मोदी की सत्ता पर क़ाबिज़ होने की डगर आसान नहीं

संक्षेप:

  • पांच चरणों का चुनाव हो चुका है संपन्न
  • मोदी की साख दांव पर
  • 2014 के मुकाबले बीजेपी को मिल रही कड़ी टक्कर

By: मदन मोहन शुक्ला

लोकतंत्र का महाकुम्भ जारी है। पांच चरणों का मतदान सम्पन्न हो चुका है। यानि 425 सीटों के उम्मीदवारों का भाग्य ई0वी0एम0 मशीनों में कैद हो चुका है इंतजार है तो केवल 23 मई का जब वोट गिने जायेंगे। अब जो आगे के 2 चरण में मतदान 12 व् 19 मई को होना है। इसमें कुल 117 सीटों पर चुनाव होना है जिसमें मोदी की साख दांव पर लगी है क्योंकि यही,क्या मोदी अगले प्रधानमंत्री बनेंगे या नहीं?इसका रास्ता प्रशस्त करेगा।

अगर हम 2014 के चुनाव को देखें तो उसमें मोदी नाम की सुनामी ने कई राजनीतिक दलों की लुटिया डुबा दी थी। इसमें उ0प्र0 में मायावती की बसपा थी एक भी सांसद लोकसभा में नहीं जा पाया था। लेकिन आज हालात बदले है। आज मोदी नाम की कोई लहर नहीं है। 2014 के चुनाव में बी जे पी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था। साथ ही साथ मोदी ने कहा था अगर मोदी आ गया तो भ्रष्टाचारियों के खैर नहीं।

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2019 में इन दो नारों का क्या हश्र हुआ,कांग्रेस मुक्त भारत तो नहीं हुआ इसके उलट बीजेपी मुक्त ज़रूर हो गया रह गया मोदी युक्त। अब घर घर मोदी हर हर मोदी। इनकी हर जगह उपस्थीति भी 2014 वाले हालात पैदा नहीं कर पा रही क्योंकि जो जनता के सामने इनकी जबाबदेही है। जो देश के सामने मूलभूत मुद्दे हैं उनका जबाब मोदी देने के बजाय जनता को कभी धर्म के नाम पर तो कभी फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद के नाम पर भटका रहे है। यह नहीं बताया जा रहा है कि जो वादे 2014 में किये उनका क्या हुआ?

यही सब कारण है कि मोदी और बीजेपी को सत्ता जाने का डर सता रहा है तभी तो मोदी अपने पद की गरिमा को भूलकर शाब्दिक हमले में बेहद ही तीखे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे है और राजनीति की शालीनता को बेहद ही निम्न स्तर तक ले गए है। प्रधानमंत्री के पद की गरिमा धूमिल हुई है। आज स्थीति यह हो चली है मोदी जी चुनाव आयोग द्वारा लागू आचार संहिता को भूल गए है और खुलकर धमकी भरे अन्दाज़ में वोट मांग रहे हैं। मतदाता की भावनाओं का शोषण भी कर रहे हैं।गुजरात के पाटन की एक चुनावी रैली में मोदी ने कहा,"अगर गुजरात की जनता ने बीजेपी को सभी 26 सीटें नहीं दी तो मतदान के दिनसे ही यह चर्चा शुरू हो जायेगी की ऐसा क्यों हुआ?

यह दर्शाता है चुनाव को लेकर उनमे घबराहट है। यहाँ तक इनके मंत्री भी घबराये हुए है। इनके एक मंत्री बाबू गिरिराज सिंह एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री को आतंकवाद का समर्थक बता दिया। फिर कहा जुबान फिसल गई। मोदी की विकास यात्रा की पोल संबित पात्रा ने एक चुनावी रैली में कर दी। जब उन्होंने कहा आज उज्जवला योजना के तहत 8 करोड़ लाभार्थी है लेकिन उनमें से 85 फीसदी उ0प्र0,बिहार,राजस्थान,और मध्यप्रदेश में फिर से लकड़ी के चूल्हे पर खाना बना रहे हैं क्योंकि उनके पास सिलिंडर रिफिल कराने के पैसे नहीं। यहाँ रोजगार भी सीमित है।
बेरोजगारी के सवाल पर एक केंद्रीय मंत्री तथा वरिष्ठ बीजेपी के नेता राजीव प्रताप रूडी जो सारण बिहार से लोकसभा उम्मीदवार है कहतें है मैंने आज तक ऐसे एक भी व्यक्ति से मुलाकात नहीं की जिसने बेरोजगारी पर बात की हो।

जबकि वास्तिवकता यह है कि हर 24 घंटे में 27000 व्यक्ति रोजगार से बेदख़ल होता है जबकि चीन इतना रोजगार हर 24 घंटे में दे रहा है।
मजबूत नेता सच्चाई को वरीयता देता झूठ का सहारा नहीं लेता।लेकिन मोदी के साथ ऐसा नहीं है। यहाँ हिन्दू साम्प्रादायिकता की बात की जाती है तो कहा जाता है उन्हें मुस्लिम सम्प्रदायिकता से ऊर्जा मिल रही है और यह देश द्रोह की श्रेणी में आ जाता है। आज आम जनता मूलभूत मुद्दों पर सोच रही है। दलगत,जातिगत और हिन्दू बनाम मुस्लिम की घृणस्पद राजनीति से परे जाकर गरीबी ,बेरोजगारी ,किसानों की बदहाली पर सत्ताधारियों को दोषी मानती है। सत्ता के प्रति रोष ने ही मुमकिन और नामुमकिन के बीच में एक मोटी रेखा खींच दी है। इसके केंद्र में सबसे बड़ा कारण है सेना का राजनीतिकरण । सीकर में प्रधानमंत्री ने कहा"कांग्रेस कहती है 3 बार उसके समय में सर्जिकल स्ट्राइक हुई लगता है वीडियो गेम में सर्जिकल स्ट्राइक हुई।"यह क्या सेना का अपमान नहीं है।

