Loksabha Election Results 2019: जानिए किस तरह अखिलेश यादव ने मायावती की पार्टी को दे दी संजीवनी?

संक्षेप:


  • लोकसभा के चुनावी नतीजों में एसपी और बीएसपी का गठबंधन फ्लॉप साबित हुआ
  • इस गठबंधन को उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिली
  • लेकिन इस गठजोड़ का सबसे ज्यादा फायदा मायावती की पार्टी को हुआ


लोकसभा के चुनावी नतीजों में एसपी और बीएसपी का गठबंधन फ्लॉप साबित हुआ. इस गठबंधन को उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिली. लेकिन इस गठजोड़ का सबसे ज्यादा फायदा मायावती की पार्टी को हुआ. वो पार्टी जिसका साल 2014 के चुनाव में सफाया हो गया था. लेकिन इस बार उसकी झोली में 10 सीटें आ गई. आरएलडी के नेता जयंत चौधरी ने एक बार अखिलेश यादव को गठबंधन का धुरंधर कहा था. लेकिन मायावती से हाथ मिलाने के बाद अखिलेश यादव की पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. हालात ये हो गई कि समाजवादी पार्टी कन्नौज की अपनी परिवारिक सीट भी नहीं बचा सकी. वो सीट जो पिछले 20 साल से यादव परिवार का गढ़ था.

साल 2014 की मोदी लहर में समाजवादी पार्टी सिर्फ 5 सीटें ही बचा सकी थी. ये थीं अखिलेश, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव, उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव, उनके भतीजे तेज प्रताप यादव और उनका एक और चचेरा भाई अक्षय यादव की सीट. जबकि बीएसपी का उस चुनाव में कोई गठबंधन नहीं था. हालात ये रही कि मायावती की पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल सकी.साल 2019 के चुनाव में हर किसी को उम्मीद थी कि इस बार एसपी-बीएसपी गठबंधन को फायदा मिलेगा. लेकिन ये क्या समाजवादी पार्टी मुश्किल से पांच सीट ही जीत सकी. यादव परिवार को करारा झटका लगा. डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव, परिवार के सारे सदस्यों को करारी हार का सामना करना पड़ा.

राजनीति के जानकार बीएसपी को फिर से पटरी पर लाने का श्रेय अखिलेश को देते हैं. न्यूज़ 18 से बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषक परवेज़ अहमद ने कहा, ``अखिलेश का नाम इतिहास में दर्ज हो जाएगा. उन्होंने बीएसपी को फिर से ज़िंदा कर दिया. अगर आप नतीजों को ध्यान से देंखे तो जिन सीटों पर दलित और मुसलमान ज्यादा थे वहां गठबंधन को जीत मिली. लेकिन जहां यादव की संख्या ज्यादा थी वहां गठबंधन की हार हुई यानी यादवों ने अपनी पार्टी को ही वोट नहीं दिया.

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