बागपत से देवरिया जेल में शिफ्ट हुआ कुख्यात सुनील राठी का भाई अरविंद राठी

संक्षेप:

माफिया सरगना मुन्ना बजरंगी के हत्यारे माफिया सुनील राठी के कुख्यात भाई अरविंद राठी को दोबारा जिला कारागार देवरिया में शिफ्ट कर दिया गया है। बुधवार को कड़ी सुरक्षा में उसे बागपत से देवरिया लाया गया। आपको बता दें कि सजा माफी के लिए अरविन्द ने आवेदन किया था। जिसकी सुनवाई के लिए 18 जुलाई, 2017 को उसे देवरिया से बागपत भेजा गया था और तभी से वह वहीं पर जिला कारागार में था। डेढ़ दशक पहले अरविन्द राठी को हत्या के मामले में मेरठ की अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

अरविंद राठी को इन जेल में रखा गया था  

सजा के दौरान मेरठ जेल के बाद उसे पहले आगरा शिफ्ट किया गया। उसके बाद इलाहाबाद की नैनी जेल, फिर बुलंदशहर और वहां से 2 दिसम्बर, 2016 को उसे देवरिया जेल लाया गया था। जहां से सजा माफी पर सुनवाई के लिए उसको 18 जुलाई, 2017 को बागपत भेजा गया था। जेल सूत्रों की मानें तो उस वक्त बैरक नंबर 10 में रह रहे राठी का पहले दिन से ही दबदबा कायम हो गया था और उसका मनपसंद भोजन भी उसके बैरक में ही बनता था। उसी दौरान बैरक नंबर 11 में रहने वाले मुन्ना बजरंगी गैंग के शूटर सुनील यादव से वर्चस्व को लेकर उसकी ठन गई।

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मुन्ना बजरंगी के गैंग ने जेल में राठी को किया जलील

सुनील के पक्ष में पूर्वाचल के दबंग रामआसरे गैंग के विजय यादव के अलावा कुख्यात हरिवंश यादव समेत कई बदमाश लामबंद हो गए थे। सूत्रों की मानें तो अरविंद राठी के पक्ष में भी आजमगढ़ के कुछ बदमाश थे, लेकिन जेल में सुनील यादव और उसका गैंग राठी पर भारी पड़ा। बताया जाता है कि अरविंद राठी को मुन्ना बजरंगी के गैंग ने जेल में काफी जलील भी किया था। तब स्थिति तनावपूर्ण देख जेल प्रशासन ने शासन को गैंगवार की आशंका जताते हुए रिपोर्ट भी भेजी थी।

जेल में खुद को असुरक्षित महसूस करने लगा राठी

इसी बीच इलाहाबाद की नैनी जेल से 3 अप्रैल, 2017 को माफिया अतीक अहमद जिला कारागार देवरिया पहुंचे। उस समय दोनों गैंग के बीच तनाव चरम पर था। अतीक ने राठी और यादव की पंचायत बैठाकर मामले को रफा-दफा कराने का प्रयास किया। जेल से जुडे़ सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन तक तो सब ठीक रहा लेकिन अंदर ही अंदर दोनों गैंग सुलगते रहे। राठी यहां खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा था। इसी बीच सजा माफी पर सुनवाई के बहाने अरविंद राठी को तीन दिन के लिए बागपत भेजा गया था, लेकिन जाने के बाद वह वापस नहीं लौटा।

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