मेरठः करोड़ों खर्च से बना मेडिकल अस्पताल बना लूट का अड्डा

संक्षेप:

  • सौ करोड़ में नई इमरजेंसी बनी सिर्फ दिखावा
  • मरीजों को भर्ती करने के बाद नहीं मिलती दवाईंया
  • स्ट्रेचर या व्हील चेयर चाहिए तो रूपये निकालिए

मेरठः मेडिकल अस्पताल में बेहतर इलाज के वास्ते आने वाले मरीजों को यंहा सिर्फ दुत्कार ही मिल सकती है। पैसे देकर ही यहां आप मरीज को दिखा सकतें हैं। सुविधा शुल्क देने के बाद ही आप अपने मरीजो के लिए व्हील चेयर या स्ट्रेचर ले सकते है। सौ करोड़ की लागत से बनी नई इमरजेंसी सिर्फ दिखावा ही बनी हुई है।

मेरठ जनपद व आसपास के जिलों के मरीजों को बेहतर व मुफ्त में इलाज मुहैया कराने के लिए प्रदेश सरकार ने सौ करोड़ रूपये की लागत से इमरजेंसी का निर्माण किया है। इसके निर्माण के पीछे यह धारणा थी कि जनपद में वास करने वाले गरीब मरीजों को भी अत्याधुनिक सुविधांए मिल सकें। प्रावधान तो इन मरीजों को इलाज के साथ-साथ दवाईयां उपलब्ध कराने का भी किया गया है। लेकिन मरीजों तक पहुंचने से पहले ही ये दवाईंया गायब हो जाती हैं।

ये भी पढ़े : सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता: भैय्याजी जोशी


नई इमरजेंसी में ग्रांउड फ्लोर पर मरीजों को एडमिट कराने के लिए दो सीसीयू वॉर्ड बनाए गए है। इन दोनों वॉर्डो में 20-20 बेड की सुविधा है। इसी फ्लोर पर तीन मिनी ओटी, अल्ट्रासांउड सेंटर भी बनाए गए हैं। नर्सिंग स्टाफ की भी कोई कमी नहीं है। बस कमी है तो यंहा भर्ती होने वाले मरीजों की तीमारदारी की। सरकार ने सौ करोड़ रूपए इस नई इमरजेंसी में इसीलिए खर्च किए ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके।

इमरजेंसी बनने के साथ ही यहां 8 व्हील चेयर व सात स्ट्रेचर भी उपलब्ध कराई गई थी। लेकिन मेडिकल इमरजेंसी पर तैनात स्टाफ ने व्हील चेयर व स्ट्रेचर को भी कमाई का जरिया बना लिया है। वॉर्ड ब्वॉय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी इन व्हील चैयरों और स्ट्रेचरों को इमरजेंसी में ही आइसोलेशन वॉर्ड व दवा स्टोर में छिपा कर रखते हैं। दिखावे के लिए इमरजेंसी गेट के पास एक स्ट्रेचर खड़ी रहती है। जब कोई सीरियस पेंशेंट आता है और गाड़ी अपने पेशेंट को उतारने के लिए तीमारदार इधर से उधर भटकते फिरते है। ऐसे में कोई वॉर्ड ब्वाय या फिर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तीमारदारों से सौदेबाजी करता है।

तीमार दार से पहले सौ रू मांगे जाते हैं, फिर सौदा पटकर 80-70 रू से होकर 50 रूपए पर आकर अटक जाता है। पचास रूपए देने के बाद पल भर में न सिर्फ स्ट्रेचर बल्कि व्हील चेयर भी उपलब्ध हो जाती है। बल्कि आपको सीधे वॉर्ड तक में शिफ्ट कर दिया जाता है। हां इसके बाद की व्यवस्था कराने के लिए आपको दूसरे स्टाफ की सहायता लेनी पडेगी। 

मरीज बेहाल, स्ट्रेचर पर ढोई जाती हैं दवांए

मेडिकल अस्पताल की इमरजेंसी में स्ट्रेचर के लिए मरीज भले ही इधर से उधर भटक रहा हो और स्ट्रेचर मौजूद भी हो। लेकिन यह मरीज के लिए नहीं मिल सकेगी। जब तक आप स्टाफ की मुंहमांगी मुराद पूरी नहीं करेगें। यंहा मरीज भले ही कंधे पर ढोकर लाया जा रहा हो। लेकिन स्ट्रेचर पर दवाईयां ढोई जाती हैं। फिर स्टोर के पास दवाईयां लदे-लदे इसे खड़ा कर दिया जाता है। अगर तीमारदार पचास रू दे देगा तो फिर उसे स्ट्रेचर मिल जाएगी। लेकिन वॉर्ड तक ले जाने के लिए तीमारदार को खुद ही मेहनत करनी होगी। सौ रूपए देने पर स्टाफ आपके मरीज को बेड तक शिफ्ट कराने की गारंटी लेगा।

बाहर से दवाईं लाने को दी जाती है पर्ची

जब इस इमरजेंसी में कोई सीरियस पेशेंट लाया जाता है तो उसके तीमारदारों को बाहर रोक दिया जाता है और मरीज को अंदर लेकर सीसीयू वार्ड में शिफ्ट कर तो दिया जाता है। इसके बाद मरीज को सिर्फ ग्लूकोज चढ़ा दिया जाता है। मरीज के तीमारदार को पर्चा धमाकर बाहर से दवाई लाने के लिए भेज दिया जाता है। जो तीमारदार दवाई ले आता है तब वो मरीज का बेहतर ट्रीटमेंट शुरू हो जाता है। नहीं तो अगले दिन इस मरीज को पुरानी बिल्डिंग के जनरल वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। गंभीर रोगी को यंहा भर्ती न करके सीधे दिल्ली या चंडीगढ ले जाने की सलाह दी जाती है।

पैसे देने पर अंदर ही मिल जाती है दवा

मेडिकल अस्पताल की नई इमरजेंसी में मरीजों को दवा नहीं मिलती है। लेकिन अगर आप यंहा के स्टाफ की सहायता लें तो आपको शासन से मरीज के लिए मुफ्त में आने वाली टैबलेट, कैप्सूल, सीरप, इंजेक्शन, सीरिंज, ग्लबज के साथ-साथ नई चादर, पेशेंट सूट आदि भी उपलब्ध हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको अलग से पैसा खर्च करना होगा। इस इमरजेंसी में मरीज की भर्ती करने के बाद डाॅक्टर द्वारा अलग से स्लिप पर दवाईं लिखकर तीमारदार को थमा दी जाती है। पैसे मिल जाते हैं तो इस पर्ची के बजाए सीधे वार्ड ब्वॉय डाॅक्टर को अलग से स्पिल दे देता है और आपका बेहतर इलाज यंहा संभव हो पाता है।

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

अन्य मेरठ की अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles