वृंदावन कुंभ: तीन दशक से खड़े होकर आराधना कर रहे गुजरात के खड़ेश्वरी बाबा

संक्षेप:

मथुरा: भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थली वृंदावन में यमुना तट पर वैष्णव संतों का संगम देखने को मिल रहा है। देश भर से आए वैष्णव संतों की भक्ति साधना के अनेक रूप यहां देखने को भी मिल रहे हैं। संतों का यह स्वरूप भी श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है। कुछ ऐसी ही साधना में लीन रहने वाले गुजरात से आए बाबा खड़ेश्वरी भक्तों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

मथुरा: भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थली वृंदावन में यमुना तट पर वैष्णव संतों का संगम देखने को मिल रहा है। देश भर से आए वैष्णव संतों की भक्ति साधना के अनेक रूप यहां देखने को भी मिल रहे हैं। संतों का यह स्वरूप भी श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है। कुछ ऐसी ही साधना में लीन रहने वाले गुजरात से आए बाबा खड़ेश्वरी भक्तों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

बाबा खड़ेश्वरी अर्थात बाबा मुनींद्र दास महात्यागी वृंदावन कुंभ में खड़े होकर अपने आराध्य की साधना कर रहे हैं। बताते है कि वह विगत तीन दशक से एक पैर पर खड़े होकर साधना में लीन हैं। बाबा का खाना पीना, पूजा, नित्य कर्म सब कुछ खड़े होकर ही होता है। यही कारण है कि बाबा अपने भक्तों के बीच खड़ेश्वरी बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गए। हालांकि खड़ेश्वरी बाबा यहां अन्न नहीं लेते हैं। वह सिर्फ फल और सब्जियों को अग्निकुंड में भूनकर खाते हैं। माथे पर चंदन और ललाट पर तेज इनकी साधना के प्रताप को दर्शाता है। संत मुनींद्र दास खुद एक झूलेनुमा आसन के सहारे खड़े होकर दर्शन देते हैं। वृंदावन कुंभ में लगे भव्य पंडालों से हटकर बाबा महात्यागी सिर्फ घासफूस से बनी छोटी सी कुटिया में दिनभर खड़े होकर भक्तों को रामभक्ति का संदेश दे रहे हैं। 

खड़ेश्वरी बाबा अपनी साधना के पीछे अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के संकल्प को बताते हैं। उन्होंने बताया कि वह अयोध्या में ही पले बढ़े और साधु दीक्षा ली। 1992 में श्री रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान न होने तक उन्होंने अयोध्या की सीमा में प्रवेश न करने और एक पैर पर खड़े होकर साधना करने का दृढ़ संकल्प लिया था। अब भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण की अयोध्या में प्रक्रिया शुरू होने से वह खुश हैं लेकिन संतुष्ट नहीं है। बाबा का कहना है कि जब तक अखंड भारत का निर्माण नहीं होने तक उनकी साधना जारी रहेगी।

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श्रीराधाकृष्ण की लीला भूमि वृंदावन में यमुना तट पर आयोजित कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक में अध्यात्म के साथ ब्रज की संस्कृति के रंग भी बिखर रहे हैं। कुंभ मेला स्थल में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं के पग आयोजनों की ओर खिंचे चले आ रहे हैं। कुंभ मेला क्षेत्र में प्रवेश करने के साथ ही ब्राह्मण सेवा संघ के खालसे में सुबह से लेकर शाम तक संतों के प्रवचनों के साथ भागवत कथाएं हो रहीं हैं। कुंभ मेला क्षेत्र में बनाईं गईं देवी देवताओं की मूर्तियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हैं। इसके कुछ दूरी पर संत रसिया बाबा के खालसे में संतों के प्रवचनों का श्रवण कर भक्त आनंदित हो रहे हैं। पिछले दो दिन में मलूक पीठाधीश्वर महंत राजेंद्रदास, रसिया बाबा, संजीव कृष्ण ठाकुरजी की कथाओं का श्रवण करने का भक्तों को मौका मिला। 

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