डिम्पल यादव नहीं लड़ेंगी चुनाव, अखिलेश के बयान पर उठे कई सवाल

संक्षेप:

  • जानिए डिम्पल यादव के कुछ दिलचस्प पहलू
  • कैसे डिम्पल यादव बनीं राजनीति की मंझी खिलाड़ी
  • यूपी विधानसभा चुनाव और लोकसभा में योगदान

लखनऊ : डिम्पल यादव इस अब चुनाव नहीं लड़ेगी। अखिलेश यादव के इस बयान के बाद कई सवाल उठने लगे हैं। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि ऐसा अखिलेश यादव ने पार्टी में परिवारवाद नहीं है ये साबित करने के लिए किया या इसके पीछे कई और कई और वजहें भी हैं। जिस तरह से डिम्पल यादव समय के साथ राजनीति के इस खेल में एक परिपक्व खिलाड़ी बनती नज़र आईँ। ऐसे में उनका एकाएक राजनीतिक सन्यास लेने का पति अखिलेश यादव का एलान ने सपा में ही नहीं बल्कि दूसरी पार्टियों भी डिम्पल को लेकर चर्चा करना शुरु कर दिया है। NYOOOZ आपको बताने जा रहा है डिम्पल यादव से जुड़े कुछ दिलचस्प पहलू-

यूपी विधानसभा चुनाव में डिम्पल यादव का रोल
यूपी विधानसभा चुनाव में यादव परिवार की बहू डिम्पल यादव ने बिल्कुल अलग अंदाज पार्टी में जान डालने की कोशिश की।
कभी पोडियम पर कागज रखकर सिर झुकाए इबारत सी पढऩे वाली डिंपल यूपी विधानसभा में भाषण पढ़ती नहीं बल्कि बोलती नज़र आयीं।

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वो जनसभाओं में एक मंझे हुए वक्ता की तरह बोलतीं थीं और इसके बाद वो सामने जुटी भीड़ का रिस्पांस भी साथ-साथ देखती-परखती जातीं थीं। पहले रटते हुए `मुख्यमंत्री जी` की बात कर जाने वाली डिंपल विधानसभा चुनाव 2017 में वो जनता से जुडऩे की तदबीर भी समझ गईं थीं, तभी तो बार-बार `आपके अखिलेश भैया` का संबोधन उनकी जुबां पर था। `बिजली मिलती है कि नहीं...? खातों में पैसा आया कि नहीं...? साइकिल को जिताओगे कि नहीं...?` संवाद के जिस तरीके को प्रभावशाली माना जाता है, उसमें भी डिंपल कहीं कमजोर नजर नहीं आईं। वैसे तो मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू डिंपल यादव जहां अल्पभाषी हैं लेकिन चुनाव प्रचार के वक्त उनके भाभी वाले जुमले काफी लोकप्रिय हुए। वो कई चुनावी जनसभाओं में काफी आक्रमक भी दिखायी दीं।

यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में अखिलेश यादव के बाद पार्टी की स्टार प्रचारक डिंपल यादव ही थीं। कार्यकर्ता अभी से `विकास की चाभी-डिंपल भाभी` जैसे नारे चिल्लाते थे। इस बार के विधानसभा चुनाव के दौरान परिवार की बहू के रोल में ज्यादा दिखी हैं। जहां अखिलेश नहीं जा पाए, वहां डिम्पल यादव ने पार्टी के पक्ष में चुनावी सभाएं कीं।

एक पत्नी के तौर पर डिम्पल यादव
शरमाती, झिझकती, हिचकती नजर आने वाली समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान सिर्फ अखिलेश यादव के आत्मविश्वास से भरी जीवनसंगिनी और सियासी हमसफर के रूप में नजर आईं।

यादव परिवार के करीबी कहते हैं कि डिंपल अल्पभाषी हैं। वह अपने पति के लिए पिछली सीट पर बैठने में संकोच नहीं करती। जहां तक यादव परिवार के राजनीतिक उम्मीदों की बात है तो डिंपल के पति अखिलेश के पास पार्टी की पूरी ताकत है। इसलिए अखिलेश चाहते थे कि डिंपल राजनीति में आगे बढ़ें, डिंपल पर भी जिम्मेदारी का बोझ नहीं है और वह अपने पति का पूरा साथ निभाती हैं। अखिलेश भी अपनी पत्नी डिम्पल यादव को पूरा समय देते हैं।

आमतौर पर डिंपल कम ही अकेले सार्वजनिक कार्यक्रमों में दिखती हैं। संसद में भी वह अपने देवर धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप या फिर ससुर मुलायम सिंह यादव के साथ दिखाई देती हैं। यूपी में डिंपल अपने पति अखिलेश के साथ होती हैं। यहां तक कि मातृत्व और बच्चों के हेल्थकेयर कार्यक्रमों में भी वह पार्टी के वरिष्ठ महिला नेताओं के साथ ही होती हैं। डिंपल भी अपने पति के साथ काम करके खुश रहती हैं।