हर्षवर्धन राठौर कहते हैं भारतीय सेना मोदी और अमित शाह के साथ खड़ी है। यह क्या आचार संहिता का उलंघन नहीं है। यही सब मोदी के लिए अगले तीन चरणों में होने वाले चुनाव में मुश्किले पैदा करने वाली है। आज 168 सीटों में से 116 पर बीजेपी का कब्ज़ा है।लेकिन आज हालात इससे अलग है । उत्तर प्रदेश में जो बीजेपी कांग्रेस पर सपा-बसपा का वोट काटने का इल्ज़ाम लगा रही है राहुल प्रियंका ने स्पष्ट कर दिया है हमारा उद्देश्य बीजेपी को हराना है जहाँ हम जीत नहीं सकते वहाँ हम सपा-बसपा की मदद करेंगे।

आज 41 सीटों में से 36 पर बीजेपी का कब्ज़ा है इन सीटों को बचाना बीजेपी के लिए आसान नहीं है।क्योंकि सत्ता के प्रति सुलगता रोष आज काम कर रहा।जो सीटें भा0ज0प0 खो सकती है वह है फैज़ाबाद जहाँ निर्मल खत्री कांग्रेस कैंडिडेट जो स्वयं ब्राह्मण है और उनकी इस समाज पर अच्छी पकड़ है जो बीजेपी के लिए मुश्किले पैदा कर सकते है।धौरहरा-जतिन प्रसाद 21 %अगड़ी जाती के वोट जो कांग्रेस की झोली में जा सकते है इसीलिए बीजेपी के लिए यहां से जीतना आसान नहीं।बाँदा जहाँ से कांग्रेस के उम्मीदवार बालकृष्ण पटेल (ददुआ के भाई) कुर्मियों के मजबूत नेता बीजेपी के आर के पटेल के लिए मुश्किलें खड़ा कर सकते है।

फतेहपुर में केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति की मुश्किलें गठबन्धन के उम्मीदवार सुखदेव प्रसाद के साथ कांग्रेस के राकेश सचान भी बढ़ा रहे हैं। कौशाम्बी सीट बीजेपी के विनोद सोनकर को गठबन्धन उम्मीदवार इंद्रजीत सरोज और कांग्रेस के गिरीश पासी के अलावा रघुराज प्रताप उर्फ़ राजा भैया की पार्टी से प्रत्याशी शैलेंद्र चतुष्कोरीय लड़ाई में फसाने की कोशिश में है। इसी तरह मोहनलालगंज जहाँ कांग्रेस पूरे दमखम के साथ बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी।

मध्यप्रदेश में 23 में से 22 सीटें बीजेपी के पास है केवल गुना की सीट कांग्रेस के पास थी आज ग्वालियर,रीवा,गुना,खंडवा, जहाँ कांग्रेस कड़ी टक्कर देगी। झारखण्ड में 11 सीटें जहाँ कांग्रेस-जे0एम0एम0 कंबाइन बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ा करेगा। जो भी सीटें मिलेगी मोदी की वजह से मिलेगी सी0एम0 की भूमिका जीरो है।

बिहार में 21 सीटों में से 16 पर बीजेपी का कब्ज़ा है लेकिन आज गठबन्धन की वजह से सीटों का नुकसान होगा। बिहार के पांचवे चरण के चुनाव में लालू-राबड़ी,रामबिलास पासवान और हुकुमदेव नारायण यादव की साख जुड़ी है।  हिमाचल प्रदेश की चार सीट पर एक बार फिर से बीजेपी का कब्ज़ा होगा। इसी तरह हरियाणा में भी 11 सीट पर आप से सीधी टक्कर है लेकिन बीजेपी मजबूत स्थिति में है क्योंकि वहाँ के मुख्यमंत्री का ग्राउंड वर्क काफी अच्छा है।

पंजाब जहाँ कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री है कांग्रेस की यहाँ 13 सीटों पर मजबूत दावेदारी है। राजस्थान में 12 में से 12 बीजेपी के पास थी। लेकिन आज बीकानेर,सीकर,नागौर,चुरू, मिलाकर 8 सीटें कांग्रेस बीजेपी से छीन सकती है। दिल्ली जहाँ कांग्रेस ने आप से अलायन्स न करके कम से कम चार सीटें बीजेपी के झोली में डाल दी केवल दो सीटों एक जिस पर शीला दीक्षित जो वहाँ की सी0एम0 भी रही है तथा दूसरी चांदिनी चौक की सीट कांग्रेस को मिल सकती बाकी पर बीजेपी मजबूत दावेदारी रखती है।

इसका सार यही निकलता है कि मोदी को सरकार बनाने के लिए कम से कम 100 सीटें चाहिये जो मुश्किल लगता है फिलहाल मोदी के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है। एक और चीज़ मोदी के खिलाफ जा रही है । 23 मई जिस दिन मतों की गिनती होनी है उस दिन ग्रहों की स्थीति मोदी के अनुकूल नहीं है शनि राजा धनु राशि में जो 23 मई को वक्रीय है साथ साथ बृहस्पति भी वक्रीय तथा चन्द्रमा नीच का है जो मोदी को मानसिक असन्तुष्टि देगा। इस महाकुम्भ के पर्व में लोकतंत्र वैतरणी में किसकी नाव डूबेगी और किसकी नाव पार लगेगी। इसके लिए 23 मई तक इंतजार करना होगा।

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