जानिए, अन्य राज्यों की तर जम्‍मू-कश्‍मीर में राष्‍ट्रपति शासन क्‍यों नहीं लगता

संक्षेप:

  • जम्मू कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटी
  • राज्य में अब आठवीं बार लगेगा राज्यपाल शासन
  • जानें, कब-कब राज्य में राज्यपाल शासन लागू हुआ

जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं और तनावपूर्ण हालातों के बीच बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है. बीजेपी और पीडीपी के बीच गठबंधन तोड़ने की जानकारी खुद बीजेपी के महासचिव और जम्मू कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने दी. वहां किसी पार्टी के पास बहुमत ना होने की वजह से राज्यपाल शासन लगना तय माना जा रहा है. इसके साथ ही राज्य में आठवीं बार राज्यपाल शासन लगेगा. लेकिन हमेशा हम सुनते और पढ़ते आए हैं कि किसी भी राज्‍य में अगर सरकार अल्‍पमत में ही गिरती है तो वहां राष्‍ट्रपति शासन लगाया जाता है. अब सवाल उठना लाजिमी है कि अगर दूसरे राज्‍यों में राष्‍ट्रपति शासन लगाया जाता है तो आखिर जम्‍मू और कश्‍मीर में ऐसा क्‍या है कि वहां राज्‍यपाल शासन लगाने पर विचार हो रहा है. इसके बारे में हम आपको बताते हैं.

दरअसल जम्‍मू और कश्‍मीर को विशेष राज्‍य का दर्जा मिला हुआ है. संविधान की धारा 92 में भी इस बात का उल्‍लेख है कि जम्‍मू और कश्‍मीर में अगर राजनीतिक संकट आता है या फिर संविधान के अनुरूप चल रहा तंत्र विफल होता है तो ऐसी स्थिति में राष्‍ट्रपति की अनुमति के बाद जम्‍मू और कश्‍मीर में छह महीने के लिए राज्‍यपाल शासन लगाया जा सकता है. अगर जम्‍मू और कश्‍मीर में राज्‍यपाल शासन लगाया जाता है तो इस दौरान वहां की विधानसभा निलंबित या भंग रखी जाती है.

भारत के संविधान में ऐसी भी धारा है जिसके तहत छह महीने बाद जम्‍मू-कश्‍मीर में राज्‍यपाल शासन को बढ़ाया भी जा सकता है. दरअसल संविधान की धारा 356 कहती है कि अगर जम्‍मू और कश्‍मीर में राज्‍यपाल शासन लगने के छह महीने के अंदर अगर वहां कोई सरकार नहीं बनती या संवैधानिक तंत्र दोबारा सुचारू नहीं होता तो इस धारा के तहत राज्‍यपाल शासन की अवधि बढ़ाई जा सकती है. लेकिन इस समय  यह राष्‍ट्रपति शासन में तब्‍दील हो जाता है.

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जानें, कब-कब राज्य में राज्यपाल शासन लागू हुआ हैः

मार्च 26, 1977-जुलाई 9, 1977: शेख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाया था. कांग्रेस ने गठबंधन का साथ छोड़ दिया तो नेशनस कॉन्फ्रेंस अल्पमत में आ गई, जिसके चलते राज्य में 105 दिनों तक राज्यपाल शासन रहा.

मार्च 6, 1986-नवंबर 7, 1986: बहुमत न होने के चलते 246 दिनों के लिए राज्यपाल शासन रहा.

जनवरी 19, 1990-अक्टूबर 9, 1996: उग्रवाद और कानून व्यवस्था ध्वस्त होने के चलते छह सालों और 264 दिनों के लिए राज्यपाल शासन.

अक्टूबर 18, 2002-नवंबर 2, 2002: राज्य के चुनावों के कोई नतीजे न निकलने पर 15 दिनों तक राज्यपाल शासन.

जुलाई 11, 2008-जनवरी 5, 2009: तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने अमरनाथ यात्रा के लिए जमीन का स्थानांतरण किया था, जिसके चलते पीडीपी ने गठबंधन से हाथ खींच लिए थे. तब राज्य में 178 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लागू रहा.

जनवरी 9, 2015-मार्च 1, 2015: विधानसभा चुनावों में अस्पष्ट बहुमत आने पर राज्य में 51 दिनों तक राज्यपाल शासन रहा, जो बीजेपी-पीडीपी के गठबंधन के समझौते पर पहुंचने के बाद खत्म हुआ.

जनवरी 8, 2016-अप्रैल 4, 2016: तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद राज्य में 87 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लागू रहा.

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