NYOOOZ Special: जानिए, लखनऊ के मरी माता मंदिर का रहस्य

संक्षेप:

  • 1700 के आसपास का है यह मंदिर
  • भूलभुलैया के पास है यह मंदिर
  • निर्माण के समय हुआ था विरोध 

लखनऊः कुछ-कुछ चीजें हमेशा के लिए आस्था का प्रतीक बन कर रह जाती हैं जैसे मथुरा की श्री कृष्ण जन्मभूमि और अयोध्या में राम जन्मभूमि. कुछ-कुछ जगह इस संसार में ऐसी भी हैं कि जो हैं तो बहुत पुरानी लेकिन उनका प्रचार प्रसार न होने के कारण से इतिहास के पन्नो में ही दब कर रह जाती हैं.

राजधानी लखनऊ तो नवाबों का शहर है तो भूलभुलैया और इमामबाड़ा से तो सभी लोग परिचित हैं लेकिन उसी क्षेत्र में भूलभुलैया से महज 100 मीटर की दूरी पर एक मरी माता का मंदिर है जो कि कई वर्षों पुराना है. आखिर इस मंदिर का नाम मरी माता क्यों है क्योंकि देश में कोई भी देवी को इस नाम से नहीं पूजा जाता है आखिर यह कौन सी देवी हैं. इसी बात को जानने के लिए NYOOOZ के संवाददाता शांतनु त्रिपाठी ने वहां के लोगों और उस मंदिर के ट्रस्टी रामावतार से बातचीत के है.

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कितना पुराना यह यह मंदिर

मंदिर के ट्रस्टी रामावतार कहते हैं कि मेरे पूर्वजों के अनुसार यह मंदिर करीब सन 1700 का है. बताया कि जब लखनऊ में अंग्रेजों के जमाने में पक्के पुल का निर्माण चल रहा था तो उस वक़्त यह मंदिर मौजूद था. बताते हैं कि यह पुल रोज बनाया जाता था लेकिन काम सफल नहीं हो पा रहा था तो उस समय किसी जानकर ने निर्माणाधीनों से कहा कि इस मंदिर के लिए कुछ करिए तो शायद मरी माता आपके इस पुल को पूरा बनने देंगी.  

आखिर किसे कहा गया मरी माता

जानकारों और पुराने लोगों से जब NYOOOZ  ने बातचीत की तो सभी का कहना था कि यह मरी माता कौन है इस बात की पुष्टि तो आज तक किसी ने नहीं की है, हां लेकिन किंवदंती है कि माता पार्वती जब सती हुई तो उन्ही को मरी माता का स्वरुप माना गया है ऐसा पुराने लोगों का कहना है.

कब से लोगों ने शुरू किया पूजन

मंदिर में मौजूद कुछ पुराने लोगों और जानकारों ने कहा कि इस मंदिर का पूजन देखा जाए तो 1955 में शुरू हुआ था और लोगों ने धीरे-धीरे आना शुरू किया तो मंदिर का प्रसार हुआ. आज तो नवरात्रि के महीने में इस मंदिर में काफी भीड़ रहती है. सिर्फ लखनऊ या आसपास के क्षेत्रों से ही नहीं बल्कि अन्य शहरों जैसे दिल्ली और बॉम्बे से भी लोग दर्शन करने के लिए आते हैं.

मंदिर और मस्जिद विवाद

मरी माता के मंदिर से एकदम सामने टीले वाली मस्जिद है रामावतार और जानकारों ने बताया कि जब इस मंदिर का निर्माण हो रहा था तो मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसका विरोध किया तो मामला ज्यादा न बिगड़े तो देख कर मंदिर में पुलिस कैंप बनाया गया था. आप अगर इस मंदिर में जायेंगे तो महज 50 कदम की दूरी पर ही टीले वाली मस्जिद है.

पंचवटी घाट भी कहते हैं

आपको बता दें कि यह पंचवटी खात के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह मंदिर गोमती नदी के किनारे पर स्थित है. इस मंदिर से 5 घाट जुड़े हुए हैं जैसे शुक्ल घाट, रस्तोगी घाट, सरस्वती घाट, मरीमाता घाट. यहां पर लोग अक्सर मन की शांति के लिए भी आते हैं.

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