काश! भारत में सरकारें व्लादिमीर पुतिन के विकास कार्यक्रमों का नकल करती!

संक्षेप:

  • व्लादिमीर पुतिन चौथी बार बने रूस के राष्ट्रपति
  • रूस के लोगों के नागरिक जीवन का एक झलक
  • भारत की सरकारों को रूस की राजनीति से सीख लेनी चाहिए

-अभिजीत पाठक
व्लादिमीर पुतिन रूस में तकरीबन 75 फीसदी लोगों का वोट लेकर चौथी बार रूस के राष्ट्रपति बन गए हैं। ऐसे में इस बात का विश्लेषण किया जाना चाहिए कि भारत की सरकारें व्लादिमिर पुतिन की तरह 2 दशक की बात तो दूर दो आम चुनाव भी लगातार नहीं जीत पाती। 1999 से 2018 के बीच में व्लादिमीर पुतिन का एकछत्र राज्य बरकरार है और भारत में तीन नए पीएम नियुक्त किए जा चुके हैं। ऐसे में एक सवाल ये उठता है कि क्या भारत के लोग अपने राजनेताओं पर रूस की तरह विश्वास क्यों नहीं करती और आम चुनावों में दोबारा उन्हें क्यों चुनना नहीं चाहती।

भारत में मौजूदा सरकार कुछ हद तक विकास कार्यों और योजनाओं का राग अलाप रही है तो बहुत सारी विफलताएं इसके दामन पर लगे दिखाई दे रहे हैं।

आइए जानते हैं कि रूस के लोगों का नागरिक जीवन भारत से कितना अलग है।

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- रूस के ज्यादातर लोगों का जीवन स्तर मानव विकास सूचकांक के आंकड़ों के हिसाब से सुधरा है।

-रूस ने गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में बड़े स्तर पर काम किया है और वहां पर बहुत कम लोग गरीब हैं।

- लोगों की सैलरी बहुत जल्दी नहीं बदलती लेकिन रोजगार दिलाने में सरकार की तरफ से प्राथमिकता बरती जाती है।

- लोगों के जीवन स्तर में हर रोज सुधार हो रहा है

- कंपनी के अब पूरे देश में 14 स्टोर हैं. इनमें से तीन अकेले मॉस्को के आसपास हैं.

- रूस के इंटरनेट के अपने दिग्गज हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीके सबसे ज्यादा यूजर्स वाली साइट है जिसके फेसबुक के दो करोड़ यूजर्स के मुकाबले 9 करोड़ यूजर्स हैं.

- 2012 में राष्ट्रपति बनने से पहले पुतिन ने जन्म दर बढ़ाने के लिए करीब 34 खरब रुपये खर्च करने का प्रस्ताव किया था.

- अन्य जगहों की तरह वेबसाइट्स के आने से लाइब्रेरी की तरफ लोगों की रूचि कम हुई है.

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