अयोध्या केस: 'मंदिर मानने के लिए मूर्ति होना जरूरी नहीं, केदारनाथ-चित्रकूट हो ही ले लीजिए'
- अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चौथे की दिन की सुनवाई जारी है.
- सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इसकी सुनवाई कर रही है. रामलाल विराजमान की ओर से वरिष्ठ वकील के परासरण ने बहस की शुरुआत की.
- मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने मामले में हफ़्ते के पांच दिन सुनवाई होने की खबर पर सुप्रीम कोर्ट से स्थिति स्पष्ट करने को कहा
अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चौथे की दिन की सुनवाई जारी है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इसकी सुनवाई कर रही है. रामलाल विराजमान की ओर से वरिष्ठ वकील के परासरण ने बहस की शुरुआत की. तो मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने मामले में हफ़्ते के पांच दिन सुनवाई होने की खबर पर सुप्रीम कोर्ट से स्थिति स्पष्ट करने को कहा. धवन ने कहा वे इस तरह रोज़ सुनवाई में असमर्थ हैं, उन्हें केस मे बहुत रिसर्च करना होगा और पढ़ना होगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनकी बात सुन ली गई है, उन्हें बताया जाएगा
वहीं, रामलला विराजमान की ओर से वकील के परासरन ने कहा कि किसी जगह को मंदिर के तौर पर मानने के लिए वहां मूर्ति होना ज़रूरी नहीं है. हिंदू महज किसी एक रूप में ईश्वर की आराधना नहीं करते. अब केदारनाथ मंदिर को ही ले लो, वहां कोई मूर्ति नहीं है. परासरण ने आगे कहा कि यहां तक कि पहाड़ो की भी देवरूप में पूजा होती है. उन्होंने तिरुवन्नमलाई और चित्रकूट में होने वाली परिक्रमा का उदाहरण दिया. अयोध्या में मूर्ति रखे जाने व मंदिर स्थापित होने से बहुत पहले से वहां श्रीराम की पूजा होती रही है.
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