कर्ज में डूबी छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार के सामने एक नई चमक नजर आ रही है

महासमुंद. छत्तीसगढ़ के महासमुंद (Mahasamund) जिले के सरायपाली ब्लॉक के पहाड़ों में हीरे और सोने (Diamonds and Gold) की खान मिलने की उम्मीद सरकार को है. सरायपाली के विभिन्न क्षेत्र में हुए पूर्व में सर्वे के आधार पर अब एनएमडीसी (NMDC) और सीएमडीसी (CMDC) संयुक्त रूप से इन खानों की तलाश करेगी, जिसके लिए एनएमडीसी के अध्यक्ष की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) से मुलाकात के बाद सहमति भी बन गई है. केन्द्र सरकार की नवरत्न कंपनी राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) और राज्य सरकार का छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम (सीएमडीसी) संयुक्त रूप से महासमुंद (Mahasamund) के सरायपाली तहसील में हीरे और सोने की भंडार की खोज करेंगे. जिसे लेकर बीते 15 नवंबर को एनएमडीसी (NMDC) के अध्यक्ष एन बैजेन्द्र कुमार और वरिष्ठ अधिकारियों ने सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात की है. इसके बाद दोनों एजेंसियों के बीच संयुक्त रूप से काम करने पर सहमति भी बन गई है, जिसे सीएम भूपेश बघेल ने भी मंजूरी दे दी है. सीएम भूपेश बघेल व मंत्री मो. अकबर से हाल ही में एनएमडीसी के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की थी. इन इलाकों में हीरे की संभावनासीएम भूपेश बघेल ने कहा कि भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने महासमुंद जिले के सरायपाली क्षेत्र में हीरे और सोने का बड़ा भंडार होने की संभावना जताई है. जिओ केमिकल अध्ययनों की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरायपाली के शिशुपाल पहाड़ी क्षेत्र के लिमऊगुड़ा, जम्हारी, मल्दामाल, सहाजपाली और बसना क्षेत्र के चंदखुरी, कांदाडोंगरी, रूपापाली, धामन घुटकुरी, चपिया और पाटिलडोंगरी गांवों के नीचे किम्बर लाइट की चट्टानें मौजूद हैं, जिसके आधार पर एजेंसियों को इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में हीरे और सोने की खान मिलने का अनुमान है. बेशकीमती धातुओं का भंडार महासमुंद जिले के सरायपाली-बसना का एक अलग ही इतिहास रहा है. क्षेत्र के जानकार व स्थानीय जनप्रतिनिधि ओमप्रकाश चौधरी बताते हैं कि सरायपाली-बसना के अलग-अलग क्षेत्रो में कई बेशकीमती धातुओं का भंडार है. जिसके प्रत्यक्ष प्रमाण पूर्वजोंकाल से उन्हें देखने और सुनने को मिलते आ रहा हैं. यदि हम इस क्षेत्र के इतिहास की ओर जायें तो पहले राजा महाराजाओं के समय में इस क्षेत्र को फूलझर राज्य कहा जाता था. जिसके दक्षिण में सारंगढ़, पूर्व में ओड़िशा का सम्बलपुर, उत्तर में राजबुढ़ा सम्मबल और पश्चिम में बिलाईगढ़ सामंत का राज्य रहा है, जो आदिवासी राजाओं का गढ़ रहा है. यही नहीं पुरातन नक्शे के आधार पर यह क्षेत्र महानदी के किनारे पर बसा है. महानदी पर सम्बलपुर में बने हीराकुद डेम के निर्माण के समय भी वहां भारी तादात में हीरे पाये गये थे. जिसके चलते ही उस डेम का नाम हीराकुद रखा गया था और ये अनुमान लगाया गया था कि इस क्षेत्र में हीरे का खान हो सकता है. ये भी पढ़ें: झारखंड विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे छत्तीसगढ़ के नेता, मिली ये जिम्मेदारी  माता कौशल्या की जन्म तारीख बताओ और इनाम में 11 लाख रुपये पाओ ।

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