शपथ ग्रहण कुमारस्वामी का लेकिन इतिहास रच गए बुआ-बबुआ

संक्षेप:

  • कुमारस्वामी बने कर्नाटक के `किंग`
  • एक मंच पर साथ दिखे अखिलेश-मायावती
  • कुमारस्वामी के मंच पर विपक्षी दिग्गजों का जमघट

लखनऊः लोकसभा चुनाव में भले ही एक साल का वक्त है, पर देशभर में राजनीति के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में भारतीय राजनीति की एक ऐतिहासिक तस्वीर दिखी. यूं तो शपथ ग्रहण का यह मंच विपक्षी एकता का गवाह बना, लेकिन चर्चा का विषय समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के सबसे बड़े नेताओं का मंच साझा करना रहा. 1995 में लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड के बाद सपा-बसपा के बीच बनी दुश्मनी बेंगलुरु में 25 साल बाद दोस्ती में तब्दील होती दिखी. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती एक मंच पर दिखे.

गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के बाद दोनों नेताओं की यह दूसरी बैठक है. गोरखपुर उपचुनाव के दौरान भी अखिलेश और मायावती की गठबंधन को लेकर मुलाकात हुई थी, लेकिन यह मुलाकात सार्वजनिक मंच पर नहीं हुई. लेकिन बेंगलुरु में दोनों नेता एकसाथ एक ही मंच पर नजर आए.

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अखिलेश और मायावती के एकसाथ आने पर राजनीतिक विश्लेषक इसे यूपी के कैराना में होने वाले उपचुनाव को लेकर एक नई रणनीति के तौर पर देख रहे हैं. हालांकि कैराना चुनाव को लेकर कांग्रेस, सपा और बीएसपी अपनी-अपनी रणनीति घोषित कर चुके हैं. 25 साल बाद यह पहला मौका है जब सपा-बसपा के नेताओं ने मंच साझा किया है. अखिलेश-मायावती के अलावा शपथ ग्रहण समारोह में 11 विपक्षी दलों के नेता एक मंच पर आए हैं.

महामोर्चे की तैयारी

राजनीतिक विश्लेषक इसे महामोर्चे की तैयारी मान रहे हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सीपीआई महासचिव सीताराम येचुरी के बीच भी मनमुटाव किसी से छिपा नहीं है, लेकिन कर्नाटक में ये दोनों नेता भी साथ नजर आए. राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख अजित सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, आरेजडी नेता तेजस्वी यादव समेत कई बड़े नेताओं ने आपस में हाथ बांधकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया.

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