योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व का नया चेहरा

संक्षेप:

योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व का नया चेहरा बन गए हैं. किसी को पसंद हो या न हो. उनकी राजनीति से कोई सहमत हो या न हो पर वास्तविकता यही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीवन शैली और हिंदुत्ववादी राजनीति पर वरिष्ठ पत्रकार अम्बरीश कुमार का विश्लेषण .

By: अम्बरीश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार

        योगी आदित्यनाथ को कट्टर हिंदू नेता माना जाता है . वे सन्यासी हैं और मुख्यमंत्री हैं . स्वाभाविक है कि इस सन्यासी मुख्यमंत्री की दिनचर्या रोज सुबह तीन बजे शुरू होती हैं . नित्य कर्म के बाद पूजा पाठ ,ध्यान आदि करते हैं .फिर वे सुबह- सुबह ही अफसरों से संपर्क करते हैं .करीब नौ बजे तक . उसके बाद दस बजे से सरकारी बैठकों का सिलसिला. दौरा हुआ तो दस ग्यारह बजे तक निकल जाते हैं .

यह दिनचर्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की है . योगी हिंदुत्व की सिर्फ बात नहीं करते बल्कि हिंदुत्व को जीते हैं .अब उनका हिंदुत्व कैसा है और उससे कौन सहमत है या असहमत है यह अलग मुद्दा है .पर उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश इस समय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की हिंदुत्व की धारा को तेज धार दे रहा है .मध्य प्रदेश ,हरियाणा जैसे भाजपा शासित राज्य अब उसकी नक़ल कर रहे हैं .

बेरहम पुलिस

सीएए यानी नागरिकता क़ानून आंदोलन से निपटने में उनकी पुलिस ने बहुत बेरहमी दिखाई, इसमें कोई शक नहीं .इसकी खूब आलोचना भी हुई .पर उससे उनका राजनीतिक एजंडा और मजबूत हुआ यह एक और कटु सत्य है .दूसरा मुद्दा तो लव जेहाद का ही है .

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अदालत में भले सरकार की न चले पर हिंदू समाज का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश सरकार के साथ खड़ा नजर आता है . यह समाज भी तो बदला है .जो मुस्लिम विरोध की आंच पर पक कर तैयार हुआ है .यह समाज मोदी के बाद अब योगी हिंदुत्व को हाथों हाथ ले रहा है .हैदराबाद के चुनाव में इसी दिमाग ने हिदुत्व को एकजुट कर भाजपा को पहली बार बड़ी ताकत दे दी .उस चुनाव के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ ही तो थे .

योगी हिंदुत्व का एजेंडा चुन चुन कर सामने रख रहे हैं .इस एजंडा में मुस्लिम समाज एक खलनायक के रूप में खड़ा किया जाता है .और फिर इस खलनायक से एक काल्पनिक लड़ाई लड़कर हिंदू समाज के एक बड़े हिस्से को संतुष्ट कर दिया जाता है .इसी क्रम में मुस्लिम बाहुबलियों के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलवा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल ही नहीं हिंदी पट्टी में अपनी अलग पहचान बना ली है .

राजनीति मजबूत हो रही है

आप योगी की हिंदुत्व राजनीति से भले न सहमत हो पर उनकी राजनीति बहुत मजबूत हो रही है यह जान लें . वर्ना बाहुबली हिंदू भी तो थे .कुछ हिंदू बाहुबली भी निशाने पर रहे हैं मसलन गोरखपुर में बाहुबली हरिशंकर तिवारी .पर वह एक अलग लड़ाई है .उससे भ्रमित भी नहीं होना चाहिए .दरअसल सारा एजंडा मुस्लिम समाज को केंद्रित कर बनाया जाता है .और बहुत ध्यान से इसे गढ़ा जाता है .दरअसल मंदिर आंदोलन के बाद किस तरह हिंदू समाज को अपने साथ जोड़े रखा जाए यह एक बड़ी चुनौती भी तो है .इसलिए कभी लव जेहाद तो कभी कुछ और एजंडा सामने आ जाता है .हैदराबाद का नाम बदलने का नारा इसका एक मजबूत उदाहरण है .

यही वजह है कि देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कुछ फैसलों से भारतीय जनता पार्टी में अपनी जगह मजबूत कर ली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव अगर उत्तर भारत के हिंदू जन मानस पर किसी का है तो वे योगी आदित्यनाथ ही हैं और कोई नहीं .यह उपलब्धि बीते कुछ वर्ष में ही योगी ने अर्जित की है .खासकर मुख्यमंत्री बनने के बाद.

