मुस्लिमों के पक्ष में फैसला आए तो भी हमें हिंदुओं को दे देनी चाहिए बाबरी मस्जिद की जमीन: जमीरउद्दीन शाह

संक्षेप:

  • इस मामले में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जमीरउद्दीन शाह ने बड़ा बयान दिया है.
  • उन्होंने कहा कि यदि फैसला मुस्लिमों के पक्ष में आता है तो मुस्लिम भाईयों को देश में शांति स्थापित करने के लिए यह जमीन हिंदू भाईयों को सौंप देनी चाहिए.
  • सुप्रीम कोर्ट को अपना एक स्पष्ट फैसला देना चाहिए तांकि इस मामले का शांति पूर्ण निपटारा हो सके.

लखनऊ: बाबरी मस्जिद और रामजन्म भूमि विवाद पर देश की सर्वोच्च न्यायालय में रोजाना सुनवाई हो रही है और जल्द ही फैसला आने की उम्मीद है. इस बीच मुस्लिमों के एक संगठन ने अयोध्‍या मामले का अदालत के बाहर समाधान निकालने की वकालत की है. वहीं इस मामले में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जमीरउद्दीन शाह ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को अपना एक स्पष्ट फैसला देना चाहिए तांकि इस मामले का शांति पूर्ण निपटारा हो सके. उन्होंने कहा कि यदि फैसला मुस्लिमों के पक्ष में आता है तो मुस्लिम भाईयों को देश में शांति स्थापित करने के लिए यह जमीन हिंदू भाईयों को सौंप देनी चाहिए. गुरुवार को विभिन्‍न मुस्लिम तंजीमों के नवगठित छात्र संगठन ‘इंडियन मुस्लिम्‍स फॉर पीस’ के बैनर तले एक कार्यक्रम के दौरान अयोध्या मामले पर अपनी राय रखते हुए उन्होंने ये बातें कीं.

उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट को स्पष्ट फैसला देना चाहिए, यह पंचायती बिल्कुल नहीं होना चाहिए. यहां तक कि अगर कोर्ट मुसलमानों के पक्ष में निर्णय देता है, तो क्या वहां मस्जिद बनाना संभव होगा? यह असंभव है. यदि फैसला मुसलमानों के पक्ष में आता है तो देश में स्थायी शांति के लिए मुसलमानों को भूमि हिंदू भाइयों को सौंप देनी चाहिए. एक समाधान होना चाहिए, वरना हम लड़ते रहेंगे. मैं कोर्ट के निपटारे का पुरजोर तरीके से समर्थन करता हूं. इस कार्यक्रम में कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने शिरकत की।

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संगठन की बैठक में प्रस्‍ताव पारित

इंडियन मुस्लिम्‍स फॉर पीस के संयोजक कलाम खान ने बताया कि संगठन की बैठक में पारित प्रस्‍ताव में कहा गया है कि वह अयोध्‍या विवाद का अदालत के बाहर हल निकालने का पक्षधर है. उत्‍तर प्रदेश सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड ने भी हाल ही में अयोध्‍या विवाद का हल अदालत के बाहर करने का प्रस्‍ताव रखा था. प्रस्‍ताव के अनुसार देश के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताने-बाने तथा हिन्‍दुओं के साथ (मुसलमानों) के सदियों पुराने सम्‍बन्‍धों की खातिर संगठन की राय है कि मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन को उच्‍चतम न्‍यायालय के जरिये केन्‍द्र सरकार को सौंप दे, ताकि मुल्‍क में शांति और सौहार्द कायम रहे.

प्रस्‍ताव के मुताबिक यह सुझाव तभी माना जाए जब देश में मुसलमानों की बाकी तमाम इबादतगाहों की सुरक्षा सुनिश्चित हो. साथ ही, इस कदम को मुसलमानों के डर या समर्पण के तौर पर न देखा जाए. खान ने बताया कि संगठन का कहना है कि अयोध्‍या मामले का फैसला जल्‍द ही आने की सम्‍भावना है. साथ ही संगठन ने यह आशंका जताई कि यदि शीर्ष न्यायालय का निर्णय मुसलमानों के पक्ष में नहीं आया तो समाज के कुछ निहित स्वार्थी तत्‍व इस पर अपनी सियासी रोटियां सेकेंगे, जिससे मुल्‍क में नफरत और साप्रंदायिकता बढ़ेगी. बता दें कि अयोध्या जमीन विवाद के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट रोजाना सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने सभी पक्षों को कहा है कि वह इस मामले पर बहस 17 अक्टूबर तक पूरी करे. अब 14 अक्टूबर को मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन बहस करेंगे जबकि बाकी सभी पक्षकार 15-16 अक्टूबर को दलीलें देंगे. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच अभी तक सभी पक्षों की दलीलें सुन चुकी है।

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