लोकसभा में डिम्पल यादव की सक्रियता
कन्नौज से लोकसभा सांसद डिंपल यादव 15 जनवरी को 39 साल की हो चुकी हैं। अखिलेश यादव से उनकी शादी को पूरे 17 साल हो चुके हैं। राजनीति में उनकी एंट्री 2009 में तब हुई जब पति अखिलेश यादव द्वारा छोड़ी गई फिरोजाबाद सीट पर समाजवादी पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाकर उतारा।

हालांकि डिंपल ये महत्वपूर्ण चुनाव हार गईं थीं लेकिन तीन साल बाद 2012 में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए जब अखिलेश ने कन्नौज सीट भी छोड़ दी तो वहां से डिंपल निर्विरोध जीतने में सफल रहीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब पूरे यूपी में मोदी की आंधी में विपक्ष का वोट बैंक उड़ा जा रहा था तब भी डिंपल कन्नौज की अपनी सीट बचाने में कामयाब रहीं। उन्होंने बीजेपी के सुब्रत पाठक को तकरीबन 20 हजार वोटों के अंतर से हराया।

एक बहू के रूप में डिम्पल यादव
डिंपल यादव को भी कन्नौज ने दिल्ली के दरबार तक पहुंचाया। पिता से ही विरासत में मिली यह सीट अखिलेश ने डिंपल को सौंपी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हों या सांसद डिंपल, शायद ही ऐसा हुआ हो, जब किसी भी कार्यक्रम के मंच से बार-बार मुलायम सिंह यादव का नाम न लिया गया हो।

लोकसभा में 2014 में समाजवादी पार्टी (सपा) सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्यों के हंगामा करने पर उनकी सांसद पुत्रवधू डिंपल यादव खफा हो गई थीं। डिंपल अपने ससुर का बचाव के लिए भाजपा सदस्यों से बहस करने लगीं थी। लोकसभा में मुलायम ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि उन्होंने अपने सियासी जीवन में इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी सरकार तक को मिले बड़े-बड़े बहुमत देखे हैं। राजग को 336 सीटें जीतने पर इतना अधिक घमंड नहीं करना चाहिए। इस बयान पर कुछ भाजपा सदस्य उनकी बात पर खफा हो गए तो डिंपल उनसे बहस करने लगीं। हालांकि हंगामे में उनकी बात नहीं सुनी जा सकी।

डिंपल के पास शानदार व्यक्तिव है और अपर्णा भी उनके व्यक्तिव को अपनाने की कोशिश करती हैं। जब एसपी में चाचा-भतीजा और पिता में `दंगल` जारी था, तब भी ये दोनों महिलाएं अपने परिवार और बच्चों के साथ निजी जिंदगी में ही व्यस्त थीं। डिंपल न केवल अखिलेश बल्कि पूरे परिवार के लिए ऐंकर की भूमिका में रहती हैं।


युवा, ग्रामीण और महिलाओं के बीच डिंपल की छवि
डिंपल यादव युवा हैं और वे युवा मतदाताओं से संवाद स्थापित करने में काफी हद तक अखिलेश यादव की मददगार साबित हुईं। इसके अलावा महिलाओं के बीच भी वे खासी लोकप्रिय हैं। पिछले साल महिला शिक्षा और सुरक्षा अभियान कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मंच पर अखिलेश यादव की मौजूदगी में महिलाओं के मुद्दे पर सरकार को घेरा था। महिलाओं की लिए यूपी सरकार की हेल्प लाइन 1090 को भी उन्होंने काफी प्रमोट किया था। इसके अलावा उनकी यादव परिवार की बहू के रूप में ग्रामीण मतदाताओं के बीच वो काफी लोकप्रिय हैं।

लोकसभा में बना था मज़ाक
सोशल मीडिया पर डिम्पल यादव का एक वीडियो वायरल हुआ था। कन्नौज से समाजवादी पार्टी की सांसद डिम्पल यादव इस वीडियों में लोकसभा को संबोधित करती दिख रही थी। इस वीडियो में डिंपल लोकसभा में पन्नों को देखकर पढ़ने के बावजूद कई बार अटक रही थीं। यहीं नहीं, वो कुछ योजनाओं के नाम भी ठीक से नहीं बता पा रही थीं। ये सब देख लोकसभा में बैठे सांसदों ने डिंपल यादव का खूब मजाक उड़ाया था। अर्थव्यवस्था पर बोल रही डिंपल कई शब्दों पर अटक रही थीं। कुछ कठिन शब्दों को उन्हें तीन बार दोहराना पड़ा था। फिर अगली ही लाइन में वो बोलना कुछ और चाहती थी, लेकिन मुंह से कुछ और ही निकल रहा था। समाजवादी पार्टी की एक मात्र महिला सांसद जब लोकसभा में यूपी के युवाओं के स्किल डेवलपमेंट को लेकर बोल रही थी, तो केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी और संतोष गंगवार दोनों उनके अंदाज़ का उपहास उड़ा रहे थे।

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