कुछ आयात करती ही नहीं थी। इसके बाद में यह पैसा रोटोमैक कंपनी में वापस आ जाता था। दूसरी तरफ निर्यात का ऑर्डर दिखाकर बैंकों से लोन लिया जाता था, लेकिन निर्यात करने के बजाय कंपनी पैसे को दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर कर देती थी। यह सिलसिला पिछले 10 वर्षों से जारी था। कहा कि भारत और दूसरे देशों में ब्याज दर में अंतर के आधार पर निवेश कर भी कमाई की जाती थी।

अनुमान से ज्यादा का घोटाला

शुरुआती अनुमान लगभग 800 करोड़ रुपये के घोटाले का था, लेकिन सीबीआई जब कोठारी के कानपुर स्थित ठिकानों पर छापा मारने पहुंची, तो पता चला कि वे बैंक ऑफ बड़ौदा समेत सात बैंकों से कुल 2,919 करोड़ रुपये ले चुके हैं। ब्याज समेत यह रकम बढ़कर अब 3,695 करोड़ रुपये हो गई है। इतने बड़े घोटाले की भनक लगते ही ईडी भी सक्रिय हो गया और मनी लांडिंग का केस दर्ज कर छापे में सीबीआई के साथ शामिल हो गया।

बैंकों से लोन लेकर रियल एस्टेट में किया निवेश

सूत्रों के मुताबिक विक्रम कोठारी बैंकों से लोन लेकर रियल एस्टेट के सेक्टर में निवेश किया। जिसमें शहर के बड़े घराने साझेदार हैं। विक्रम की गिरफ्तारी होने के बाद से उनके साझीदारों में खलबली मची है। बताया जा रहा है कि कानपुर के कई रियल एस्टेट के प्रोजेक्ट में विक्रम कोठारी का पैसा लगा हुआ है। जानकारी यह भी आ रही है कि नामी बिल्डर विश्वनाथ गुप्ता समेत अन्य साझीदारों के साथ मिलकर उत्तराखंड में विक्रम कोठारी की ओर से खरीदी गई संपत्तियों को नीलाम करने की तैयारी बैंक ने शुरू कर दी है।

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