हमारे गरीब करोड़पति सांसद-विधायक

संक्षेप:

  • क्या हमारे देश के सांसद और विधायक हैं गरीब
  • कांग्रेस के कद्दावर नेता आनंद शर्मा ने किया ट्वीट
  • प्रत्येक सांसद पर महीने में करीब 2,70,000 रु आते हैं खर्च

By: मदन मोहन शुक्ला

अभी हाल ही में कांग्रेस के कद्दावर नेता आनंद शर्मा ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से यह बताने की कोशिश की, हम सांसदों की स्थीति चपरासी से भी गयी गुजरी है। लिखतें हैं, "प्रधानमंत्री जी सांसदों को सात दिनों के भीतर अपना आवास खाली करने का आपका हुक्म बहुत ही सख्त है। यह मनमाना और पक्षपातपूर्ण है। पूर्व सांसदों को एक चपरासी से भी कम पेंशन मिलती हैं। सरकार के सचिवों को भी 6 महीने तक आवास बरक़रार रखने की अनुमति है।

अब सवाल उठता है कि हमारे देश के सांसद, विधायक एवं अन्य माननीय क्या इतने गरीब है जैसा आनंद शर्मा जी बता रहें है। हां गरीब हैं इसकी एक बानगी कर्नाटक से एक कांग्रेस के ही अयोग्य घोषित विधायक एम टी बी नागराज जो होशकोट कर्नाटक से विधायक हैं इन्होंने अपने एफिडेविट में कुल सम्पति 1015 करोड़ घोषित की थी और अभी हाल में 11करोड़ की रोल्स रॉयस फैंटम खरीदकर मीडिया बॉय बने। आज जितने भी हमारे सांसद हैं ए0डी0आर0 की एक रिपोर्ट के अनुसार 91% सांसद करोड़पति हैं जिनकी कुल सम्पति औसत 20 .93 करोड़ है। जो आंकड़े हैं उसमें 2009 में 58% सांसद करोड़पति थे आज 91%। जिसमें कांग्रेस के 96%,बीजेपी के 88%,और डी0एम0के0 के 96% ,टी एम सी 91%,बीजेपी की सहयोगी दल एल जे पी और शिव सेना के सारे सांसद करोड़पति हैं। इसके अलावा स प ,बी एस पी,टी डी आर, टी आर एस,ए ए प, नेशनल कांफ्रेंस इसमें भी करोड़पति सांसद है। महिला सांसद में 36% करोड़पति है।

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आम जनता जो ईमानदारी से  टैक्स भरती है और इनका बोझ भी ढोती है। इकनोमिक सर्वे के अनुसार सांसदों की सैलरी,अन्य भत्ते के मद में 2015-16 में 1.77 बिलियन रु0 खर्च हुए। इसमें यात्रा भत्ता एवं दैनिक भत्ते पर खर्च का आंकड़ा सम्मिलित नहीं है। जबकि इनके लोकसभा और राज्यसभा में वॉकआउट, हुड़दंग की वजह से 2018 में 1.98बिलियन  रु0 आम आदमी की गाढ़ी कमाई के बर्बाद हो गए। तो ये है इनकी गुणवत्ता और काम के प्रति लगन।

इंडिया स्पेण्ड की मार्च 13,2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार 1अप्रैल,2018 से सांसदों और केंद्रीय मंत्री के वेतन एवं अन्य मद में 55,000 रु की वृद्धि की गई है ।

इस तरह प्रत्येक सांसद पर महीने में करीब 2,70000 रु खर्चे आते हैं।इसमें यद्यपि दूसरी सुविधाएं जैसे मुफ्त का  आवास, चिकित्सा और टेलीकॉम की सुविधा सम्मिलित नहीं है। जब लोक सभा चलती है तो इनको प्रतिदिन 2000 रु रोज का भत्ता मिलता है। इसके अलावा साल में 34 मुफ्त की हवाई यात्रा ,अनगिनत रेल एवं रोड यात्रा। जो इनको वेतन मिलता है उस पर इनकम टैक्स नहीं देना होता यह कैसा लोकतंत्र से मज़ाक है।

वर्तमान लोकसभा में एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक कुल 475 सांसद करोड़पति हैं जिसमें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पुत्र नकुल नाथ जो छिंदवाड़ा से सांसद हैं उनके पास सबसे ज्यादा सम्पति जो करीब 660 करोड़ है फिर भी आनंद शर्मा के अनुसार गरीब हैं। इसके बाद तमिलनाडु के कन्याकुमारी से सांसद बसंत कुमार एच(417करोड़),और कर्नाटक के बेंगलुरु ग्रामीण से सांसद डीके सुरेश(338 करोड़)।
इसमें हमारें विधायक भी पीछे नहीं है। उत्तर प्रदेश में ए डी आर के अनुसार 2017 में 322 यानि 10 में 8 विधायक  करोड़पति हैं जबकि 2012 में 271 यानि 67%विधायक करोड़पति थे।

मध्य प्रदेश में 72% विधायक करोड़पति हैं। देश के सबसे अमीर विधायकों में बीजेपी  के संजय पाठक जिनकी सालाना आय 8 करोड़ 94 लाख है। देश के टॉप 20 में यह 9वे पायदान पर है विजयराघवगढ़ से विधायक है पहले यह कांग्रेस में थे। जिनकी कुल सम्पति 141 करोड़ है। कर्नाटक के दस सबसे अमीर विधायकों में 7 कांग्रेस से हैं। होशकोट से कांग्रेसी विधायक एम टी बी नागराज कुल सम्पति 1015 करोड़। कांग्रेस के 11 नए विधायक ऐसे हैं जिन्होंने 100 करोड़ से ज्यादा की सम्पति घोषित की है लेकिन फिर भी गरीब है। काश ऐसे गरीबों जैसा, देश का हर गरीब हो जाये।