संघ परिवार और भाजपा का मूल एजंडा हिंदूत्व रहा है और उसमें बड़ी सफलता पहले आडवाणी को मिली तो बाद में नरेंद्र मोदी को .इस मामले में योगी भाजपा में इन दोनों शीर्ष नेताओं के बाद अपनी जगह बना चुके हैं .योगी कभी भी संघ परिवार का हिस्सा नहीं रहे हैं और एक दौर में गोरखपुर में योगी ने खुद ही हिंदुत्व की जो प्रयोगशाला शुरू की वह संघ के कई प्रयोगों पर भारी पड़ी .कट्टर हिंदुत्व की धारा पर चलते हुए योगी ने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया जिसने पूर्वी उत्तर प्रदेश में आक्रामक हिंदुत्व को मजबूत कर दिया .सिर्फ गोरखपुर ही नहीं बल्कि कुशीनगर ,देवरिया ,महाराजगंज ,संत कबीर नगर से लेकर बस्ती गोंडा तक.पूर्वांचल में भाजपा से ज्यादा योगी की हिंदू युवा वाहिनी का रहा है.तब वह दौर था जब योगी पूर्वांचल में राजपूतों के सबसे बड़े नेता माने जाते थे

पर अब वे पूर्वांचल के ही नहीं समूचे उत्तर भारत और मध्य भारत के शीर्ष हिंदू नेता माने जाते हैं .यह कैसे हुआ यह समझना चाहिए .योगी ने यह सफलता अपने कई फैसलों से अर्जित की है .तरीका वही है जो कभी गुजरात में मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी का था .रोचक यह है कि अपने नए नए प्रयोगों को लेकर न तो मोदी ने संघ की कोई ख़ास मदद ली और न ही योगी ने .ये तो संघ से भी दो कदम आगे रहे.और भी कई समानता है दोनों में

न विवाह न परिवार से नाता

मोदी अपने परिवार को राजनीति से दूर रखते है तो योगी हिंदू सन्यासी हैं .घर परिवार से मोदी कुछ वास्ता रखते भी होंगे पर योगी ने तो न विवाह किया न परिवार से कोई ज्यादा नाता रखा.मोदी तो शानदार वेशभूषा और घड़ी ,चश्मा ,पेन आदि इस्तेमाल करते हैं पर योगी तो सिर्फ सन्यासी वाला कपडा ही पहनते हैं .ज्यादा सादगी से रहते हैं.खानपान भी योगी का सन्यासी वाला ही है .जिसकी वजह से वे उर्जा से भरे रहते हैं.भारतीय जनता पार्टी में उनसे ज्यादा सक्रिय नेता और कोई नहीं दिखता.इसमें उनकी उम्र भी मददगार है. 

राजनीतिक उर्जा


जिस तरह योगी सुबह चार बजे से देर रात तक सक्रिय रहते हैं वह आम नेता के लिए संभव नहीं है.हिंदी पट्टी में कोई नेता है जो सुबह इतनी जल्दी उठकर अपनी दिनचर्या शुरू करता हो .मुलायम सिंह यादव ऐसे नेता रहे हैं .पर आज के दौर में कोई दूसरा नेता आपको नहीं मिलेगा .

अब उनकी राजनीति पर बात हो जाए .एक दौर था जब कहा जाता था कि वे चार साल ग्यारह महीने राजपूत रहते हैं .और एक महीना जब चुनाव आता है तो वे हिंदू हो जाते हैं .हो सकता है तब यह सही हो .पर अब तो वे बारह महीने हिंदू नेता ही रहते हैं.मुख्यमंत्री बनने के बाद का बदलाव भी यह हो सकता है .पर उनकी राजनीति से भाजपा को फायदा पहुंच रहा है .

बीबीसी के पूर्व संवाददाता रामदत्त त्रिपाठी ने कहा ,उनकी राजनीतिक उर्जा का मुकाबला न तो भाजपा में कोई कर सकता है न विपक्ष में .यह उनकी जीवन शैली की वजह से हो रहा है .दूसरे राजनीति में उनके कई फैसलों से मध्य वर्गी और हिंदुत्व ब्रिगेड खुश है.पूर्वांचल के कुछ बाहुबलिओं का घर सरकार ने ध्वस्त करा दिया.आरोप यह है इन्हें पूर्व सरकारों ने संरक्षण दिया था और ये फिरौती ,वसूली ,जमीन कब्ज़ा आदि करते थे.जब इनके खिलाफ कार्यवाई हुई तो आम लोग सरकार के साथ ही दिखे .यह विपक्ष को भी समझना चाहिए .ऐसे कई फैसलों से योगी की अलग छवि बनी है .


