कोरोना वायरस के कारण 12 लाख करोड़ का व्यापार घाटा, कैट और यूपी व्यापार मंडल ने की सरकार से वित्तीय पैकेज की मांग

संक्षेप:

संजय पटवारी ने कहा कि कारोबार के लगभग रु. 12 लाख करोड़ के व्यापारिक नुक्सान में खुदरा व्यापार में लगभग 7.50 लाख करोड़ रुपये और थोक व्यापार में लगभग 4.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

लखनऊ। "कोरोनावायरस की दूसरी लहर के प्रकोप से पिछले दिनों में भारत के घरेलू व्यापार को 12 लाख करोड़ रुपये का व्यापार घाटा हुआ है, जो एक बड़ा नुकसान है और निश्चित रूप से ऐसे समय में जब लॉक डाउन वापिस लिए जाएगा तब व्यापारियों को अपने व्यापार को दोबारा खड़ा करना बेहद मुश्किल होगा" 

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) एवं उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल ने आज यह आंकड़े जारी करते हुए कहा की देश का व्यापार बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है। कोरोना की दूसरी लहर ने व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी है।

कैट के राष्ट्रीय मंत्री एवं उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय पटवारी ने कहा की हमने पिछले दिनों की अवधि में सभी कारणों को ध्यान में रखते हुए देश के आंतरिक व्यापार के राज्यवार नुकसान का अनुमान लगाया जो लगभग 12 लाख करोड़ रुपये का है जो कि काफी बड़ा नुकसान है। देश में लगभग 8 करोड़ छोटे बड़े व्यापारी हैं जो देश के घरेलू व्यापार को चलाते हैं।

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संजय पटवारी ने कहा कि कारोबार के लगभग रु. 12 लाख करोड़ के व्यापारिक नुक्सान में खुदरा व्यापार में लगभग 7.50 लाख करोड़ रुपये और थोक व्यापार में लगभग 4.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। एक अनुमान के अनुसार महाराष्ट्र को करीब 1.10 लाख करोड़, दिल्ली को करीब 30 हजार करोड़, गुजरात को करीब 60 हजार करोड़, उत्तर प्रदेश को करीब 65 हजार करोड़, मध्य प्रदेश को करीब 30 हजार करोड़, राजस्थान को करीब 25 हजार करोड़, छत्तीसगढ़ को लगभग 23 हजार करोड़, कर्नाटक को लगभग 50 हजार करोड़ का व्यापार का नुक्सानऔर इसी तरह अन्य राज्यों को पिछले दिनों के दौरान व्यापार में बड़ा घाटा हुआ है।

व्यापारी नेता संजय पटवारी ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से पत्र के माध्यम से आग्रह किया कि लॉकडाउन हटने पर व्यापारियों को उनकी व्यावसायिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए एक वित्तीय पैकेज दिया जाए। व्यापारियों की जिम्मेदारी केवल केंद्र सरकार की नहीं है बल्कि राज्य सरकार भी अपने-अपने राज्यों के व्यापारियों के लिए उत्तरदायी हैं।

हालांकि अर्थव्यवस्था के अन्य सभी क्षेत्रों के हितों का विधिवत ध्यान रखा गया था। सरकार को जीएसटी, आयकर और टीडीएस के तहत सभी पालनाओं की वैधानिक तिथियों को कम से कम 31 अगस्त, 2021 तक के लिए स्थगित कर देना चाहिए। इसके अलावा बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को व्यापारियों को आसान तरीके से और रियायती ब्याज दर पर ऋण देने का निर्देश दिया जाए । डिजिटल भुगतान करने पर बैंक शुल्क माफ किया जाना चाहिए और सरकार बैंक शुल्क सीधे बैंकों को सब्सिडी दे सकती है।

साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से यह मांग की है सरकार द्वारा पटरी, खोखे वालों को तो 1000 पर माह देने की घोषणा की है परंतु मध्यमवर्गीय व्यापारी के लिए किसी भी तरह की घोषणा नहीं की गई है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि लॉक डाउन की अवधि के अंतर्गत राज्य सरकार व्यापारियों के ऊपर विभिन्न टैक्सों में छूट के साथ साथ वाणिज्य प्रतिष्ठान को बिजली बिल में भी रियायत दें जिससे कि व्यापारियों का करो का कुछ बोझ कम हो सके और लॉकडाउन के बाद अपने व्यापार को गति दे सकें।

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