यूपी में गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए ‘अफोर्डेबल हाउसिंग उपविधि-2021’ को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी

संक्षेप:

  • प्रदेश में सस्ता मकान देने की योगी सरकार की योजना।
  • गरीबों को ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, मिनी एमआईजी व एमआईजी मकान कम कीमत पर होंगे उपलब्ध।
  • गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए कंसल्टेंट चयन को भी मंजूरी।

लखनऊ- गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों को सस्ते मकान देने के वादे को पूरा करने के लिए योगी सरकार ने ‘अफोर्डेबल हाउसिंग उपविधि-2021’ को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दिला दी है। इससे अब बिल्डरों को शहरों में कम जमीन पर अधिक ऊंची इमारत व मकान बनाने के साथ अधिक प्लाट काटने की सुविधा मिलेगी।

प्रदेश में सस्ता मकान देने को लेकर कोई योजना न होने की वजह से बहुत से गरीब लोग मकान नहीं खरीद पा रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने सस्ता मकान दिलाने का वादा किया था। इसी क्रम में आवास विभाग ने अफोर्डेबल हाउसिंग उपविधि-2021 तैयार की। इसी नीति को मंजूरी मिलने से अब प्रदेश में जहां कम जमीन पर अधिक मकान बनाये जा सकेंगे, वहीं गरीबों को ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, मिनी एमआईजी व एमआईजी मकान कम कीमत पर उपलब्ध होंगे। इस नीति के लागू होने से अनाधिकृत कालोनियों की बढ़ती संख्या पर भी लगाम लगेगी।

प्लाट डवलपमेंट के लिए न्यूनतम 3000 वर्ग मी.
इस उपविधि के मुताबिक प्लाट डवलपमेंट योजना के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल 3000 वर्ग मीटर रखा गया है। इस पर ईडब्लूएस के 30-35 वर्ग मीटर, एलआईजी 35-50 वर्ग मीटर और अन्य वर्ग के 50-150 वर्ग मीटर के प्लाट बेंचे जा सकेंगे। इन पर मकान बनाने के लिए फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) दोगुना कर दिया गया है। ईडब्ल्यूएस के लिए डेंसिटी 250 इकाइयां प्रति हेक्टेयर, एलआईजी 200 इकाइयां प्रति हेक्टेयर व और अन्य वर्ग में 150 इकाइयां प्रति हेक्टेयर की गई है।

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ग्रुप हाउसिंग के लिए न्यूनतम 2000 वर्ग मी.
ग्रुप हाउसिंग परियोजना को न्यूनतम क्षेत्रफल 2000 वर्ग मीटर में विकसित करने की सुविधा दी गई है। कारपेट एरिया 25 से 30 वर्ग मीटर, एलआईजी 30-40 वर्ग मीटर और अन्य वर्ग के लिए 40-90 वर्ग मीटर की सुविधा दी गई है। इन मकानों को बनाने के लिए अलग-अलग मानक तय किए गए हैं। निर्मित क्षेत्र में 18 मीटर से कम चौड़ी सड़क पर 1.75 फीसदी  और 18 मीटर से अधिक चौड़ी सड़क पर दो फीसदी एफएआर की सुविधा दी गई है। विकसित क्षेत्र में 18 मीटर से कम चौड़ी सड़क पर दो फीसदी और इससे अधिक चौड़ी सड़क पर 2.25 फीसदी एफएआर की सुविधा दी गई है।

बंधक नहीं रखनी होगी जमीन
ग्रुप हाउसिंग के लिए पहुंच मार्ग भी तय कर दिया गया है। 10 एकड़ वाली योजनाओं के लिए 12 मीटर चौड़ी सड़क, 10 से 25 एकड़ के लिए 18 मीटर और 25 एकड़ से अधिक के लिए 24 मीटर चौड़ी सड़क होनी चाहिए। रेरा में पंजीकरण कराने वाले बिल्डर को 20 फीसदी जमीन बंधन रखने की अनिवार्यता से मुक्त रखा जाएगा।

पार्किंग की व्यवस्था
ईडब्ल्यूएस के मकानों में दो पहिया वाहन के लिए प्रत्येक इकाई में दो वर्ग मीटर स्थान आरक्षित करना होगा। एलआईजी में चार वर्ग मीटर और अन्य वर्ग में प्रति कार पार्किंग के लिए 75 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल आरक्षित करना होगा। साथ ही विजिटर पार्किंग की व्यवस्था करनी होगी।

गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए कंसल्टेंट चयन को मंजूरी

गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना को लागू करने के लिए विशिष्ट परामर्शी के रूप में सेवाएं लिए जाने के लिए नॉमिनेशन के आधार पर मेसर्स एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड को रखने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। यह परियोजना पीपीपी मॉडल पर काम के लिए चुनी गई है। सरकार के प्रवक्ता केअनुसार, प्रारंभिक डीपीआर तैयार हो चुकी है। वित्तीय प्रबंधन, मॉनीटरिंग और वायबिलिटी गैप फंड के आकलने के लिए कंसल्टेंट का चयन जरूरी है। एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड को महाराष्ट्र में एक्सप्रेस-वे बनाने का अनुभव है। इसके चयन से प्रोजेक्ट की रफ्तार को काफी गति मिलेगी।