धंधा पानी भी बंद

दरअसल योगी के दौर में खुद पार्टी के नेताओं का धंधा पानी भी बंद हो गया है जिससे पार्टी का एक वर्ग नाराज भी है .एक विधायक ने नाम न देने की शर्त पर कहा ,अब पार्टी के लोगों का कोई काम नहीं होता .अफसर जो चाहे करते हैं इससे दिक्कत बढ़ी है .हर सरकार में पार्टी के नेता थाना पुलिस कलेक्टर आदि के दफ्तर तक अपना प्रभाव रखते थे .अब वह स्थिति नहीं है इससे कार्यकर्त्ता नाखुश हो जाता है .

पर इसका दूसरा पहलू भी है .चुनाव में जब वोट हिंदुत्व के नाम पर ही मिलना है तो छोटे मोटे काम का क्या फर्क पड़ना .लेकिन कुछ काम हुए है .

रामदत्त त्रिपाठी ने आगे कहा ,केवल हिंदुत्व से तो काम चलेगा नहीं .गोरखपुर के रामगढ़ ताल में अगर सी प्लेन उतरने की योजना है तो कुछ तो काम करना होगा .यूपी में अगर फिल्म सिटी का नारा उछला है तो कुछ किया तो होगा ही .कोरोना को लेकर भी राज्य सरकार के काम की तारीफ़ तो हुई है .और टाइम जैसी पत्रिका में सरकार के उपलब्धियों पर कुछ प्रकाशित हो तो उसका लाभ सरकार क्यों नहीं लेगी .दरअसल अब यह समझ में आ गया है कि हिंदुत्व के साथ सुशासन भी जरुरी है .इसलिए कई क्षेत्रों में पहल की जा रही है ‘.       


सादगी का जीवन

राजनीति के जानकर जो भी कहें पर योगी की कुछ खासियत उन्हें दूसरे नेताओं से अलग करती हैं .वे अविवाहित हैं ,संपत्ति का उन्हें क्या लोभ होगा .इसलिए उन्हें पासे के लोभ से कोई विचलित कर सके यह आशंका भी नहीं है .वे मोदी की तरह बहुत महंगे कपडे या अन्य विदेशी ब्रांडेड सामान का इस्तेमाल नहीं करते .खासकर चश्मा ,घडी जुटे या पेन आदि का .इस मामले वे आम आदमी की तरह सादगी से रहते हैं .शायद मठ के आचार विचार और संस्कृति का यह असर हो .दूसरे उन्हें हिंदुत्व का कोई चोला नहीं पहनना पड़ता .

राजनीति के जानकर जो भी कहें पर योगी की कुछ खासियत उन्हें दूसरे नेताओं से अलग करती हैं .वे अविवाहित हैं ,संपत्ति का उन्हें क्या लोभ होगा .इसलिए उन्हें पासे के लोभ से कोई विचलित कर सके यह आशंका भी नहीं है .वे मोदी की तरह बहुत महंगे कपडे या अन्य विदेशी ब्रांडेड सामान का इस्तेमाल नहीं करते .खासकर चश्मा ,घडी जुटे या पेन आदि का .इस मामले वे आम आदमी की तरह सादगी से रहते हैं .शायद मठ के आचार विचार और संस्कृति का यह असर हो .दूसरे उन्हें हिंदुत्व का कोई चोला नहीं पहनना पड़ता .
योगी आदित्यनाथ कट्टर हिंदू सन्यासी के रूप में ही देखे जाते हैं , चाहे जिस भी मंच पर हों .जबकि भाजपा के प्रायः सभी नेताओं को हिदुत्व का भार ढोना पड़ता है .यह एक बड़ा फर्क है .पर क्या यह एक वजह उनके लिए नई चुनौती तो नहीं बनने जा रही है . चर्चा है कि भाजपा हाईकमान जल्दी ही योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल की सोच रहा है.

यह लेख मीडिया स्वराज से लिया गया है.

 

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