आजाद हो गया देश, बदल गईं कई सरकारें मगर इस गांव में नहीं जल पाया बल्‍ब

संक्षेप:

  • सोचिये अगर आपके घर में बिजली महज दो मिनट के लिए चली जाती है तो कितनी बेचैनी महसूस होती है
  • लेकिन यूपी के बलरामपुर जिले में करीब दो सौ घर की बसावट वाला एक गांव ऐसा भी है जहां आजादी के 72 वर्ष बाद भी आज तक ग्रामीण बिजली तक नहीं देखे हैं और डिबरी लालटेन से ही अपनी जिंदगी गुजारने पर मजबूर है
  • इस मामले में जिलाधिकारी का कहना है कि जल्द ही ग्रामीणों को बिजली मुहैया कराई जाएगी .

सोचिये अगर आपके घर में बिजली महज दो मिनट के लिए चली जाती है तो कितनी बेचैनी महसूस होती है, लेकिन यूपी के बलरामपुर जिले में करीब दो सौ घर की बसावट वाला एक गांव ऐसा भी है जहां आजादी के 72 वर्ष बाद भी आज तक ग्रामीण बिजली तक नहीं देखे हैं और डिबरी लालटेन से ही अपनी जिंदगी गुजारने पर मजबूर है. इस मामले में जिलाधिकारी का कहना है कि जल्द ही ग्रामीणों को बिजली मुहैया कराई जाएगी .

बलरामपुर जिले में त्रिशूली गांव के डुमरिया और खजुआहि पारा, जो कि राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम के गृहग्राम से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर बसा है, के ग्रामीणों के घर में आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि हमारी पूरी उमर बीतने को है लेकिन हम आज तक बिजली नहीं देख पाए हैं. नेता सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं और उसके बाद उनका दर्शन दुर्लभ हो जाता है.

गांव की बुजुर्ग महिलाओं का कहना है कि रात में अंधेरे में जंगली जानवर और सांप बिच्छू का खतरा बना रहता है, लेकिन वो अपनी पूरी जिंदगी अंधेरे में ही बिता दिए हैं. लाइट देखने को आज तक नसीब नहीं हो पाया है. डुमरिया पारा में रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि लाइट को देखने के लिए उनको दूसरे गांव में जाना पड़ता है लेकिन उनके गांव में आज तक लाइट नहीं आ पाई है. गांव में पढ़ने वाले बच्चों के लिए डिबरी लालटेन ही एक सहारा हैं. बच्चे डिबरी की रोशनी से अपनी पढ़ाई करते हैं लेकिन केरोसिन का तेल भी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाने से बच्चों को आग जलाकर अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है.

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