राम मंदिर निर्माण के लिए 70 हजार घन फीट शिलाएं तैयार, अभी तय करना है लंबा सफर

संक्षेप:

  • रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण में 12 लाख घन फीट शिलाएं प्रयुक्त होनी हैं
  • चार लाख घन फीट शिलाएं नींव में और इतनी ही शिलाएं परकोटा तथा मंदिर के मुख्य भवन में लगेंगी
  • रामघाट स्थित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में 70 हजार घन फीट शिलाएं तराशी जा चुकी हैं

अयोध्या: रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण में 12 लाख घन फीट शिलाएं प्रयुक्त होनी हैं। चार लाख घन फीट शिलाएं नींव में और इतनी ही शिलाएं परकोटा तथा मंदिर के मुख्य भवन में लगेंगी। रामघाट स्थित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में 70 हजार घन फीट शिलाएं तराशी जा चुकी हैं। बाकी शिलाओं की तराशी के लिए रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को युद्धस्तर पर प्रयत्न करना है। प्रस्तावित मंदिर 360 फीट लंबा एवं 235 फीट चौड़ा है। इस परिधि में नींव खनन का कार्य गत 15 जनवरी से ही चल रहा है। समझा जाता है कि इसी महीने के अंत तक या अगले माह की शुरुआत तक नींव खनन का काम पूरा हो जाएगा और इसी के साथ ही नींव की भराई का काम शुरू होगा।

नींव की भराई में चार लाख घन फीट शिलाएं प्रयुक्त होनी हैं। यह आकार-प्रकार में तो सुनिश्चित माप की होंगी, पर इनमें नक्काशी की जरूरत नहीं है। सूत्र बताते हैं कि अगले सप्ताह से ही नींव में स्थापित होने वाली शिलाएं रामजन्मभूमि परिसर में पहुंचनी शुरू हो जाएंगी। अब तक की तैयारियों से माना जाता है कि आगामी पांच अगस्त को जब राममंदिर निर्माण के भूमि पूजन की प्रथम वर्षगांठ मनाई जा रही होगी, तब तक नींव की भराई का काम पूरा हो चुका होगा। इसके बाद मंदिर निर्माण पूर्ण करने की घोषित अवधि में 27 माह का समय बचा होगा और इस अवधि में तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को जो सबसे पहला काम करना है, वह अपेक्षित मात्रा में तराशी गई शिलाओं का प्रबंध है। शिलाओं की तराशी का काम काफी बारीक और समय साध्य माना जाता है। जिस रामघाट कार्यशाला में 70 हजार घन फीट शिलाएं तराशी गई हैं, वह तीन दशक पूर्व से संचालित है।

इस समीकरण के अनुसार तो बाकी बची शिलाओं की तराशी में कई दशक लग सकते हैं, पर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने यह जरूरत पूरी करने के लिए व्यापक तैयारी कर रखी है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय देश के कई शीर्ष शिल्पियों के संपर्क में हैं और उनके सुझाव पर तय समय के भीतर मंदिर निर्माण से पूर्व शिलाओं की तराशी पूरी होनी है। शिलाओं की तराशी के काम में मशीनों का भी प्रयोग किया जाएगा, जबकि कुछ अति बारीक नक्काशी के लिए बड़ी संख्या में विशेषज्ञ कारीगर रहेंगे।

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