जितिन के कमल थामने से भाजपा को इन तीन सीटों पर मिल सकता है जनता का ‘प्रसाद’

संक्षेप:

  • पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने से हो सकता है बड़ा फायदा
  • भाजपा को मिल सकता है ब्राह्मण वोटरों का साथ
  • जितिन प्रसाद की ब्राह्मण वोटरों पर मानी जाती है अच्छी पकड़

भाजपा में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के शामिल होने से जिले की राजनीति में आने वाले दिनों में बड़ा असर पड़ेगा। राजनीतिक गलियारों में अभी से इसके कयास लगने शुरू हो गए हैं। सियासी दांव पेंच में माहिर नेताओं ने नफा-नुकसान का आंकलन तेज कर दिया है। लब्बोलुवाब यही निकलकर सामने आ रहा है कि जितिन भाजपा के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकते हैं। वजह, वह जिले की ब्राह्मण बहुल तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा की नैया के खेवनहार हो सकते हैं। महोली, सेवता और सदर विधानसभा क्षेत्रों में ब्राह्मण वोटर किसी भी दल को हराने-जिताने की पोजीशन में हैं।

जितिन प्रसाद की ब्राह्मण मतदाताओं में अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में 2022 को सेमीफाइनल मानकर चल रही भाजपा के जिले के नेता जितिन से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद संजोने लगे हैं। जितिन प्रसाद को पार्टी में ज्वॉइन कराकर भाजपा ने जो ब्राह्मण कार्ड खेला है, उसका लाभ सीतापुर में भी पार्टी को अच्छा खासा मिलने की उम्मीद है। जिले में सदर, महमूदाबाद, सिधौली, सेवता, हरगांव, मिश्रिख, महोली, लहरपुर और बिसवां विधानसभा क्षेत्र हैं। यूं तो सभी सीटों पर ब्राह्मण वोटर हैं, लेकिन सदर, सेवता और महोली पर इस बिरादरी के वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है। तीनों सीटों पर ब्राह्मण वोटर किसी भी दल को हराने जिताने की कूबत रखते हैं।

फिलहाल, सत्ताई दल भाजपा के पास जिले में कोई भी ऐसा कद्दावर ब्राह्मण नेता नहीं था, जिसकी एक क्षेत्र विशेष के अलावा बाहरी पकड़ हो। इस श्रेणी में पूर्व सांसद जर्नादन मिश्र हैं, लेकिन वृद्धा अवस्था के चलते वह राजनीतिक तौर पर सक्रिय नहीं हैं। जितिन के आने से जिले में सत्ताई दल ने ब्राह्मण नेता की रिक्तता पूरी कर ली है। एक तो जितिन पड़ोसी जिले शाहजहांपुर के मूल निवासी हैं, दूसरे वह जिले से ताल्लुक रखने वाली धौरहरा लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं।

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