मुजफ्फरनगर दंगा केस: डीएम ने बीजेपी नेताओं के मुकदमे वापस लेने से किया इनकार

संक्षेप:

  • मुजफ्फरनगर दंगा मामला
  • BJP नेताओं की बढ़ीं मुश्किलें
  • मुकदमा वापस लेने से DM का इनकार

मुजफ्फरनगर दंगा मामले में जिले के डीएम ने बड़ा फैसला लिया है. जिससे मुकदमे का सामना कर रहे भाजपा नेताओं की मुसीबतें बढ़ गई हैं. जिले के डीएम ने इन नेताओं के खिलाफ केस वापस लेने से इनकार कर दिया है.

इससे योगी सरकार और भाजपा के दो सांसदों और तीन विधायकों समेत अनेक नेताओं के खिलाफ साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों  के मामलों में दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की तथाकथित कोशिशों को झटका लगा है.

खबर के मुताबिक, योगी सरकार ने 6 महीने पहले मुकदमा वापस लेने के लिए डीएम से रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन वर्तमान डीएम राजीव शर्मा ने मुकदमा वापस लेने से इनकार कर दिया है. इस मामले में डीएम ने अपनी रिपोर्ट कानून मंत्रालय को भेज दी है. हालां‍कि कानून के जानकारों की मानें तो सरकार चाहे तो डीएम की रिपोर्ट को नकार सकती है.

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आपको बता दें कि भाजपा नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने अगस्त 2013 में एक महापंचायत का आयोजन कर अपने भाषणों से लोगों को हिंसा के लिए भड़काया था. इसके बाद मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे. इन दंगों में 60 लोग मारे गए थे और 40 हजार से ज्यादा लोग बेघर हुए थे. दरअसल पश्चिमी यूपी के एक प्रतिनिधि मंडल ने बीते 6 फरवरी को सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी.

इस प्रतिनिधि मंडल में बीजेपी सांसद संजीव बालियान, विधायक संगीत सोम और किसान नेता नरेश टिकैत के अलावा मुजफ्फरनगर के अहलावत और गठवाला थाना क्षेत्र के लोग शामिल हुए थे. इस प्रतिनिधिमंडल ने सीएम ऑफिस को बताया कि मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान 500 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए थे, जिनमें 400 के करीब आगजनी के मुकदमे थे. उन्होंने आगजनी के इन मुकदमों को फर्जी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद संजीव बालियान, सहआरोपी भाजपा विधायक उमेश मलिक, भाजपा नेता साध्वी प्राची, उत्तर प्रदेश के मंत्री सुरेश राणा, सांसद भारतेंदु सिंह, बीजेपी विधायक संगीत सोम के खिलाफ मामले दर्ज हैं.

27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर जिले के कवाल गांव में जाट-मुस्लिम हिंसा के साथ दंगा शुरू हुआ था. कवाल गांव में कथित तौर पर एक जाट समुदाय की लड़की के साथ एक मुस्लिम युवक की छेड़खानी से ये मामला शुरू हुआ. उसके बाद लड़की के परिवार के दो ममेरे भाइयों गौरव और सचिन ने शाहनवाज नाम के युवक को पीट-पीट कर मार डाला था. उसके बाद मुस्लिमों ने दोनों युवकों को जान से मार डाला. परिणामस्वरूप इलाके में हिंसा शुरू हो गई. जबरदस्त उपद्रव और लोगों की जानें जाने के बाद यहां पुलिस, अर्द्धसैन्य बल और सेना तैनात की गई थी.

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