सीएम योगी ने कहा- 2017 के पहले विद्यालय में विद्यार्थी तक नहीं आते थे, अब सरकारी स्कूलों में मिलती है कान्वेंट जैसी शिक्षा

संक्षेप:

  • सीएम योगी ने कहा- अब सरकारी स्कूलों में कॉन्वेंट जैसी शिक्षा।
  • पहले विद्यालय में कहीं शिक्षक तो कहीं विद्यार्थी होते थे लापता।
  • पांच साल में सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के कदम उठाए।

लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 से पहले बेटियां नगें पैर स्कूल जाती थी, स्कूल भवनों की छतों पर पेड़ उगे रहते थे, बच्चे स्कूल जाते थे तो पता नहीं चलता था कि स्कूल है बगीचा। स्कूलों में कहीं शिक्षक थे तो विद्यार्थी नहीं थे कहीं विद्यार्थी थे तो शिक्षक नहीं थे। उन्होंने कहा कि बीते पांच वर्ष में प्रदेश सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कदम उठाए तो आज सरकारी स्कूलों में कान्वेंट जैसी शिक्षा मिल रही है। मुख्यमंत्री ने सोमवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में परिषदीय स्कूलों के 1.91 करोड़ बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते में स्कूल यूनिफार्म, स्कूल बैग, जूता-मोजा, स्वेटर और स्टेशनरी के लिए 1200 रुपये हस्तांतरित किए। कार्यक्रम में प्राथमिक विद्यालयों में गणित और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में गणित एवं विज्ञान किट वितरण की शुरुआत की गई। वहीं सर्वोच्च स्वच्छता वाले विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और ग्राम प्रधानों को सम्मानित किया गया।

शिक्षक व शिक्षा अधिकारियों को सीएम ने किया संबोधित

शिक्षकों और शिक्षा अधिकारियों से खचाखच भरे जुपिटर हॉल में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच वर्ष में परिषदीय विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या 1.34 करोड़ से बढ़कर 1.91 करोड़ हो गई है। सरकार की ओर से हर स्कूली बच्चे को यूनिफार्म, जूते मोजे, स्कूल बैग, स्वेटर, कापियां और स्टेशनरी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि परिषद का हर विद्यार्थी इस बात पर गौरव महसूस करता है कि मैं भी किसी पब्लिक और कान्वेंट स्कूल की तर्ज पर अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का हकदार हूं।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते पांच वर्ष में परिषदीय स्कूलों में एक लाख 62 हजार शिक्षकों की तैनाती की गई है।  वहीं ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से विद्यालयों में केंद्र और राज्य सरकार के साथ जन प्रतिनिधियों, अधिकारियों, पुरातन छात्रों ने मिलकर विद्यालयों का कायाकल्प किया है। बहुत सारे विद्यालय आज दर्शनीय हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 से पहले  परिषदीय  स्कूलों की क्या हालत थी यह सब जानते हैं। वहीं बीते पांच वर्ष में शिक्षकों और शिक्षा अधिकारियों ने जो मेहनत की है उसी का परिणाम है कि आज बेसिक शिक्षा परिषद विश्वास का प्रतीक बन गया है।

कोरोना से शिक्षा प्रभावित हुई, लेकिन रूकी नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा शिक्षा क्षेत्र  प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि लेकिन सरकार ने शिक्षा को रुकने नहीं दिया। डिजिटल शिक्षा, ऑनलाइन शिक्षा के साथ दूरदर्शन और आकाशवाणी से भी पठन पाठन की व्यवस्था की गई।

’नौ सौ से अधिक विद्यालयों को मिली फाइव रेटिंग’

भारत सरकार द्वारा स्वच्छता और साफ-सफाई के लिए विद्यालयों को प्रोत्साहित करने के लिए स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार दिए जा रहे हैं। इसमें प्रदेश के नौ सौ से अधिक विद्यालयों को फाइव स्टार रेटिंग मिली है। इसमें से सर्वश्रेष्ठ 26 विद्यालयों को राज्य स्तर पर पुरस्कृत किया जा रहा है। इसमें से नौ विद्यालयों को मुख्यमंत्री ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने विद्यांजलि कायाकल्प पोर्टल को भी लांच किया। उन्होंने आधारशिला क्रियान्वयन संदर्शिका पुस्तक का विमोचन किया। इसी के साथ 6 लाख शिक्षकों का प्रशिक्षण शुरू हो गया। कार्यक्रम में महिला कल्याण एवं बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्या, माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार गुलाब देवी, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह भी मौजूद थे।

अभिभावकों को नकारात्मक न बोलें

मुख्यमंत्री ने परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को सीख देते हुए कहा कि शिक्षक, अभिभावकों से नकारात्मक न बोलें। उन्होंने कहा कि बच्चे का रिपोर्ट कार्ड अच्छा न हो तो अभिभावक से नकारात्मक बात करने की जगह कहें कि बच्चे में धीरे धीरे सुधार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्चा यदि पढ़ने में कमजोर है तो उसे मजबूत बनाने की जिम्मेदारी शिक्षकों की है।

कभी आंगनबाड़ी केंद्र भी जाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक कभी कभी खुद भी आंगनबाड़ी केंद्र जाएं और अपने बच्चों को भी लेकर जाएं। उन्होंने कहा कि अपने परिवार के बच्चों को सोसायटी से जोड़कर समाज जीवन की जानकारी दें, क्योंकि सोसायटी से दूर हुए बच्चे त्रिशुंक हो जाते है।

तकनीक के साथ संवेदना भी जरुरी

मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को तकनीकी ज्ञान देना बहुत जरुरी है लेकिन उसके साथ उनमें परिवार, राष्ट्र और समाज के प्रति संवेदना भी पैदा करनी आवश्यक है।

सीएम ने सात दिन पहले ही पूरी कर दी थी कृति दुबे की मुराद

कन्नौज के बिरतिया की रहने वाली पांच साल की कृति दुबे ने प्रधानमंत्री को चिट्टी भेजकर स्कूल में पेंसिल खो जाने पर दोबारा मां से पेंसिल मांगने पर मारने की शिकायत की है। लेकिन कृति दुबे को पता ही नहीं है कि उसकी इस समस्या का समाधान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ सात दिन पहले से समाधान कर चुके हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री ने सात दिन पहले ही बेसिक शिक्षा परिषद के बच्चों को कापी, पेंसिल, रबड़, कटर के लिए भी 100 रुपये दिए है। अब कृति को स्कूल में पेंसिल खो जाने पर दोबारा पेंसिल मांगने पर मां से मार नहीं खानी पड़ेगी।

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