चुनाव से 2 दिन पहले क्यों उठी अहीर रेजीमेंट की बात? किस वोट बैंक पर है SP और BJP की नजर

संक्षेप:

  • अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के मेनीफेस्टो में अहीर रेजीमेंट बनाने का वादा किया है
  • आजमगढ़ से बीजेपी के प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने भी अहीर रेजीमेंट का समर्थन किया है
  • इस रेजीमेंट को बनाने की यादव समाज की मांग काफी पुरानी है

लखनऊ: यूपी-बिहार में राजनीति जाति के इर्द-गिर्द ही घूमती है और राजनीतिक पार्टियां वोटों की गणित को फिट बैठाने के लिए जाति का कार्ड खेलते ही हैं. यही वजह है कि अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के मेनीफेस्टो में अहीर रेजीमेंट बनाने का वादा किया है. सपा के अहीर रेजीमेंट बनाने के वादे के बाद अब बीजेपी भी इसका समर्थन करने लगी है. आजमगढ़ से बीजेपी के प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने भी अहीर रेजीमेंट का समर्थन किया है. बड़ा सवाल ये है कि आखिर बीजेपी उम्मीदवार को अहीर रेजीमेंट का समर्थन क्यों करना पड़ा? जाहिर है यादव वोट बैंक.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस रेजीमेंट को बनाने की यादव समाज की मांग काफी पुरानी है. कोई भी यादव नेता चाहकर भी इसका विरोध नहीं कर पाता है. जाहिर है कि इस चुनावी मौसम में निरहुआ भी यादव वोटरों से नाराजगी का खतरा मोल नहीं लेना चाहते. उन्हें वहां यादव वोटरों को रिझाने के लिए ही उतारा गया है. यूपी की राजनीति समुदाय और जाति के इर्द-गिर्द घूमती है और पार्टियों के नेता अपने बिखरते-बनते वोट बैंक को सहेजने के लिए दांव चलते हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अखिलेश का अहीर रेजिमेंट के गठन का वादा यादव वोटबैंक और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की चमार रेजीमेंट की मांग दलित वोटबैंक को रिझाने को लेकर है. ऐसे में निरहुआ की ओर से भी अहीर रेजीमेंट का समर्थन यादव वोटरों को रिझाने के लिए ही किया गया है.

सीएसडीएस ने एक सर्वे किया था जिसके मुताबिक 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यूपी में छह फीसदी यादव वोट हासिल किया था, जो 2014 में बढ़कर 27 फीसदी तक पहुंच गया. 2009 में सपा को यादवों का 73 फीसदी वोट मिला था जो घटकर 2014 में सिर्फ 53 फीसदी रह गया. इस सर्वे को देखें तो यादव वोटबैंक सपा से खिसकता नजर आ रहा है. बीजेपी ने इस वोटबैंक में सेंध लगाई है. इसीलिए उसने अखिलेश यादव के सामने एक यादव को ही उतारा है.

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यूपी में ओबीसी की आबादी करीब 54 फीसदी है. जिसमें से सर्वाधिक करीब 20 फीसदी यादव हैं. जबकि कुल आबादी में यादवों की हिस्सेदारी करीब 8 प्रतिशत है. मुलायम सिंह यादव जब राजनीति में उभरे तो यादव सपा के पक्के वोटर हो गए. लेकिन बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान इस वोटबैंक में पैठ बनाना शुरू किया.

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