महासमुंद: प्रशासन की लापरवाही से किसानों की बढ़ी मुश्किल, बारिश के कारण खुले में पड़ा करोड़ों का धान बर्बाद

संक्षेप:

बारिश के कारण करोड़ों का धान बर्बाद

प्रशासन की लापरवाही को देखने को मिली

जंगल में रखा धान भी प्रशासन की लापरवाही से बर्बाद

 

महासमुंद: जिले में प्रशासन की लापरवाही देखने को मिली है.. यहां खुले में पड़ा करोड़ों रुपये का धान बर्बाद होगा गया है.. बावनकेरा सोसायटी में बारिश से खुले में रखा पूरा धान भीग गया है, यहीं नहीं जंगल में भी रखा धान भीग गया है। वहीं, खाद्य अधिकारी सीआर जोशी का कहना है कि मौसम के पूर्वानुमान को देखते हुए सभी केंद्रों में बारिश से धान को बचाने के लिए कव्हर की व्यवस्था की गई थी। किसी केंद्रों में धान नहीं भीगा।

 

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आपको बता दें कि 138 उपार्जन केंद्रों में 45 लाख क्विंटल धान खुले में रखा हुआ है। उठाव नहीं होने के कारण यह धान यहीं रखा है। सुबह चंद मिनटों हुई बारिश ने समर्थन मूल्य पर हो रही धान खरीदी को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है । जबकि खरीदी का शुक्रवार को अंतिम दिन था। धान बेचने के लिए बचे किसान अपना धान बेच नहीं पाए। बारिश से फड़ गीला होने के कारण कई जगह खरीदी नहीं हो पाई।

 

वहीं कई किसान बारिश के चलते धान बेचने उपार्जन केंद्र देर से पहुंचे। जो किसान सुबह खरीदी केंद्र पहुंचे थे उनका धान बारिश से भीग गया। फड़ गीला होने के कारण धान रखने और तौलने में भी परेशानी हुुई। इधर आज शनिवार और कल रविवार को अवकाश होने के कारण खरीदी नहीं होगी। इसे लेकर खरीदी के लिए बचे किसान परेशान है। इधर, सरकार ने भी खरीदी को आगे बढ़ाने के लिए कोई निर्णय नहीं लिया है। रात 8 बजे तक 3 हजार किसान धान बेचने के लिए शेष रह गए थे। देर रात तक एक लाख 36 हजार 172 किसानों से ही धान की खरीदी समाचार लिखे जाने तक हुई थी। इन किसानों से 138 उपार्जन केंद्र के माध्यम से 74 लाख 63 हजार क्विंटल धान की खरीदी हुई है। अब देखना यह है कि क्या शेष बचे किसानों को बेचने के लिए सरकार समय देगी या नहीं। इस संबंध में जिला विपणन अधिकारी सीआर जोशी का कहना है कि अभी तक खरीदी की तिथि बढ़ाने के लिए शासन स्तर पर आदेश नहीं है।

 

जिले में एक लाख 40 हजार किसान पंजीकृत है। जिनसे खरीदी की जानी है। समाचार लिखे जाने तक एक लाख 36 हजार 172 किसानों से समर्थन मूल्य में खरीदी हो गई है। इन किसानों ने 138 उपार्जन केंद्रों में 74 लाख 63 हजार क्विंटल धान की खरीदी हुई है। अभी भी चार हजार किसान ऐसे है, जिनसे खरीदी की जानी है, लेकिन बारिश होने के कारण ये किसान अपना धान निर्धारित समय पर बेच नहीं पाए है । वे अब शासन का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें बेचने के लिए समय मिलेगा, तब वे धान बेच पाएंगे । शुक्रवार सुबह हुई बारिश ने धान खरीदी का बंटाधार कर दिया। प्रतिदिन दो लाख क्विंटल धान की खरीदी होती है। इस एवरेज से शुक्रवार को सभी किसानों से धान की खरीदी हो जाती, लेकिन बारिश के चलते प्रभावित हो गई।

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