जानिए डॉ. संगीता से विश्व होम्योपैथिक दिवस पर इसकी कुछ खास बातें

संक्षेप:

  • इनफर्टिलिटी पर किया अच्छा काम
  • सिनकोना पेड़ से बनती है मलेरिया की दवा
  • होम्योपैथी में दिमाग से शुरू होता है इलाज

लखनऊः आज आधुनिक दौर में कई लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हैं। इन बीमारियों पर इलाज की खास जरूरत है। आपको बता दें कि बीमारियों के क्षेत्र में होम्योपैथी काफी अच्छा काम कर रही है।

होम्योपैथी किस तरह से काम करती है और ऐसे कौन से क्षेत्र हैं जिसमें होम्योपैथी को सफलता मिली है। इन तमाम मुद्दों पर NYOOOZ ने विश्व होम्योपैथी दिवस पर राजधानी लखनऊ के राजकीय नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संगीता भाटिया से बातचीत की।

पेश है बातचीत के कुछ अंश

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NYOOOZ : होम्योपैथिक किस क्षेत्र में ज्यादा अच्छा काम कर रही है, जरा बताएं?

डॉ. संगीता : वैसे तो होम्योपैथिक कई क्षेत्रों में अच्छा काम कर रही है लेकिन एक क्षेत्र है जिसमें होम्योपैथिक ने सराहनीय कार्य किया है वह है `इनफर्टिलिटी`। आपको बता दें कि जब डॉक्टर सभी टेस्टों के बाद पति- पत्नी से कहते हैं कि आपका सब कुछ नॉर्मल है अब आपको इंतजार करना पड़ेगा। इस इंतजार की घड़ी पर होम्योपैथिक अपना काम शुरू करती है और इलाज के बाद नतीजा भी निकल कर आता है। होम्योपैथी का मानना है कि जब शरीर में सब कुछ नॉर्मल है फिर इंतजार कैसा।

NYOOOZ : होम्योपैथी में बीमारी को खत्म करने का क्या तरीका अलग है और क्या यह बीमारी को जड़ से खत्म करती है?

डॉ. संगीता : बिल्कुल होम्योपैथी `Totality of Symptoms` पर कार्य करती है अगर इस को सरल शब्दों में कहा जाए तो यह कि होम्योपैथी में केवल एक मुख्य बीमारी पर केंद्रित होकर काम नहीं किया जाता बल्कि शरीर के हर महत्वपूर्ण अंग और उससे जुड़ी प्रतिक्रिया पर काम किया जाता है। होम्योपैथी में शुरुआत दिमाग से की जाती है क्योंकि दिमाग ही शरीर में हो रही हर गतिविधियों की जिम्मेदारी रखता है।

NYOOOZ : अक्सर लोग कहते हैं कि होम्योपैथी बीमारियों पर धीमी गति से काम करती है, यह बात कहां तक सच है?

डॉ. संगीता : होम्योपैथी में जिस बीमारी पर तेज सुधार की जरूरत होती है वहां पर दवाइयां तेज काम करती है और जहां सामान्य गति पर सुधार की जरूरत होती है वहां दवाइयां सामान्य रूप से काम करती हैं। उदाहरण के तौर पर बताना चाहूंगी कि जैसे, चिकन पॉक्स, ज्वाइंडिस, फीवर, लेकर अगर कोई व्यक्ति हमारे पास आता है तो उस पर दवाइयां तेजी से काम करें इस बात पर हमारा ध्यान रहता है लेकिन अगर कोई पेशेंट पुरानी बीमारियों को लेकर आता है। तो हम सामान्य गति से उस पर काम करते हैं। क्योंकि जिस मर्ज को वह लेकर आया है वह काफी पुराना है और उस पर तेजी से काम नहीं किया जा सकता उसको जड़ से मिटाने के लिए समय की जरूरत होती है।

NYOOOZ : क्या प्रकृति के नियम पर भी काम कर रही है होम्योपैथी, जरा बताएं?

डॉ. संगीता : बिल्कुल अगर सही मायने में देखा जाए तो होम्योपैथी प्रकृति के नियम का पालन करती है। आपको बता दें कि होम्योपैथी में सिनकोना पेड़ की छाल से मलेरिया की दवाई बनती है और अगर उसी पेड़ की छाल को आप खा ले तो आपको मलेरिया हो सकता है यानी होम्योपैथी एक ही चीज पर 2 तरीके से काम करती है यही प्रकृति का भी नियम है।

 

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