अलर्ट! सोशल मीडिया पर फैलाए जाने वाली Fake News से बचें?

संक्षेप:

`जितनी ऊंची छोड़ सकते हो, छोड़ते रहो`। सोशल मीडिया पर इस तकिया कलाम को बहुत पसंद किया जाता है। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सोशल मीडिया पर फेक न्यूज की बढ़ सी आ रही है। सभी पार्टियां एक दूसरे को बदनाम करने के लिए झूठी खबरों का सहारा ले रहे है और लोग बिना इसे सोचे समझे एक-दूसरे को शेयर भी कर रहे है। सोशल मीडिया हो या फिर मेन स्ट्रीम मीडिया हर तरफ झूठी और भ्रामक खबरों का बोलबाला है। ‘फेक न्यूज’ की बाढ़ सी आ गई है। हैरानी की बात तो यह है कि बड़े अखबार और वेबसाइट भी बगैर तथ्यों की जांच-परख किए इन खबरों को प्रकाशित कर रहे है।

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हाल ही में यूपी के कैराना में हुए लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल करनेवाली आरएलडी नेता तबस्सुम हसन के नाम से सोशल मीडिया पर एक मेसेज तेजी से वायरल हुआ। वायरल मेसेज के मुताबिक, कैराना की सांसद तबस्सुम हसन ने उपचुनाव में जीत के बाद कहा, ‘यह अल्लाह की जीत है और राम की हार है’। सोशल मीडिया पर तबस्सुम का यह कथित बयान आग की तरह से फैल गया। जब इस बारे में तबस्सुम से पूछा गया तो उन्होंने इस सबको प्रोपेगेंडा ठहराते हुए कहा कि वे कभी ऐसा बयान दे ही नहीं सकतीं।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के एक सम्मेलन में जाने को लेकर भी झूठ फैलाए जा रहे है। कार्यक्रम के दौरान आरएसएस की प्रार्थना बोली गई तो मंच पर बैठे सभी लोगों ने आरएसएस के ट्रेडिशनल तरीके (खड़े होकर सीधा हाथ छाती पर रखकर) से RSS वाले झंडे को सलामी दी लेकिन उस वक्त पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सिर्फ सीधे खड़े रहे। उन्होंने ना छाती पर हाथ रखा और न ही गर्दन नीचे की. वो सावधान की अवस्था में खड़े रहे लेकिन पिछले 12 घटों में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तैर रही है कि प्रणब दादा ने वहां जाकर न सिर्फ आरएसएस की टोपी पहनी बल्कि उनके ट्रेडिशनल स्टाइल में आरएसएस का गान गाते हुए अपना सीधा हाथ छाती पर रखा और आएसएस के झंडे को सैल्यूट किया। ऐसे में सोशल मीडिया पर लगातार एक खास विचारधारा के लोग इस तस्वीर को शेयर करते रहे और इसे बीजेपी-आरएसएस की जीत बताने लगे।

अभी सोशल मीडिया पर एक और मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें लिखा गया है कि मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने विश्व बैंक से कर्जा लेकर अपनी जेबें भर लीं। नरेंद्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं, उन्होंने विश्व बैंक से कोई कर्ज नहीं लिया है लेकिन इस बात में थोड़ी भी सच्चाई नहीं है। अगर भरोसा नहीं है तो गूगल खोलिए। अंग्रेजी में डालिए world bank loan to India. पहला ही लिंक विश्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट का आएगा। इसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि भारत और विश्व बैंक के बीच इसी साल 2 फरवरी 2018 को एक करार हुआ है। इसके तहत विश्व बैंक ने भारत को वाराणसी से हल्दिया के बीच 1360 किमी का जलमार्ग बनाने के लिए 375 मिलियन डॉलर (करीब 251 अरब रुपये) का कर्ज दिया है। इसके अलावा भी मोदी सरकार ने विश्व बैंक से लोन लिया है।

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की एक पुरानी फोटो पिछले कई महीनों से वायरल हो रही है। हालांकि यह वही तस्वीर है जिसकी वजह से बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय पहले विवादों में फंस चुके हैं। फेसबुक पर `फिर एक बार मोदी सरकार` नाम के एक पेज पर यह फोटो शेयर की गई है। इस पेज को 28 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं और यहीं पर 4 मई को नेहरू की यह तस्वीर डाली गई जिसमें लिखा है, `चाचा नेहरू अंग्रेजों से लोहा लेते हुए- दुर्लभ तस्वीर को शेयर करके सारे देश को बताएं।`

देखते ही देखते कुछ ही दिनों के भीतर 34 हजार से ज्यादा लोगों ने इस फोटो को शेयर कर दिया और अपने हिसाब से बहुत सारे लोगों ने इस फोटो के बारे में कमेंट भी लिख डाले। तमाम कमेंट्स ऐसे हैं जिसमें इस तस्वीर के दम पर नेहरू के चरित्र पर सवाल उठाए गए हैं। लेकिन असलियत में यह तस्वीर किसी अंग्रेज महिला की नहीं बल्कि एक भारतीय महिला की ही है। यह भारतीय महिला और कोई नहीं बल्कि नेहरू की भांजी नयनतारा सहगल हैं। नयनतारा सहगल जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित की दूसरी बेटी हैं और अंग्रेजी की विख्यात लेखिका भी हैं जिन्होंने कई किताबें लिखी हैं।

इस मामले में कांग्रेस भी पिछे नहीं है। कांग्रेस भी मोदी सराकर को बदनाम करने के लिए हर हथकंडा अपनाने में लगी है। मुंबई में आयकर विभाग की बिल्डिंग में आग लगने के बाद मीडिया के कुछ सेक्सन में खबरें चलने लगीं कि इसी दफ्तर में भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी केस की फाइलें रखीं थी और मोदी सरकार के इशारे पर आग लगाई गई है, ताकि घोटाले के सबूत मिटा दिए जाएं। कांग्रेस पार्टी ने बगैर जांचे-परखे इन खबरों के आधार पर मोदी सरकार के खिलाफ अभियान चलाना शुरू कर दिया। कांग्रेस पार्टी की तरफ से इसको लेकर ट्वीट भी किया गया।

ऐसे एक-दो नहीं बल्कि रोज ही कई खबरें सोशल मीडिया पर शेयर किए जाते है। ये हर कहीं हैं और ये भी मुमकिन है आप भी इनमें से किसी का शिकार बन चुके हों। वेब की दुनिया के लोकतांत्रिक स्वरूप और खुलेपन ने इंटरनेट तक हर किसी की पहुंच बना दी। इस पर नाममात्र की सेंसरशिप के साथ कंटेंट साझा किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 13.60 करोड़ भारतीय सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। 60 फीसद से अधिक भारतीय पत्रकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल ख़बरों के स्रोत के तौर पर करते हैं। सोशल मीडिया सभी के लिए सूचना हासिल करने और साझा करने की पसंदीदा जगह बन चुका है और इसी विशाल संसार के नेटवर्क का इस्तेमाल फेक न्यूज के लिए भी किया जा रहा है और दुष्प्रचार से दर्शकों को भ्रमित किया जा रहा है। दरअसल सभी पार्टियों द्वारा सोशल मीडिया पर फेक न्यूज का एजेंडा चलाया जाता है। इसीलिए अगली बार जब आपके पास किसी बड़े व्यक्ति को Quote करते हुए फेक न्यूज आए तो ये ज़रूर चेक कर लें कि उन्होंने ये बात वाकई कही है या नहीं? या ये उनकी फोट सही है या नहीं?

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