मेरठः जीएसटी के बाद खेल का 40 फीसदी कारोबार पड़ा ठप

संक्षेप:

  • मेरठ में है खेल उत्पातो का बड़ा बाजार
  • जीएटी लगने से स्पोटर्स व्यापारी परेशान
  • पहले दो फीसदी लगती थी एक्साइज डयूटी

मेरठः जीएसटी से देश के कारोबार और कारोबारियों को फायदा होने का सपना दिखाकर एक देश और एक टैक्स ने मेरठ के बड़े खेल उद्योग को पटरी से उतार दिया है। जीएसटी लागू होने के बाद से कारोबार में करीब 40 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। इससे उत्पादक और कारोबारी खेल उत्पादों पर एक समान जीएसटी लगाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि जीरो फीसदी टैक्स वाले उत्पाद पर 12 से 28 फीसदी जीएसटी लगाना उचित नही हैं।

मेरठ जनपद में खेल उत्पादन की छोटी-बड़ी करीब दो हजार इकाई हैं। इनमें दुनिया का नामचीन क्रिकेट, एथलेटिक्स और टेबल टेनिस का समान बनाने वाली कंपनियां भी हैं। उत्तर प्रदेश में खेल समान पर शून्य फीसदी टैक्स था। जीएसटी के तहत खेल उत्पादों पर 12 से 28 फीसदी टैक्स लग गया है। एथलेटिक्स, जिमानास्टिक एवं फिटनेस उत्पादों पर भी 28 फीसदी टैक्स हैं।

पहले स्पोटर्स गुड्स पर शून्य टैक्स था। जब स्पोटर्स गुड्स एक है तो इन पर अलग-अलग टैक्स क्यों। असमान टैक्स के चलते बाजार में 40 फीसदी तक गिरावट आ चुकी है। फिटनेस आइटम पर 28 फीसदी टैक्स हैं। वहीं हेल्थ सर्विसेज पर टैक्स नहीं है। फिटनेस को भी हेल्थ की तरह टैक्स फ्री कर देना चाहिए। बाकी समान पर भी एक समान टैक्स लगना चाहिए। स्पोटर्स व्यापारी राकेश महाजन कहते हैं कि स्पोट्स गुड्स जब तक एक हैं तो इन्हें एक ही चैप्टर में रखा जाना चाहिए। सरकार ने अलग-अलग चैप्टर में रखकर जीएसटी लगाया है। सरकार को इस बारे में उचित कदम उठाना चाहिए।

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मेरठ में करीब 1800 करोड़ रुपये सालाना कारोबार घरेलू और 600 करोड़ रुपये का एक्सर्पोट होता है। जीएसटी लगने के बाद उत्पाद 12 से 28 फीसदी मंहगे हो गए हैं इसके चलते मंदी आ गई है। कारोबारियों का कहना है कि बाजार 40 फीसदी तक गिर चुका है। निर्माण इकाइयों से कारोबारी तीन महीने के उधार पर माल उठाते है। अब कारोबारी को एडवांस में हर महीने खरीदे गए माल पर 28 फीसदी तक जीएसटी देना पड़ रहा है, पहले टैक्स नहीं होने पर माथापच्ची भी करनी पड़ती थी। अब तो पहले खरीदे गए स्टाक पर जीएसटी देनी पड़ रही है। जुलाई के बाद कंपनियो ने माल के रेट में करीब 10 फीसदी तक कमी की लेकिन उठान नही है।  

मेरठ के स्पोटर्स व्यापारी 12 फिसदी जीएसटी लगने से खासे हैरान हैं, उनका कहना है कि ये व्यवस्था पारदर्शी जरूर है लेकिन जिन खेल उत्पादों पर अब तक कोई कर नहीं था, उन पर सीधे तौर पर साढ़े 12 फिसदी कर लगाकर सरकार ने बच्चों के खेलने की चीजें भी महंगी कर दी हैं। उनका कहना है कि हमारे प्राचीन परंपरा की चीजें भी अब महंगी हो गई हैं। स्पोर्ट्स गुड्स पर जो छोटे खेल उत्पाद थे वो यू पी में अभी तक जीरो प्रसेंट टैक्स पर थे लेकिन जीएसटी लागू होने पर उन पर भी 12 फिसदी का कर लग गया।

मसलन बच्चों की लूडो, सांप सीढ़ी, कैरम बोर्ड, कश्मीर विलो के सस्ते छोटे बैट, जम्पिंग रोप से लेकर सपोर्टर या यूं कहें अखाड़े में पहलवानों के पहनने वाले लंगोट तक 12 फिसदी टैक्स की जद में आ गए हैं, अभी तक यूपी में वेट लिफ्टिंग के सामान पर साढ़े चौदह फिसदी का टैक्स था लेकिन अब ये बारह फिसदी हो गया है। यानि साफ है कि जीएसटी ने मेरठ के खेल कारोबार को ठप्प सा कर दिया है। स्पोटर्स कारोबारी परेशान हैं कि वो करें तो क्या करें।

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