Lok Sabha Election 2019: चंद्रशेखर-प्रियंका की मुलाकात से सपा-बसपा के बदले तेवर, अमेठी-रायबरेली में उतारेंगे प्रत्याशी!

संक्षेप:

  • कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद के बीच मुलाकात के बाद यूपी की सियासत गरमा गई है
  • मुलाकात के बाद बुधवार शाम बसपा प्रमुख मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने करीब डेढ़ घंटे बैठक की
  • गठबंधन इन दोनों सीटों पर भी उम्मीदवार उतार सकता है

रायबरेली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद के बीच बुधवार को हुई मुलाकात के बाद यूपी की सियासत गरमा गई है. बसपा सुप्रीमो मायावती पहले ही कांग्रेस से किसी भी राज्य में गठबंधन न करने का ऐलान कर चुकी हैं और अब भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर से प्रियंका की मुलाकात ने आग में घी डालने का काम कर दिया है. दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात के बाद बुधवार शाम बसपा प्रमुख मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने करीब डेढ़ घंटे बैठक की. मायावती के आवास पर हुई बैठक में प्रियंका-चंद्रशेखर की मुलाकात का जवाब देने की रणनीति पर विचार किया गया. दोनों ही मुलाकातों को एक दूसरे पर दबाव बनाने की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है. सूत्रों के अनुसार, अगर कांग्रेस चुनावों में चंद्रशेखर को साथ लेती है, तो सपा-बसपा अमेठी और रायबरेली में उम्मीदवार उतार कर कांग्रेस पर दवाब बनाएंगे.

दरअसल, गठबंधन के तहत सपा और बसपा ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी की सीट अमेठी व रायबरेली पर उम्मीदवार उतारने का फैसला नहीं लिया है, लेकिन पल-पल बदलते समीकरण को देखते हुए एक दूसरे पर दबाव बनाने की कोशिश जारी है. जिसके बाद कहा जा रहा है कि गठबंधन इन दोनों सीटों पर भी उम्मीदवार उतार सकता है. इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती गुरुवार को प्रत्याशियों का टिकट फाइनल करने के लिए लखनऊ कैंप कार्यालय पर लोकसभा प्रभारियों और जोनल को-ऑर्डिनेटरों की अहम बैठक बुलाई है. इस बैठक में अमेठी और रायबरेली सीट को लेकर भी चर्चा होगी.

राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई

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दरअसल, यूपी में कांग्रेस को गठबंधन में शामिल न करने की कई वजह हैं. इसमें एक अहम वजह है मायावती के राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई. बसपा का उदय कांग्रेस के दलित वोट बैंक के अलग होने से हुआ. पिछले तीन चुनाव में करारी शिकस्त के बाद अब बसपा के सामने अपने दलित वोट बैंक को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही बसपा के इस वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए तैयार हैं. तेजी से उभर रहे युवा चंद्रशेखर से भी मायावती को खतरा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों में चंद्रशेखर ने दलित वोट बैंक में अच्छी पकड़ बनाई है. यह चुनौती भी बसपा के लिए मुंहबाए खड़ी है.

यही वजह है कि चंद्रशेखर द्वारा बार-बार मायावती को समर्थन की बात कहने के बावजूद वे उन पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ती. मायावती कई बार चंद्रशेखर को बीजेपी का बी टीम भी बता चुकी हैं. अब चद्रशेखर ने मायावती और अखिलेश को पीएम मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने की मांग की है. अगर ऐसा नहीं होता तो चंद्रशेखर ने खुद पीएम मोदी के खिलाफ मैदान में उतरने का ऐलान किया है. इस बीच चंद्रशेखर को कांग्रेस का समर्थन मिल रहा है. यह स्थिति सपा-बसपा गठबंधन के लिए अच्छी नहीं मानी जा रही.

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