Exit Poll के स्टार क्या बनेंगे May23 के सुपरस्टार या फ्लॉप स्टार

संक्षेप:

  • एक्जिट पोल में बताया जा रहा है कि जया प्रदा और आजम खां के बीच कांटे की टक्कर है.
  • पटना साहिब सीट पर शॉटगन का राज अब खत्म होने जा रहा है.
  • अगर एक्जिट पोल की मानें तो मनोज तिवारी दूसरी बार इस सीट से लोकसभा पहुंच सकते हैं.

लखनऊ: एक्जिट पोल में बीजेपी को मिल रहे बंपर जीत के उम्मीदों के बीच सबसे ज्यादा खुशी उन फिल्मी सितारों को हो रही है, जो पार्टी की टिकट पर इस बार पूरे दमखम से चुनाव मैदान में उतरे थे. आइए जानते हैं एक्जिट पोल क्या कहते हैं, इन स्टार नेताओं के बारे में.

हेमा मालिनी (मथुरा )

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बीजेपी और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है. कई एक्जिट पोल बता रहे हैं कि हेमा मालिनी को जनता सेकेंड टर्म देने जा रही है. महागठबंधन के उम्मीदवार नरेंद्र सिंह (आरएलडी) के कड़े टक्कर के बाद भी हेमा मालिनी दूसरी बार मथुरा की सांसद

सीट का इतिहास: पिछले तीन दशकों से यह सीट कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के कब्जे में रही है. 2009 में RLD के जयंत चौधरी ने मथुरा से जीत हासिल की थी. 2014 के मोदी लहर में हेमा मालिनी ने 3 लाख के रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की थी.

जया प्रदा (रामपुर)

विरोधी- आजम खान (सपा)

क्या कहता है एक्जिट पोल : प्राय: सभी एक्जिट पोल ने इस हॉट सीट पर चुनावी लड़ाई को श्रेष्ठता की लड़ाई बताया है. कुछ एक्जिट पोल में बताया जा रहा है कि जया प्रदा और आजम खां के बीच कांटे की टक्कर है. जबकि अधिकांश एक्जिट पोल में कहा जा रहा है कि आजम खां जंग जीत जाएंगें. सीट का इतिहास: इस सीट पर हमेशा से नेशनल पार्टी (बीजेपी और कांग्रेस) चुनाव जीतते आ रही है. 2004 में यहां पहली बार जया प्रदा ने सपा के टिकट पर जीत हासिल की थी. 2009 में भी जया प्रदा यहां से जीत चुकी है. 2014 में बीजेपी से नेपाल सिंह ने यहां से चुनाव जीता था.

शत्रुघ्न सिन्हा (पटना साहिब)

विरोधी: रवि शंकर प्रसाद (बीजेपी)

एक्जिट पोल क्या कहता है : सभी एक्जिट पोल ने पटना साहिब सीट पर रवि शंकर प्रसाद को बड़ी जीत की उम्मीद दिखाई है. इसका मतलब है कि पटना साहिब सीट पर शॉटगन का राज अब खत्म होने जा रहा है.

सीट का इतिहास: पटना साहिब सीट 2009 से अस्तित्व में आया है. 2009 और 2014 दोनों ही बार इस सीट से बीजेपी के टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा ने जीत हासिल की है. इस बार शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन किया है.

मनोज तिवारी (नॉर्थ इस्ट दिल्ली)

विरोधी: शीला दीक्षित (कांग्रेस), दिलीप पांडेय (आप)

क्या कहता है एक्जिट पोल: अगर एक्जिट पोल की मानें तो मनोज तिवारी दूसरी बार इस सीट से लोकसभा पहुंच सकते हैं. हालांकि कुछ एक्जिट पोल शीला दीक्षित के जीत की उम्मीद भी रखते हैं.

सीट का इतिहास: दो चुनावों से इस सीट पर एक बार 2009 में कांग्रेस के जय प्रकाश अग्रवाल ने तो 2014 में मनोज तिवारी ने बाजी मारी है.

राज बब्बर (फतेहपुर सीकरी)

विरोधी: राज कुमार चाहर (बीजेपी), भगवान शर्मा (बीएसपी)

क्या कहता है एक्जिट पोल : राज बब्बर के लिए एक्जिट पोल में बुरी खबर है. पोल की मानें तो राज बब्बर बीजेपी के उम्मीदवार से बुरी तरह से हार रहे हैं.
सीट का इतिहास: 2009 में परिसीमन के बाद इस सीट पर बसपा के सीमा उपाध्याय ने पहली बार जीत हासिल की थी. 2014 में बीजेपी के बाबूलाल चौधरी ने सीमा उपाघ्याय को हरा दिया था.

हंस राज हंस (नॉर्थ वेस्ट दिल्ली)

विरोधी: गगन सिंह रांगा (आप), राजेश लिलोथिया (कांग्रेस)

क्या कहता है एक्जिट पोल : अनुमान जताया जा रहा थी कि उदित राज को बीजेपी से टिकट नहीं दिए जाने और उनके पार्टी छोड़ने के बाद पार्टी को नुकसान होगा. लेकिन एक्जिट पोल में ऐसा नहीं बताया जा रहा है. बीजेपी के हंस राज हंस इस सीट से चुनाव निकाल सकते हैं.

सीट का इतिहास: परिसीमन के बाद इस सीट का अस्तित्व 2009 में आया था. 2009 में कांग्रेस ने इस सीट से जीत हासिल की थी. 2014 में बीजेपी के टिकट पर दलित नेता उदित राज ने जीत हासिल की थी.

रवि किशन (गोरखपुर)

विरोधी: राम भुआल निषाद (सपा)

क्या कहता है एक्जिट पोल: इस सीट पर रवि किशन और रामभुआल निषाद के बीच कांटे की टक्कर है. अगर बीजेपी इस सीट को लूज कर जाती है तो यह पार्टी के लिए शर्मनाक हार होगी, क्योंकि तीन बार से यह सीट बीजेपी के कब्जे में है.

सीट का इतिहास: यह सीट 1952 से ही गोरखनाथ मठ के महंत का गढ रहा है. यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1998 से लेकर 2017 तक लगातार पांच बार इस सीट से जीत कर सांसद बन चुके हैं. 2018 के उपचुनाव में सपा के प्रवीण निषाद ने यहां से चुनाव जीता था. हांलाकि प्रवीण निषाद अब बीजेपी में हैं.

दिनेश यादव निरहुआ (आजमगढ)

विरोधी: अखिलेश यादव (सपा)

क्या कहता है एक्जिट पोल: निरहुआ को राजनीतिक पारी की शुरूआत में ही अखिलेश यादव से बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है.

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