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे : सीएनजी स्टेशन के लिए 2500 वर्ग मीटर जमीन
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के चेनेज-218 पर सीएनजी स्टेशन की स्थापना के लिए मेसर्स टोरेंट गैस प्राइवेट लिमिटेड को 2500 वर्ग मीटर भूमि लीज पर दिए जाने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। यह जमीन 200 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से दी जाएगी। सीएनजी स्टेशन लगाने में लागत ज्यादा आती है और फिलहाल खपत कम है। इसलिए अन्य पेट्रोल पंपों के मुकाबले सीएनजी स्टेशन के लिए भूमि की दरें कम रखी गई हैं।

ज्वॉइंट बीडीओ और बीडीओ को पदोन्नति में मिलेगी रियायत

ग्राम्य विकास विभाग में संयुक्त खंड विकास अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों की पदोन्नति में सेवा अवधि की शर्त में रियायत दी जाएगी। ग्राम विकास अधिकारी से संयुक्त खंड विकास अधिकारी पद तक 20 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले अधिकारियों को खंड विकास अधिकारी के पद पर पदोन्नति मिलेगी। वहीं ग्राम विकास अधिकारी से एडीओ तक 16 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले अधिकारियों को संयुक्त खंड विकास अधिकारी के पद पर पदोन्नति मिलेगी। योगी कैबिनेट ने बुधवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन प्रादेशिक विकास सेवा संवर्ग के तहत खंड विकास अधिकारी की सेवा नियमावली और उत्तर प्रदेश संयुक्त खंड विकास अधिकारी (अराजपत्रित) सेवा नियमावली 1992 में संशोधन के  प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

ग्राम्य विकास विभाग में बीडीओ के 428 पद सीधी भर्ती से भरे जाते हैं जबकि 429 पद सहायक विकास विकास की पदोन्नति से भरे जाते है। पदोन्नति कोटे के 429 में से 242 पद लंबे समय से खाली पड़े है। अभी तक बीडीओ के लिए संयुक्त खंड विकास अधिकारी पद पर दो वर्ष और एडीओ पद पर सात वर्ष की सेवा का अनुभव आवश्यक था। इसी प्रकार एडीओ के पद पर सात वर्ष की सेवा पूरी करने वालों को ही संयुक्त खंड विकास अधिकारी पद पर ही पदोन्नति मिल सकती है। सेवा अवधि की शर्त के अनुसार पात्र अधिकारी नहीं मिलने से ज्वॉइंट बीडीओ और बीडीओ में पदोन्नति कोटे के पद खाली पड़े है।

मऊ में एटीएस अधिकारियों के स्टाफ कार्यालय के लिए जमीन स्वीकृत
कैबिनेट ने मऊ जिले में एटीएस के अधिकारियों के लिए स्टाफ कार्यालय, फील्ड इकाई के भवन और कमांडो के  बैरक के लिए जमीन आवंटन को हरी झंडी दे दी है। मऊ की सदर तहसील के परदहां गांव में 3013 वर्ग मीटर एरिया में फील्ड इकाई का निर्माण किया जाएगा। जमीन के आवंटन का प्रस्ताव बुधवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूर किया गया।

विधानमंडल के मानसून सत्र का सत्रावसान
राज्य विधानमडंल के दोनों सदनों का सत्रावसान कर दिया गया है। बुधवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन विधान सभा व विधान परिषद के मानसून सत्र के सत्रावसान संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। गौरतलब है कि विधानमंडल का मानसून सत्र 17 से 19 अगस्त तक चला था। इसमें अनुपूरक बजट पास कराया गया था।

16 जिलों में पीपीपी मोड में मेडिकल कॉलेज खोलने को हरी झंडी

प्रदेश के 16 असेवित जिलों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में मेडिकल कॉलेज खोलने को हरी झंडी मिल गई है। सरकार ने बुधवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन इन कॉलेजों के लिए निजी क्षेत्र की इकाई को वित्तीय और गैर वित्तीय सहायता के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

बागपत, बलिया, भदोही, चित्रकूट, हमीरपुर, हाथरस, कासगंज, महराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मऊ, रामपुर, संभल, संतकबीरनगर, शामली और श्रावस्ती में पीपीपी मोड में मेडिकल कॉलेज खुलेंगे। इन सभी जिलों में शासकीय व निजी क्षेत्र का कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है।

सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन राजकीय मेडिकल कॉलेजों और स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों में एमसीआई के मानकों की पूर्ति एवं चिकित्सालय के संचालन के लिए न्यूनतम आवश्यक मानव संसाधन के लिए पदों के सृजन के मानदंड तय करने संबंधी प्रस्ताव को पास कर दिया। इसके तहत हर मेडिकल कॉलेज में 51 फैकल्टी और लगभग 1300 कर्मचारियों की नियुक्ति अनिवार्य की गई है।

पुराने भवनों का होगा ध्वस्तीकरण
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायबरेली के कार्यस्थल में मौजूद पुराने भवनों का ध्वस्तीकरण किया जाएगा। इससे संबंधित प्रस्ताव को भी कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई है।

बढ़ेगी लागत
कैबिनेट ने स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय अयोध्या की पुनरीक्षित परियोजना के लिए व्यय के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। महाविद्यालय के लिए वर्ष 2017 में 195 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसे बढ़ाकर 200 करोड़ से अधिक कर दिया गया है।

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