अयोध्या में बाबरी मस्जिद नहीं थी, बाबर वहां कभी नहीं गए: शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती

संक्षेप:

  • राम मंदिर पर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने बड़ा बयान दिया है.
  • उन्होंने कहा है कि, “अयोध्या में कोई बाबरी मस्जिद नहीं थी.
  • बाबर कभी अयोध्या नहीं गया.

देहरादून: राम मंदिर पर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि, “अयोध्या में कोई बाबरी मस्जिद नहीं थी. बाबर कभी अयोध्या नहीं गया. हुमायूं भी उसकी चर्चा नहीं करता, आइने-अकबरी में भी उसकी कोई चर्चा नहीं है. यहां तक कि तुलसीदास जी भी नहीं कहते हैं कि वहां कोई मस्जिद थी. ऐसी स्थिति में यह भ्रांति पैदा कर दी गई कि ... हम लोग नहीं मानते कि वहां कोई मस्जिद थी. इसके अतिरिक्त एक बात और है वहां ढांचा टूटने के पहले 14 कसौटी के खंभे थे, एक मंगल कलश बना हुआ था, हनुमान जी का एक चित्र था. वहां वजू करने का कोई कुआं नहीं था. साथ ही अजान करने की कोई मीनार भी नहीं थी. मस्जिद का कोई चिन्ह वहां नहीं था. विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने ही ढांचा तोड़कर यह भ्रांति फैलाई कि वहां मस्जिद रही होगी, नहीं तो हिंदू उसे क्यों तोड़ते.”

स्वरूपानंद सरस्वती ने विहिप पर लगाए ये बड़े आरोप

उन्होंने आरोप लगाया कि, “विहिप (विश्व हिंदू परिषद) ने इतना ही नहीं किया है, बल्कि विहिप ने राम चबूतरा भी तोड़ दिया है. शिव पंचायत तोड़ा है. इन्होंने भगवान की मूर्ति तोड़ी है. सीता-रसोई तोड़ी है. उसको एकदम सपाट (समतल) कर दिया है.”

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विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) का उद्देश्य मंदिर बनाना नहीं है

स्वरूपानंद सरस्वती यही नहीं रूके, उन्होंने यह भी कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट हमारी बात नहीं काट सकता. क्या बाबर कभी वहां आया? बाबरी मस्जिद का कोई अस्तित्व नहीं है. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) का उद्देश्य मंदिर बनाना नहीं है. भारत में मुस्लिमों से कोई बैर नहीं है. बकरीद पर कुर्बानी बंद करें मुस्लिम. फिर मुस्लिम भाइयों से कोई बैर नहीं.

RSS के लोग मंदिर नहीं, स्मारक बनाने वाले हैं

स्वरूपानंद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर आरोप लगाया कि, “इस संस्था में राम को भगवान नहीं माना जाता. ये मंदिर बनाने वाले नहीं, स्मारक बनाने वाले लोग हैं. इनके सिद्धान्त सनातन धर्म के विपरीत हैं.”

कोई प्रधानमंत्री मंदिर का निर्माण नहीं कर सकता

स्वरूपानन्द सरस्वती ने कहा कि, “भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष है. कोई प्रधानमंत्री मंदिर का निर्माण नहीं कर सकता. पूर्ण बहुमत के बाद भी राम मंदिर नहीं बना सकता. पीएम नरेंद्र मोदी खुद संविधान को धर्म मानते हैं, वे कैसे इसका (संविधान का) उल्लंघन कर सकते हैं.”

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