किसी चिड़ियाघर से कम नहीं है मेरठ कॉलेज का ये जूलॉजी म्यूज़ियम

संक्षेप:

  • पूरे प्रदेश में और कहीं नहीं हैं ऐसा म्यूज़ियम
  • 1936 में हुई थी इस संग्रहालय की शुरूआत
  • 60 साल पुराने और दुर्लभ स्पेसिमन मौजूद

मेरठ- मेरठ में भले ही कोई चिडियाघर या फिर म्यूज़ियम नहीं है लेकिन आज जो तस्वीरें हम आपको दिखाने जा रहे हैं उसे देखकर आप अचरज में पड़ जाएगें कि आज तक मेरठ में रहने के बाद भी हमने इस जगह को क्यों नहीं देखा। भले ही ये कोई चिड़ियाघर नहीं है लेकिन उससे कम भी नहीं है। भेल ही इसमें रखे जीवों में जान नहीं है, लेकिन इसे देखकर हर किसी के मुंह से वाह तो निकल ही जाता है।

मेरठ कॉलेज के जंतु विज्ञान विभाग में बना यह म्यूज़ियम प्रदेश में बना इस तरह बना इकलौता म्यूज़ियम है यानि ऐसा म्यूज़ियम देश के सबसे बड़े राज्य में दूसरा कहीं देखने के लिए नहीं मिलेगा। एकेडमिक के साथ-साथ जीव-जंतुओं में दिलचस्पी रखने वाले वालों के लिए ये जगह बेहद खास है। यहां पर आपको दो मुंह के बच्चे का भू्रण, घोड़े, चूहे, सूअर, भैंस, बंदर, गाय, कुत्ते, जैसे कई जानवरों के भू्रण नज़र आयेंगे।

टाइगर, लेपर्ड के बेशकीमती दांत, कोबरा और नेवले की लड़ाई, लुप्त प्राय हो चुके शुतुरमुर्ग के अंडे और मानव से लेकर कई जानवरों के कंकाल भी आपको यहां नज़र आ जाएंगे। मेरठ कॉलिज में जीव विज्ञान विभाग के संग्रहालय की शुरूआत साल 1936 में हुई। इंटरमीडिएट की कक्षाओं के लिए पीएन बनर्जी जीव विज्ञान प्रयोगशाला में कुछ जीवों के स्पेसिमेन के साथ यह शुरू हुआ था। बाद में स्नातक और परास्नातक स्तर पर जंतु विज्ञान की कक्षायें शुरू होने के बाद वर्ष 1943 और 1958 में जंतु विज्ञान के इस म्यूज़ियम को विस्तार मिला।

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वर्ष 1962 में वर्तमान के म्यूज़ियम का निर्माण किया गया। छात्रों और शिक्षको की लगातार मेहनत से मौजूदा समय में ये म्यूज़ियम कई विश्वविद्यालयों के जीव विज्ञान के म्यूज़ियम से समृद्धशील हो चुका है।  म्यूज़ियम में 750 नमूनों को साफ करने के बाद नए जार, नई फार्मलिन, डिस्टिल्ड वाॅटर डालकर कांच की अलमारियों में रखा गया है ताकि इन्हें आसानी से देखा जा सके। म्यूज़ियम के विषय में जानकारी के लिए कंप्यूटर क्रियोस्क भी लगाए गये हैं। जिससे मेरठ के साथ ही बाहर के छात्र भी जानकारी ले सकते हैं। 

60 साल पुराने और दुर्लभ नमूने भी हैं मौजूद- जंतु विज्ञान के संग्रहालय में मानव संग्रहालय में मानव से लेकर कई जीवों के भू्रण की पूरी श्रृंखला संरक्षित है। कांच के केस में कई मानव, बैल, ऊंट, सांप, नवजात शिशु के कई कंकाल, कई दुर्लभ जानवर और पिक्षयों को केस में रखा गया है। टाइगर और लेपर्ड के बेशकीमती कंकाल, उनके दांत, जंगली बिल्लियां, कटल फीश सहित अनेक दुलर्भ चीजें आकर्षण का केन्द्र है। इसमें से कई 50 से 60 साल तक पुराने हैं। जिनका संग्रह समय-समय पर छात्रों और शिक्षको के सहयोग से किया जाता रहता है।

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