आनंद शर्मा जी जो आंकड़े ऊपर बताते हैं  उससे हमारें सांसद इतने गरीब नहीं। हारने के बाद भी महीनों सालों तक सरकारी बंगलो पर कब्ज़ा जमाए रखने की प्रवृति के खिलाफ मोदी सरकार का फैसला बिलकुल जायज़ है। चुनाव नतीज़े आने के तीन महीने बाद भी क्यों जमे है सब?
आज देश आर्थिक तौर पर बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है। आम आदमी जो राजनीतिक शोषण ,उत्पीड़न व प्रताड़ना का पीड़ित वर्ग है। इसके चेहरे पर खुशियां लाने का हर नेता दावा और दम्भ  दोनों करता है लेकिन सबसे ज्यादा शोषण भी इसी का होता है। लेकिन तब भी वो देश के भले की सोचता है प्रधानमंत्री के आवाहन पर गैस सब्सिडी छोड़ देता है लेकिन हमारे माननीय में बस चार पांच है जिन्होंने सब्सिडी छोड़ी बाकी करोड़पति सांसद विधायक इसका उपभोग कर रहे हैं। जनता के सामने मिसाल बनने की जगह खुद जनता पर बोझ बन गए है। करोड़पति की जमात है ,अगर अच्छा होता पीड़ित जनता के लिए जो सुख सुविधा का उपभोग जनता के पैसे से कर रहे है वो जनता को समर्पित कर देते पर ऐसा नहीं है । अपराधी होने के बावजूद भी जरा सी छीकं आने पर सरकारी मेहमान बन कर अच्छे से अच्छे अस्पताल में इलाज करवाते हैं। जबकि आम आदमी इलाज के आभाव  में मर जाता है। यहाँ छोटे से छोटा नेता भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जगह महंगी गाड़ियों पर सरकारी खर्चे पर चलता है क्यों नहीं वह जर्मनी चांसलर एंजेल मैर्केल से सीख लेता जो पब्लिक ट्रांसपोर्ट से काम पर जाती हैं।

आर्थिक नज़रिये से मजबूत होने के बावजूद जिसके द्वारा  सांसद -विधायक बनें।वहीं जो शोषित है गरीब है जिसे आपकी ज़रुरत है। उसके लिए सरकार द्वारा दी गयी विलासिता- मुफ्त में पानी ,बिजली ,आवास, देश विदेश की यात्रा ,आयकर से वेतन पर मिली छूट एवं सरकार द्वारा मिली सुरक्षा चाहे वह जेड प्लस हो या अन्य कोई,जिसका वहन आम आदमी करता है उसको आम जन के कल्याण के लिए नैतिकता है तो सरेंडर कर दे तभी एक मिसाल बनेंगे लेकिन ऐसा करने की हिम्मत नहीं। इस संदर्ब में नरेंद्र मोदी जी ने सीओल शांति पुरस्कार के रूप में मिली 1.30 करोड़ की राशि पर लगने वाले टैक्स माफ़ी के आदेश को निरस्त करने का अनुरोध करके अन्य सांसदों को देश के कल्याण में योगदान एवं भागीदार बनने की सीख दी। मुझे नहीं लगता इसको हमारे सांसद गंभीरता से लेंगे।क्योकि संसद की कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी जिसका बोझ आम जन ढोता है उसको लोकसभा सचिवालय के 1जनवरी 2016 से सब्सिडी खत्म करने का जो बयान जारी किया उसके मद्देनज़र शून्य होनी चाहिए लेकिन यह जारी है। 2015-16 वित्त वर्ष  में कुल सब्सिडी 15.97 करोड़ दी गयी जो आज भी जारी है।पिछले पांच साल में खाने के मद पर गरीब करोड़पति सांसदों को करीब 74 करोड़ की सब्सिडी दी गयी। इसका ब्रेकअप 2012-13-12.52 करोड़ ,2013-14-14.09करोड़,2014-15-15.85 करोड़,2015-16-15.97करोड़, 2016-17-15.40करोड़। अगर यह सब्सिडी काश हमारे गरीब करोड़पति सांसद देश के हित में छोड़ देते तो इससे देश के हज़ारों  बेरोज़गार युवाओं का भला होता।

एक तरफ तो आम जनता ईमानदारी से आयकर,सेवा कर,जी एस टी ,वेल्थ टैक्स,कारपोरेशन टैक्स,ऑटोमोबाइल रजिस्ट्रेशन टैक्स एवं प्रॉपर्टी टैक्स आदि देता है जो करीब आय का 50% गाढ़ी कमाई का है लेकिन इनको इसका लाभ मिलता है यह कहाँ का इंसाफ है। कायदे से यह जनप्रतिनिधि हैं इन्हें यह सारी सुविधाएं इनकी आर्थिक हैसियत को देखतें हुए नहीं मिलनी चाहिए।या इनको स्वयं इन सारी सुविधाओं को देश को समर्पित कर देश की खुशहाली में योगदान करना चाहिए न कि यह दुखड़ा रोना की हमें चपरासी से भी कम पेंशन मिलती है।यह कह कर आप लोग संसद की गरिमा और लोकतंत्र के मूल्यों का अपमान करते हैं।

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