Lok Sabha Election 2019: कैराना लोकसभा सीट: क्या 2019 में तबस्सुम दोबारा लहरा पाएंगी जीत का परचम?

संक्षेप:

  • पश्चिमी यूपी की कैराना लोकसभा सीट राजनीतिक लिहाज से काफी अहम मानी जाती है
  • 2018 में हुए उपचुनाव में राष्ट्रीय लोकदल की उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने जीत दर्ज की थी
  • 2014 में मोदी लहर के बीच इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के हुकुम सिंह ने जीत दर्ज की थी

कैराना: पश्चिमी यूपी की कैराना लोकसभा सीट राजनीतिक लिहाज से काफी अहम मानी जाती है. जाट और मुस्लिम वोटरों से प्रभावित इस सीट पर 2014 में मोदी लहर के बीच इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के हुकुम सिंह ने जीत दर्ज की थी, लेकिन उनके निधन के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में राष्ट्रीय लोकदल की उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने जीत दर्ज की. तबस्सुम हसन ने भारतीय जनता पार्टी की मृगांका सिंह को शिकस्त दी.

बता दें कि तबस्सुम हसन को समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने समर्थन हासिल था. 2017 में प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने वाली बीजेपी के लिए इस हार को बड़े झटके के तौर पर देखा गया था. हुकुम सिंह के निधन के बाद बीजेपी का इस सीट पर इमोशनल कार्ड नहीं चल पाया. उपचुनाव से पहले और विधानसभा चुनाव के दौरान कैराना में पलायन के मुद्दे ने काफी सुर्खियां बटोरीं थीं.

ये रहा इतिहास

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कैराना लोकसभा सीट 1962 अस्तित्व में आई. पहले ही चुनाव में इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. उसके बाद इस सीट पर सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी और कांग्रेस के पास ही रही. लेकिन 1996 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की, 1998 में भारतीय जनता पार्टी, फिर लगातार दो बार राष्ट्रीय लोक दल, 2009 में बहुजन समाज पार्टी और 2014 में बीजेपी ने दीत दर्ज की थी. 2018 में जब उपचुनाव हुए तो बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा.

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