मेरठ: मौत को दावत दे रहे है ओवरलोडेड वाहन

संक्षेप:

  • पुलिस-प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
  • नो एंट्री में भी बिना रोक-टोक भरते हैं फर्राटे
  • परतापुर में होती है हर रोज सैंकडों की एंट्री

मेरठ में यातायात महीना चल रहा है लेकिन मेरठ की सड़कों से पुलिस गायब है। चुनाव खत्म हो चुका है लेकिन मेरठ की पुलिस की थकान अभी तक नहीं उतर पाई है। टैफिक पुलिसकर्मी सिर्फ पैसे लेने के लिए सड़को पर नजर आते हैं चाहे उनकी इस लापरवाही से किसी की जान चली जाए शायद उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। ऐसा हम इसीलिए कह रहें हैं क्योकि मेरठ की सड़कों पर कुछ ऐसे ही हालात नजर आ रहे हैं। सड़कों पर बेलगाम दौड़ते वाहन और ओवरलोडेड वाहन आए दिन किसी न किसी को मौत की नीदं सुला देते है। बावजूद इसके इन वाहनों पर कोई रोक नहीं लगती है।

ओवरलोडेड वाहन सबसे ज्यादा लोगों की जान को लील रहे हैं। नो एंटी में भी ये फर्राटे भरते हैं पुलिस की आंखो के सामने से ये गुजरते हैं लेकिन कानून के हाथ शायद छोटे हो गए हैं जो नियमों का उल्लघंन करने वालो के गिरेबान तक नहीं पहुंच पाते हैं। सबसे पहले बात करते हैं परतापुर तिराहे की। यंहा से हर रोज सैंकडो ओवरलोडेड वाहन शहर में एंटी करते हैं। यहां तिराहे पर उगाही करने के बाद पुलिसकर्मी वाहनों को शहर में एंटी करा देते हैं। इन ओवरलोडेड वाहनों के बराबर से निकलना ऐसा लगता है जैसे खुद अपनी मौत को दावत देना। अगर पुलिसकर्मी सर्तकता दिखाते हुए इन्हें यहीं रोके दें तो ये शहर में अंदर ही नहीं पहुच पाएगें। वहीं आरटीओ विभाग भी कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है, जिसकी नींद कोई बड़ा हादसा होने के बाद ही टूटती है।

तेजगढ़ी चैराहे से हर रोज ऐसे ही ओवरलोडेड वाहन गुजरते हैं, जिन्होने न जाने कितने लोगो की जान ले ली। कुछ माह पहले की ही बात है कि एक ओवरलोडेड टक ने एक युवती को कुचल दिया था लेकिन उसके बावजूद इन वाहनों पर कोई रोक नहीं लग पाई। यहां रहने वाले लोग बहुत परेशान है कई बार गुहार भी लगाई जा चुकी है लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। यहां से हर रोज स्कूली बच्चे भी निकलते हैं जिनकी जान को हमेशा खतरा बना रहता है.. लेकिन प्रशासन को शायद कुछ नजर नहीं आता है।

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बात करते हैं बेगमपुल की... जहां से शहर के अधिकारियों से लेकर बडे-बडे से नेता भी होकर गुजरते हैं क्या उनको ये ओवरलोडेड वाहन नजर नहीं आते हैं.. गन्ने से भरे टक के बराबर से आप निकलेगें तो बस जहन में राम का ही नाम होगा कि सही सलामत आप इस टक के बराबर से निकल जाए। ये वाहन उपर तक इतने फुल होते हैं कि अगर इनका थोड़ा भी बैलेंस बिगड जाए तो इनका गिरना तय है और ये गिरे तो अपने साथ न जाने कितने लोगो को लेकर जाएगें। शहर में हर रोज एक्सीडेंट होते हैं और उन एक्सीडेंट के कारणों में ये ओवरलोडेड वाहन भी शामिल हैं।

हम तो बस यही चाहेगें की पुलिस-प्रशासन अपनी कुंभकर्णी नींद से जागें और इन ओवरलोडेड वाहनों पर लगाम लगाए ताकि बिना किसी गलती के लोगो को अपनी जान न गवानी पडे।

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