CAA Protest: UP Police को NHRC ने भेजा नोटिस, डीजीपी से मांगा हिंसा के दौरान मौतों पर जवाब

संक्षेप:

  • हिंसा के दौरान हुई मौतों को लेकर यूपी पुलिस को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की तरफ से नोटिस भेजी गई है.
  • एनएचआरसी ने चार हफ्तों में डीजीपी ओपी सिंह से जवाब मांगा है.
  • नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन में यूपी में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है.

लखनऊ: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में लखनऊ में हिंसा के आरोपियों से क्षतिपूर्ति वसूलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रशासन की ओर से गठित कमिटी ने 100 आरोपियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। उधर, हिंसा के दौरान हुई मौतों को लेकर यूपी पुलिस को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की तरफ से नोटिस भेजा गया है। एनएचआरसी ने चार हफ्तों में डीजीपी ओपी सिंह से जवाब मांगा है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन में यूपी में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है।

सीएए का विरोध करते हुए 19 दिसंबर को लखनऊ के खदरा, हुसैनाबाद और परिवर्तन चौक पर तोड़फोड़, पथराव और आगजनी हुई थी। जिला प्रशासन की ओर से गठित कमिटी ने 100 आरोपियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। एक हफ्ते के अंदर उन्हें संबंधित एडीएम कोर्ट में खुद को बेगुनाह साबित करना होगा। ऐसा न कर पाने की स्थिति में उपद्रव के दौरान हुए नुकसान की भरपाई करनी होगी। क्षतिपूर्ति जमा न करने वालों की संपत्ति सीज करने के साथ ही उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है।

मेरठ में 141 प्रदर्शनकारियों को भेजी गई नोटिस

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मेरठ प्रशासन ने भी हिंसा और तोड़फोड़ के आरोपियों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। 20 दिसंबर को मेरठ में हुए हिंसक प्रदर्शन में तोड़फोड़ और आगजनी के 141 लोगों को नोटिस भेजकर प्रशासन ने 14 लाख रुपये की सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने को कहा है। स्थानीय पुलिस ने 13 एफआईआर के जरिए आरोपियों की पहचान की है।

हाई कोर्ट के 2010 में आदेश के तहत कार्रवाई

पुलिस ने सीसीटीवी और विडियो फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है कि पब्लिक प्रॉपर्टी की क्षतिपूर्ति के लिए उनकी संपत्ति क्यों न जब्त की जाए। यह नोटिस हाई कोर्ट के 2010 के आदेश के अनुसार भेजी गई है जिसमें कहा गया है कि हिंसा में शामिल लोगों से वसूली कर सार्वजनिक संपत्ति की भरपाई की जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद जिला प्रशासन तुरंत ऐक्शन में दिखाई दे रहा है। इससे पहले 21 दिसंबर को जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने चार सदस्यीय कमिटी गठित की जिसमें पूर्वी, पश्चिम और ट्रांस गोमती क्षेत्र के एडीएम व एडीएम (ग्रामीण) को शामिल किया गया था। इन्हें आरोपियों की पहचान करने और उन्हें नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया था।

नोटिस भेजकर 7 दिन में मांगा जवाब

एडीएम ट्रांस गोमती विश्वभूषण मिश्रा ने बताया कि स्थानीय पुलिस द्वारा फाइल किए गए सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हिंसा फैलाने वालों की पहचान की गई और उन्हें नोटिस भेजकर सात दिनों के अंदर विस्तृत जवाब देने को कहा गया है। उन्होंने बताया, `अगर वह जवाब देने में असफल रहते हैं तो एक रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।` लखनऊ डीएम अभिषेक प्रकाश ने पूरी प्रकिया में एक महीने का वक्त लगेगा।

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