आत्महत्या रोकने के लिए सरकार की नई पहल 'नवजीवन' जल्द ही पूरे छत्तीसगढ़ में

संक्षेप:

  • महासमुंद जिले में आत्महत्या रोकथाम के लिए चलाए जाने वाले "नवजीवन" कार्यक्रम अब पूरे छत्तीसगढ़ में संचालित किया जाएगा.
  • इस कार्यक्रम में आत्महत्या रोकथाम, मानसिक स्वास्थ पर जागरूकता एवं उपचार में समुदाय को प्रेरित करना शामिल है.
  • आत्महत्याओं का सोशल ऑडिट होता है ताकि आत्महत्या के कारणों का भी पता लगाया जा सके

महासमुंद: महासमुंद जिले में आत्महत्या रोकथाम के लिए चलाए जाने वाले "नवजीवन" कार्यक्रम अब पूरे छत्तीसगढ़ में संचालित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में आत्महत्या रोकथाम, मानसिक स्वास्थ पर जागरूकता एवं उपचार में समुदाय को प्रेरित करना शामिल है। आत्महत्याओं का सोशल ऑडिट होता है ताकि आत्महत्या के कारणों का भी पता लगाया जा सके। डब्लूएचओ ने इस कार्यक्रम का संज्ञान लिया है और बेस्ट प्रैक्टिसेज की श्रेणी में डालते हुए इसको डॉक्यूमेंट किया जा रहा है। इस कार्यक्रम को राज्य में संचालित करने के लिए समस्त जिलों के मानसिक स्वास्थ कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं कार्यक्रम के अंतर्गत पदस्थ मानव संसाधन (क्लिनिकल सायकोलोजिस्ट, साईंकट्रिक नर्स, साईंकट्रिक सोशल वर्कर) में से किसी एक को 10 जनवरी को एक दिन के लिए महासमुंद एक्सपोजऱ विजिट के लिए लिया जाएगा।

इससे एक दिन पहले, 9 जनवरी को `नवजीवनÓ पर एक प्रेजेंटेशन दी जाएगी जिसमें इस कार्यक्रम के मुख्य बिन्दुओं की जानकारी दी जायेगी। सुनील कुमार जैन, कलेक्टर महासमुंद, जिन्होंने इसकी पहल की थी, इस कार्यक्रम द्वारा वह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उदहारण स्थापित करना चाहते है। उनके अनुसार समुदाय खुद ही सखा, सखी और प्रेरकों से जुड़ते जा रहे है और इनसे प्रेरणा लेकर मानसिक तौर पर अस्वस्थ, और तनाव ग्रस्त लोगों की पहचान कर रहे हैं ताकि उन्हें जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकें। महासमुंद में संचालित `नवजीवनÓ कार्यक्रम अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत समुदाय में आत्महत्या की सोच रखने वाले लोगों की सोच में बदलाव लाने में प्रभावी रहा है। नवजीवन पिछले साल श्री जैन, के नेत्रित्व में प्रारंभ किया गया था। नवजीवन के तीन मुख्या बिंदु हैं - सखा, सखी और प्रेरक—जिन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया है ऐसे लोगों की पहचान करने के लिए जो मानसिक तौर पर अस्वस्थ हैं या जो आत्महत्या करने का विचार रखते हैं। सखा और सखी समुदाय में से ही चुने कए युवक और युवतियां है जबकि प्रेरक स्चूलों के अध्यापक हैं। यह सभी स्वेच्छिक सेवाएं प्रधान कर रहे हैं।

महासमुंद में हर गाँव में एक नवजीवन केंद्र है जो सामुदायिक केद्र में स्थित है और जहाँ पर खेल, किताबें और मनोरजन के साधन उपलब्ध हैं। ग्राम वासी यहाँ पर आकर खुद का मनोरंजन कर सकते हैं ताकि तनाव और अवसाद से दूर हो सकें। महासमुंद में अब आत्महत्याओं का सोशल ऑडिट भी होता जिससे आत्महत्या के कारणों का पता लगाया जा सके। इसके लिए हर गाँव में एक समिति बनायीं है जिसमें गाँव के एक वरिष्ट व्यक्ति को भी सदस्य बनाया गए है। एक वर्ष बाद इस सोशल ऑडिट का विश्लेषण किया जाएगा। छत्तीसगढ़ देश का चौथा सबसे ज्यादा आत्महत्याओं वाला राज्य है। नेशनल क्राइम रिकाड्र्स ब्यूरो के अनुसार यहाँ आत्महत्या की डर 25.8 प्रति 100,000 जनसँख्या है।

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