Lok Sabha Election 2019: बागपत- क्या यूपी के इस जाटलैंड में 2019 में भी खिलेगा कमल या जयंत मारेंगे बाजी?

संक्षेप:

  • एक बार फिर से रालोद ने अपनी विरासती सीट बचाने की कवायद शुरू कर दी है
  • इस बार गठबंधन की और से जयंत चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया है
  • उनके सामने बीजेपी के केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुम्बई पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह हैं 

मेरठ: बागपत के  इतिहास का वर्णन महाभारत काल मे भी हुआ है. इसी ऐतिहासिक धरती ने देश को चौधरी चरण सिंह जैसा प्रधानमंत्री दिया. जिनके आदर्शों पर चलने का तमाम राजनीतिक पार्टियां दावा करती हैं. बीजेपी हो, सपा, बसपा, आरएलडी या फिर कांग्रेस, सभी चौधरी साहब को किसान मसीहा के रूप में पूजती हैं और उनके नाम पर वोट बटोरने का प्रयास भी करती है. हालांकि चौधरी साहब के पुत्र छोटे चौधरी अजीत सिंह की अपनी आरएलडी पार्टी है, जिसका गढ़ बागपत को माना जाता है. चौधरी साहब भी कई बार यहीं से चुनाव लड़े और जीते. उनके बाद चौधरी अजीत सिंह लगातार 6 बार चुनाव जीते. लेकिन अपने राजनीतिक कैरियर में बिगड़े समीकरणों के कारण उन्हें 2 बार हार का भी सामना करना पड़ा. पहली बार वो 1998 में बीजेपी के सोमपाल शास्त्री से हारे. दूसरी बार फिर 2014 में बीजेपी के ही सत्यपाल से 3 लाख वोटो स हारे. इस तरह 2 बार हारने के बाद इस बार अजीत सिंह ने अपनी विरासत अपने बेटे और पार्टी उपाध्यक्ष जयंत चौधरी को सौंप दी है.

इस बार गठबंधन की और से जयंत चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं दूसरी और उनके सामने बीजेपी के केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुम्बई पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह हैं. एक बार फिर से रालोद ने अपनी विरासती सीट बचाने की कवायद शुरू कर दी है. पहले की तरह ही इस बार भी इस सीट पर पूरे देश के राजैनतिक पंडितो की निगाहें रहेंगी.

बागपत लोकसभा का इतिहास

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बागपत लोकसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई. पहले चुनाव में यहां जनसंघ और दूसरे चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. लेकिन इमरजेंसी के बाद यहां 1977 में हुए चुनाव से ही क्षेत्र की राजनीति पूरी तरह से बदल गई. 1977, 1980 और 1984 में लगातार पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह यहां से चुनाव जीते.
उनके बाद बेटे अजित सिंह 6 बार यहां से सांसद रहे. 1989, 1991, 1996, 1999, 2004 और 2009 में अजित सिंह बागपत से सांसद रहे. सिर्फ 1998 में हुए चुनाव में यहां हार का सामना करना पड़ा. 2014 में तो वह तीसरे नंबर पर ही पहुंच गए.

बागपत लोकसभा क्षेत्र का समीकरण

मेरठ से सटे बागपत में 16 लाख से भी अधिक वोटर हैं. यह सीट जाट और मुस्लिम बाहुल्य है. यही कारण है कि रालोद यहां पर मजबूत है. जाट समुदाय के वोटरों के बाद यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या सबसे अधिक है. बागपत लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें सिवालखास, छपरौली, बड़ौत, बागपत और मोदीनगर विधानसभा सीटें हैं. इसमें सिवालखास मेरठ जिले की और मोदीनगर गाजियाबाद जिले से आती हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इसमें सिर्फ छपरौली में राष्ट्रीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी, जबकि बाकी 4 सीटों पर बीजेपी जीती थी.

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