सरकार के खिलाफ शिक्षामित्रों का प्रदर्शन, महिलाओं ने कराया मुंडन

संक्षेप:

  • स्थाई नौकरी की मांग को लेकर शिक्षा मित्रों का प्रदर्शन
  • परमानेंट करने की मांग को लेकर महिला शिक्षा मित्रों ने कराया मुंडन
  • मुख्यमंत्री आवास की तरफ निकले सैकड़ों शिक्षा मित्रों को पुलिस ने रोका

स्थाई नौकरी की मांग को लेकर शिक्षा मित्रों का प्रदर्शन सूबे में लगातार जारी है। सरकार के खिलाफ़ अपनी नाराजगी जताते हुए महिला शिक्षा मित्रों ने अपना मुंडन कराकर सरकार से नौकरी में समायोजन की मांग की। आपको बता दें कि 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक बनाए गए 1.70 लाख शिक्षामित्रों के समायोजन को असंवैधानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सैकड़ों शिक्षामित्रों ने आत्महत्या कर ली थी। इसलिए 25 जुलाई को शिक्षा मित्र काला दिवस के रूप में मना रहे है।

शिक्षामित्रों की मांग है कि उन्हें परमानेंट टीचर बनाया जाए, जो शिक्षामित्र टीईटी उत्तीर्ण हैं उन्हें बिना लिखित परीक्षा के नियुक्ति दी जाएष इसके अलावा असमायोजित शिक्षामित्रों के लिए भी सरकार से कोई समाधान निकालने की मांग की गई है। इस बैठक के बाद उम्मीद कि जा रही है कि शिक्षामित्रों की समस्या का जल्द ही समाधान होगा। आइकॉन गार्डन में अपने प्रदर्शन के बाद शिक्षा मित्र बड़ी तादाद में मुख्यमंत्री आवास की और निकले। जहां पुलिस ने हालात पर काबू बनाये रखने के लिए इको गार्डन गेट बंद कर दिया। गेट बंद किये जाने के बाद शिक्षा मित्रों ने गेट पर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ़ जमकर नारेबाजी की।

कल्याण सिंह के राज में शुरू हुई थी शिक्षामित्रों की भर्ती

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26 मई 1999 को कल्याण सिंह सरकार ने शिक्षामित्रों की नियुक्ति का आदेश जारी किया था। इसके लिए शैक्षिक योग्यता 12वीं पास रखी गई। इसकी शुरुआत गोरखपुर से हुई और उन्हें 11 महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया। इसके बाद 2001 में पूरे प्रदेश में शिक्षामित्रों की नियुक्ति का फरमान जारी हुआ। वर्ष 2008 तक प्रदेश में 1।71 लाख शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई। शुरुआत में इन्हें 1800 रुपए प्रतिमाह मंदी मिलता था, जो बाद में बढ़कर 3500 रुपए प्रतिमाह हो गई। अगस्त 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद प्राइमरी स्कूलों में बिना ट्रेनिंग किए लोगों की नियुक्ति का प्रावधान खत्म हुआ, जिसके बाद शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई। तत्कालीन मायावती सरकार ने नियुक्त शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से बीटीसी का कोर्स करवाया।

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