लखनऊः मशहूर कवि केदारनाथ सिंह के निधन से साहित्य जगत में शोक

संक्षेप:

  • नहीं रहे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कवि
  • CM ने केदारनाथ सिंह के निधन पर जताया दुख
  • प्रयोगवादी कविताओं के महानायक रहेः शंकर सुल्तानपुरी

लखनऊः हिन्दी की समकालीन कविता और आलोचना के सशक्त हस्ताक्षर और अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक’ के प्रमुख कवि डॉ. केदारनाथ सिंह का निधन हो गया। केदारनाथ सिंह 84 साल के थे।  उनके परिवार में एक बेटा और पांच बेटियां हैं। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि डॉ. केदारनाथ सिंह को करीब डेढ़ माह पहले कोलकाता में निमोनिया हो गया था। इसके बाद से वह बीमार चल रहे थे। पेट के संक्रमण के चलते उनका एम्स में निधन हो गया।

वहीं उनके निधन पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने गहरा दुख व्यक्त किया है। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा कि केदारनाथ सिंह ने समकालीन कविता को नई गति और दिशा देते हुए अपनी कालजयी रचनाओं से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया।

योगी ने कहा कि उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साहित्य जगत में उनके योगदान को सदैव याद रखा जाएगा। योगी ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है।

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वहीं लखनऊ के दिग्गज लेखक डॉ. किशोरीशरण शर्मा ने बताया की हिंदी के वह एक प्रखर कवि थे साथ ही एक बड़े समीक्षक भी बताया कि वह एक जमीन से जुड़े हुए लेखक थे उन्होंने जीवन भर अपने ग्राम को कविताओं में नहीं भूला वह बलिया के थे और उनकी कविताओं में लिखो मैं पूर्वांचल की खुशबू आती थी बताते हैं कि सरयू के किनारे रहने वाले एक कवि थे वह एक सामान्य ग्रहस्थ परिवार की रहने वाली थी उनकी शिक्षा जीवन पर प्रकाश डालते हुए किशोरी शरण जी कहते हैं कि वह जब भी बनारस विश्वविद्यालय से हिंदी में एमए कर रहे थे उस समय उनके विवाह विभागाध्यक्ष महान लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी थे उनसे उनका काफी लगाव था वही डॉ शर्मा ने बताया कि उनको अच्छे लेखन के लिए कई बड़े सम्मान मिले जैसे ज्ञानपीठ पुरस्कार और भारत भारती पुरस्कार। 

साथ ही दिग्गज लेखक शंकर सुल्तानपुरी ने बताया की कि केदारनाथ सिंह प्रयोगवादी कविताओं के महानायक रहे हैं प्रयोगवाद की धारा जब हिंदुस्तान में बह रही थी उस समय उन्होंने अपनी कलम को खूब दौड़ाया कहते हैं कि उनकी कविताओं में और लेखों में जटिलता और विद्वता भी झलकती थी लेकिन एक सामान्य पाठक भी उनकी रचनाओं को दिल से पढ़ता था कहना है कि छोटी छोटी कविताओं को लिखकर उन्होंने जीवन की गहराइयों को दर्शाया है और उनका जाना साहित्य के क्षेत्र में एक बड़ी हानि है।

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