चंद्रग्रहण आज: भूकंप,सुनामी के साथ राजनीतिक उठा-पटक की आशंका, इन 3 उपायों से मिलेगा लाभ

संक्षेप:

  • इस बार चंद्र ग्रहण पर वही दुर्लभ योग बन रहे हैं जो 149 साल पहले 12 जुलाई, 1870 को 149 साल पहले गुरु पूर्णिमा पर बने थे.
  • चंद्रग्रहण की वजह से पृथ्वी के बड़े भूभाग पर भूकंप, सुनामी, आगजनी और तूफान-चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं तक आ सकती हैं.
  • चंद्रग्रहण से पृथ्वी पर सूक्ष्म परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं.

लखनऊ: ज्योतिष गणनाओं के अनुसार सूर्य ग्रहण के बाद इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 16 जुलाई को लगने वाला है. यह चंद्र ग्रहण कई मायनों में खास बताया जा रहा है. बता दें, इस बार चंद्र ग्रहण पर वही दुर्लभ योग बन रहे हैं जो 149 साल पहले 12 जुलाई, 1870 को 149 साल पहले गुरु पूर्णिमा पर बने थे.

रात 1 बजकर 32 मिनट से 4:30 बजे तक चंद्र ग्रहण रहेगा

16-17 जुलाई को रात 1 बजकर 32 मिनट से 4:30 बजे तक चंद्र ग्रहण रहेगा. तीन घंटे तक रहने वाला यह ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप में भौगोलिक और राजनीतिक उठा-पटक की वजह बन सकता है.

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प्राकृतिक आपदाओं की आशंका

ज्योतिषाचार्य डॉ. अरुणेश कुमार शर्मा के अनुसार इस बार लगने वाले चंद्रग्रहण की वजह से पृथ्वी के बड़े भूभाग पर भूकंप, सुनामी, आगजनी और तूफान-चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं तक आ सकती हैं. धनु राशि में ग्रहण होने से सत्ताधीशों राजनेताओं और उच्च सलाहकारों के लिए मुश्किल बढ़ सकती है. ग्रहण उक्त महाद्वीपों के कुछ देशों-प्रदेशों में सत्ता परिवर्तन भी करा सकता है. सर्वाधिक खतरा बड़े भूकंप और सुनामी का है. ग्रहण का प्रभाव एक चंद्र-माह अर्थात रक्षाबंधन तक बना रहेगा.

राजनीतिक उथल-पुथल की भी है संभावना

डॉ अरुणेश कुमार शर्मा ने बताया कि ग्रहण का मध्य रात्रि 3 बजकर 10 मिनट पर होगा. इस समय उदया-लग्न वृषभ राशि का रहेगा. वृषभ पृथ्वी तत्व की स्थिर राशि मानी जाती है. चंद्रग्रहण भूभाग की स्थिरता को प्रभावित करेगा. सूर्यदेव गुरु के नक्षत्र पुनर्वसु में रहेंगे. गुरु सत्ता के कारक और सलाहकार माने जाते हैं. ग्रहण सत्ताओं और सलाहकारों के लिए भी खासा उथलपुथल का कारक बना रहेगा. चंद्रमा के साथ शनि-केतु होने से जनमानस में भ्रम की स्थिति निर्मित हो सकती है. ऐसे में लोगों को अफवाह फैलाने वाले लोगों से सतर्क रहना चाहिए.

दोपहर 4 बजकर 32 मिनट से ही शुरू हो जाएगा सूतक

चंद्रग्रहण का सूतक अपराह्न 4 बजकर 32 मिनट से शुरू होगा. जिसके बाद भोजन निर्माण और ग्रहण करना निषेध रहेगा. विशेष अवस्था में गर्भवती महिलाएं, वृद्ध, बच्चे और रोगी तुलसी-दल पड़े हुए और सोने छुए पानी के छिड़काव युक्त भोज्य व जल को ले सकते हैं.
ग्रहण के दौरान मंदिरों में पट बंद रहेंगे. ईश भजन आराधना ही स्वीकार होगी. तपस्वी और साधुजन गहन ध्यान कर सकते हैं. सामान्य जन सहज ध्यान ही करें.महर्षियों के अनुसार ग्रहणकाल को शेषनाग की हलचल माना जाता है. इससे पृथ्वी प्रभावित होती है. पृथ्वी वासियों के लिए यह समय सतर्कता और संक्रमण का होता है.

संभवत: चंद्रग्रहण की वजह से ही चंद्रयान की लांचिंग टली

चंद्रग्रहण से पृथ्वी पर सूक्ष्म परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं. संभवतः इसरो को भी इसी वजह से चंद्रयान की लॉन्चिंग को टालना पड़ा. ज्योतिषाचार्य डॉ अरुणेश कुमार शर्मा के अनुसार चंद्रग्रहण के प्रभाव से हिंदमहासागर और उससे जुड़े विभिन्न देशों में भी भूगर्भीय हलचल देखने को मिल सकती है. भारतीय प्रायद्वीप के कई भाग इस हेतु अतिसंवेदनशील हैं. विशेषतः कर्क रेखा और भूमध्य रेखा के बीच का भाग. ऐसे ही प्रभाव से 2004 में आई भयंकर सुनामी की तबाही पूरा संसार पहले भी देख चुका है.

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